छत्तीसगढ समेत कई राज्य में ट्रेनों के परिचालन में पिछले वर्ष से अभी तक भारी अनियमितता बनी हुई है।इस अनियमितता से जनता अब बुरी तरह त्रस्त हो चुकी है।
हालात तो ये हैं कि रेल्वे की ‘समय सारणी ‘ इन शब्दों की अब कोई कीमत ही नहीं रह गई है। लगातार छत्तीसगढ में ट्रेन रद्द होती रहीं। जब पूछा गया तो जवाब दिया गया कि सितंबर से सब ठीक हो जाएगा मगर ये भी एक झूठा वादा निकला।
बिलासपुर नागरिक सुरक्षा मंच के अमित तिवारी ने कहा “ट्रेनों की लेटलतीफ़ी से आम जनता अब बेहद त्रस्त हो चुकी है।ट्रेनों के परिचालन में समय का कोई महत्व ही नहीं रह गया है।कभी कभी तो कोई ट्रेन छह से आठ घंटे भी देर से आ रही है।इससे कई राज्य के लोग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।लोगों के ज़रूरी काम तक इन ट्रेनों के चक्कर में छूट रहे हैं।”
बात सही भी है आज भी ट्रेनों के माध्यम से ही भारत में सबसे अधिक यात्रा पर जोर दिया जाता है।लेकिन भारतीय रेल अब अपने परिचालन की व्यवस्था को लेकर अपनी विश्वशनीयता खोती जा रही है ये बेहद चिंतनीय और गंभीर विषय है।
बिलासपुर नागरिक सुरक्षा मंच 12 अक्टूबर को बिलासपुर में रेल रोको आंदोलन करेगा यदि समाधान नहीं हुआ तो इस आंदोलन को वृहद रूप दिया जाएगा।
छत्तीसगढ में भाजपा के सांसदों को भी आमजन के लिए उनकी आवाज़ को ऊपर पहुंचाना चाहिए परंतु कोई भी भाजपा सांसद इस गंभीर और नियमित रूप से बड़ी आबादी के प्रभावित होने के बाद भी इस मुद्दे पर मौन है इससे भी जनता में आक्रोश है।
देखना ये है कि मालगाड़ी के परिचालन में पूरी समय सारणी का ध्यान रख रही रेल्वे की समय सारणी आमजन के लिए भी सजीव होगी या अवशेषों की भांति दीवार पर ही दिखती नज़र आएगी।