कुछ चीते हसदेव अरण्य में भी छोड़ देते।जैव विविधता तो नष्ट नहीं होती।उद्योगपति के आगे लाचार राजनीति कहीं प्रकृति को रौद्र रूप धारण करने पर विवश तो नहीं कर रही?
हसदेव अरण्य। ये नाम आज छत्तीसगढ के तमाम लोगों की ज़ुबान पर है।यहां की खूबसूरत प्रकृति,हंसते मुस्कुराते जंगल अपनी गोद में कई जानवरों को पालते आए हैं,ग्रामीणों के लिए भी…