अदानी के नाम पर छत्तीसगढ के सरगुजा में एक ऐसी राजनीती शुरू हो गई है जो थमने का नाम नहीं ले रही।
भाजपा के लोगों ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस के टी एस सिंहदेव विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं।जिसके लिए स्वास्थ्य मंत्री का निजी निवास अंबिकापुर का कल भाजपा द्वारा घेराव किया गया था। उसके जवाब में आज एनएसयूआई और युवा कांग्रेस सरगुजा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का पुतला दहन किया है और बताया है की हसदेव अरण्य की दूसरी फेस की खदान की स्वीकृति भाजपा सरकार में दी गई थी जिसे आज खदान के लिए पेड़ काटकर वहां पर खदान खोली जा रही है तो इसमें कांग्रेस सरकार कहां से जिम्मेदार है यह तो 2011 में भाजपा के शासनकाल में ही तय कर लिया गया था और स्वीकृति भी दे दी गई थी जिसे आज भाजपा के लोग बेफिजूल राज्य सरकार के ऊपर आरोप लगा रहे है।
कल स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव रायपुर में थे ऐसे में यदि भाजपा को घेराव करना भी था तो रायपुर उनकी मौजूदगी में घेराव करना था।
आज ‘पहल’से भोपाल जाते समय एअरपोर्ट पर ही फोन पर हुई बातचीत में स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने कहा कि” मैं तो यहां हूं,विनम्रता से कहा कि राजनीति में घेराव पर तो कुछ नहीं कहूंगा परंतु कानून व्यवस्था प्रशासन की जिम्मेदारी है।”
ये सही है कि धरना प्रदर्शन व घेराव राजनीति का महत्वपूर्ण अंग हैं मगर इसमें भी एक मर्यादा होती है। यदि स्पष्ट आंकलन किया जाए तो निष्पक्ष रूप से ये कहना ही होगा कि पूर्व मुख्यमंत्री डाॅक्टर रमन सिंह और इस विवाद में भाजपाई के द्वारा लाए जा रहे टी एस सिंहदेव ने अपने राजनैतिक जीवन में हमेशा एक सभ्यता व मर्यादा से भरे वक्तव्य ही दिए हैं।
कल हुए घेराव से अब भाजपा के कुछ गंभीर और संगठन के लोग भी इसे अंबिकापुर में चंद भाजपाईयों की राजनैतिक अपरिपक्वता की संज्ञा दे रहे हैं।
हास्यास्पद तो ये है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इस मामले में ग्रामीणों के साथ खड़े होने की बजाय तू तू मैं मैं कर पूरे मुद्दे से ही भटकते जा रहे हैं।
वहीं कल एक ओर भाजपाई जब ‘तपस्या ‘ का घेराव कर रहे थे उसी दिन शहर के भाजपा के पार्षद आलोक दुबे से डाॅक्टर रमन सिंह अपने निज आवास पर पूरे प्रकरण समेत अन्य जानकारी ले रहे थे।
स्पष्ट है कि इस घेराव से भाजपाईयों की किरकिरी भी हुई लोग कह भी रहे हैं कि न माया मिली न राम।क्योंकि मंत्री की अनुपस्थिति में घेराव हर किसी की समझ से बाहर है।
यहां तक कि कई भाजपाई स्वयं इससे दूरी बनाते दिखे भी।आवास घेरने का श्रेय तो मिला नहीं बल्कि आज अपने प्रधानमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री का पुतला फुंकवाने का आरोप और इनके ऊपर आ गया।