छत्तीसगढ पुलिस को अब आमजन की नहीं बल्कि अपराधियों के द्वारा स्वयं के काम के प्रमाण की ज़रूरत पड़ने लगी है।
दीपावली के पहले दिन दहाड़े दुर्ग ज़िले के अम्लेश्वर में एक सराफा व्यवसायी की चार लोगों के द्वारा जघन्य हत्याकांड को खुलेआम अंजाम दे दिया जाता है।इसमें एक दुर्दांत अपराधी पहले ही पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था।बाद में इसके हौसले इतने बुलंद हुए कि ये फरार क़ैदी अपने तीन साथियों के साथ मिलकर लूट और हत्याकांड को अंजाम दे देता है।
छत्तीसगढ में कानून व्यवस्था जो कि खुद वेंटिलेटर पर पड़ी है जब इसकी चौतरफा निंदा होती है तो इन चारों अपराधियों को जल्दी दबोच भी लिया जाता है।
फिर शुरू होती है पूछताछ। इसके बाद इनसे पुलिस वाले वरिष्ठ अधिकारी के सामने हंसते हुए कहते हैं कि छत्तीसगढ पुलिस के बारे में क्या ह जिस पर ये कहता है झारखंड पुलिस है अन्य राज्य की पुलिस है मगर लोग कहते हैं छत्तीसगढ पुलिस के चक्कर में नहीं पड़ना।
अब तो राज्य के कानून विद और स्वयं पुलिस विभाग के आला अधिकारी तय करें कि क्या इस तरह की पूछताछ और स्वीकारोक्ति के वीडियो वायरल कर पुलिस के अधिकारी क्या चाहते हैं।
क्या ये मर्यादा के अनुकूल है?
एक ओर एक व्यक्ति की हत्या हुई है। दीपावली में आज उस व्यक्ति के घर दिए जलने की जगह आंसुओं की झड़ी लगी हुई है वहीं पुलिस हंसी की फुलझड़ी छोड़ने में लगी हुई है।
भाजपा रायपुर के ज़िला उपाध्यक्ष अमरजीत सिंह छाबड़ा ने तो इस पर बेहद तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कह डाला है कि पुलिस को अब अपराधी सर्टिफिकेट देंगे।
अमरजीत सिंह छाबड़ा यहीं नहीं रूकते और कहते हैं कि ” वाह रे छत्तीसगढ पुलिस,वाह रे सरकार। एक ओर तो एक परिवार के मुखिया की हत्या हो गई और पुलिस अपराधी का वीडियो डाल रही है उसे बेटा कहकर,भाई कहकर संबोधित करते हुए बिहार,उत्तर प्रदेश की पुलिस से अपने को श्रेष्ठ बता रही है।अरे थोड़ा उस परिवार के दर्द को तो समझिए जिसने अपना मुखिया खोया है।”
‘पहल’ भी पुलिस के इस वीडियो की कटु आलोचना करता है।दुर्ग ज़िले के एसपी डाॅक्टर अभिषेक पल्लव ने दंतेवाड़ा में मानवीय संवेदना के साथ उत्कृष्ट कार्य किया था। उन्हें तो कम से कम इस विषय की गंभीरता और एक परिवार की पीड़ा को गहरे तक समझना था।
जब पुलिस के आला अधिकारी ही अपने कर्तव्यों के दायित्व की गंभीरता को नहीं समझ पायेंगे उस स्थिति में इनके मातहत कर्मचारी इनसे क्या सीख लेंगे ये विचारणीय व बेहद ही गंभीर प्रश्न है।इस प्रश्न का जवाब राजधानी रायपुर के पुलिस मुख्यालय व मंत्रालय में बैठे उन तमाम अधिकारियों को भी सोचना होगा जिनके ऊपर छत्तीसगढ राज्य में अमन चैन स्थापित करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।