भारतीय संस्कृति में कार्तिक मास का विशेष महत्व है।इसी माह में दीपोत्सव के बाद चित्रगुप्त पूजा भी होती है।भगवान चित्रगुप्त को प्रत्येक व्यक्ति के कर्म का हिसाब किताब पूरी तरह से नीर क्षीर होकर रखने वाला माना जाता है।

दीपावली के ठीक बाद द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा कर भाई दूज मनाने की भी परंपरा हमारे धर्म में है।

छत्तीसगढ के छोटे और साफ सुथरे शहर अंबिकापुर में गुदरी बाज़ार में भगवान चित्रगुप्त का मंदिर है।यहां कायस्थ समाज के द्वारा प्रतिवर्ष इस दिन भव्य पूजा कर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए जाते हैं।

भगवान चित्रगुप्त की शोभा यात्रा अंबिकापुर में।
कायस्थ समाज के अध्यक्ष हेमंत सिन्हा ने कहा कि विगत 7 वर्ष से ये शोभा यात्रा निकाली जा रही है।

आज अंबिकापुर के मुख्य जगहों से भगवान चित्रगुप्त की भव्य शोभा यात्रा निकाली गई जिसका स्वागत जगह जगह प्रत्येक समाज के लोगों ने भरपूर उत्साह के साथ किया।

शोभा यात्रा में पुरूषों के साथ साथ महिलायें व कायस्थ समाज की लड़कियों ने भी पूरे उत्साह के साथ भाग लिया।

शोभा यात्रा का स्वागत जगह जगह लोगों ने पुष्प वर्षा कर जैसे ही किया वैसे ही लोगों के मुंह से निकला कि आज भी इस छोटे से शहर में जो भाईचारा और प्रेम है वो हरेक जगह के लिए एक मिसाल है।

विशाल शोभा यात्रा आज आकर्षण का केंद्र बनी रही।

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