32% आरक्षण को लेकर बस्तर संभाग के सातों जिलों में बंद का आवाहन सफल रहा आदिवासी सड़क पर निकल चुके हैं।
कांग्रेस और भाजपा राजनीति कर रही है आखिर आदिवासियों का पक्ष सही तरीके से उच्च न्यायालय बिलासपुर में क्यों नहीं रखा गया?
मामला उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली जाना लगभग तय है और इस पर वर्तमान कांग्रेस सरकार को कोई ठोस निर्णय 17 अक्टूबर की बैठक होने जा रही है उसमें हर हालत में लेना होगा।
मंत्रालय सूत्र बता रहे हैं कि विधानसभा का विशेष सत्र नवंबर के प्रथम सप्ताह में बुलाया जा सकता है और एक लाइन का संकल्प यह सदन आदिवासियों को 32% आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन हमें 17 अक्टूबर के कैबिनेट की बैठक का निर्णय का इंतजार करना होगा।
वर्तमान कांग्रेस सरकार को फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा जहां अनुसूचित जनजाति वर्ग का आरक्षण का प्रतिशत कम हुआ है वे आंदोलन कर रहे हैं।
अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण 12% से बढ़कर 16% हो चुका है अगर सरकार इसमें कोई हाथ डालती है तो अनुसूचित जाति वर्ग भी सड़क पर उतर सकता है?

मामला दोनों पार्टी के बड़े वोट बैंक से यानि आदिवासी समाज से जुड़ा है।इसलिए आज कवर्धा में भूपेश बघेल समेत दो दिग्गज मंत्री भी आदिवासी समाज के कार्यक्रम में गए।और अब से कुछ देर पहले ही कांग्रेस के राजीव गांधी भवन रायपुर में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस को आदिवासी समाज का हितैषी बताते हुए आरक्षण में कमी को पूर्व की रमन सरकार को दोषी ठहराते हुए कई बातें रखीं।

देखिए कांग्रेस की प्रेस विज्ञप्ति।

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी

प्रेस विज्ञप्ति

कांग्रेस आदिवासियों के 32 प्रतिशत आरक्षण की पक्षधर – मोहन मरकाम

कांग्रेस सरकार हर संभव कानूनी उपाय करेगी

आदिवासी समाज के आरक्षण की कटौती के लिये रमन सिंह, भाजपा दोषी-कांग्रेस

रायपुर/10 अक्टूबर 2022। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मथ्रकाम ने कहा कि कांग्रेस सरकार आदिवासी समाज के हितों के लिये प्रतिबद्ध है। आदिवासी समाज को उनको आबादी के आधार पर पूरा 32 प्रतिशत आरक्षण मिले यह कांग्रेस सरकार हर हाल में सुनिश्चित करेगी। बिलासपुर उच्चन्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गयी है। मुकुल रोहतगी, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनुसिंघवी जैसे नामी वकील आदिवासी आरक्षण का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखेंगे। कांग्रेस आदिवासी समाज के हितो के लिये पूरी कानूनी लड़ाई लड़ेगी। हमें पूरा-पूरा भरोसा है राज्य के आदिवासी, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग सभी के साथ न्याय होगा। उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण का लाभ मिलेगा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मथ्रकाम ने कहा कि पूर्ववर्ती रमन सरकार ने यदि 2012 में बिलासपुर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किये गये मुकदमे में सही तथ्य रखे होते तथा 2011 में आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 58 प्रतिशत करने के समय दूसरे वर्ग के आरक्षण की कटौती के खिलाफ निर्णय नहीं लिया होता तब आरक्षण की सीमा 50 से बढ़कर 58 हो ही रही थी तो उस समय उसे 4 प्रतिशत और बढ़ा देते सभी संतुष्ट होते कोर्ट जाने की नौबत नहीं आती और न आरक्षण रद्द होता। आरक्षण को बढ़ाने के लिये तत्कालीन सरकार ने तत्कालीन गृहमंत्री ननकी राम कंवर की अध्यक्षता में मंत्री मंडलीय समिति का भी गठन किया था। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भी कमेटी बनाई गयी थी। रमन सरकार ने उसकी अनुशंसा को भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जिसका परिणाम है कि अदालत ने 58 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया। रमन सरकार की बदनीयती से यह स्थिति बनी है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण में कटौती की दोषी पूर्ववर्ती रमन सरकार है। भाजपा कितनी भी नौटंकी कर ले उसकी गलती छुपने वाली नहीं है। प्रदेश का आदिवासी समाज भाजपा को माफ नहीं करेगा। कांग्रेस आदिवासी समाज के सामने भाजपा की इस बदनीयती को बेनकाब करेगी। कांग्रेस बतायेगी रमन सरकार ने जानबूझकर ऐसा फैसला लिया था जो कोर्ट में रद्द हो जाये। अपने फैसले को बचाने के लिये ठोस उपाय नहीं करने के रमन सिंह की बदनीयती सामने आई है।

सुशील आनंद शुक्ला
अध्यक्ष कांग्रेस संचार विभाग


छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी दोनों पार्टी इस मुद्दे पर स्वयं को आदिवासी समाज के साथ होने का दावा तो कर रही हैं लेकिन गल्तियां कहां हुईं इसकी जानकारी परत दर परत सामने आते जाएगी।

By admin

You missed