तीन बार लगातार छत्तीसगढ में राज करने वाली भाजपा के लिए पिछले विधान सभा चुनाव की करारी हार का दंश देश भर में तेजी से पैर पसार रही भाजपा के लिए एक नासूर सा बन चुका है।हालत ये हो गई है कि भूपेश सरकार के सामने राज्य का बड़े से बड़ा भाजपाई नेता भी हर मामले में बेअसर हो गया।अब चुनाव के डेढ़ साल से भी कम समय बचे हैं ये देखते हुए केंद्रीय भाजपा संगठन ने अजय जमवाल को जब छत्तीसगढ और मध्य प्रदेश का क्षेत्रीय संगठन मंत्री बनाकर भेजा,उसी समय ये फुसफुसाहट शुरू हो गई थी कि क्या अजय जमवाल इस राज्य में बदतर हालत को सुधार पाने में सफल हो पायेंगे?

प्रश्न गंभीर था साथ ही अपनी जगह पूरी तरह से सही भी।जुलाई अंत में औपचारिक तौर पर क्षेत्रीय संगठन मंत्री के रूप में ज्यों ही अजय जमवाल ने अपना कार्यभार संभाला तो दो मीटिंग के बाद ही भाजपाईयों को समझ आ गया कि छत्तीसगढ में व्यापक और आश्चर्य चकित करने वाले निर्णय अब होंगे।अजय जमवाल ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की। संघ जैसे संगठन के वो अब आजीवन सदस्य हैं। इनके पिता भारतीय सेना में कर्नल रह चुके हैं,ऐसे में अनुशासन व देशभक्ति की भावना इन्हें विरासत में ही मिली। पंजाब में जब इन्हें प्रभार सौंपा गया तो इन्होंने भाजपा अकाली दल के गठबंधन से नए परिणाम दिए।इसके बाद भाजपा के लिए पूर्वोत्तर ( नार्थ ईस्ट) राज्य में इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर संगठन ने भेजा जिसमें ये बहुत तेजी से नई रणनीतियों के साथ सफल रहे।इनके काफी निकट रह चुके व इन्हें जानने वाले इनके बारे में यही कहते हैं कि जमवाल जी बहुत मृदुभाषी हैं।शांत और गंभीर व्यक्तित्व के अजय जमवाल के मन में क्या चल रहा है ये समझ नहीं आता।

सामाजिक समीकरणों का ताना बाना बुनकर परिणाम को अपने पक्ष में कुशलता से लाने वाले ये शख्स अब छत्तीसगढ में खुलकर त्वरित निर्णय लेकर आने वाले समय में चौंकाते रहेंगे।निःसंदेह छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कद बहुत तेजी से बढ़ा है,इसके विपरीत भाजपा के दिग्गज नेताओं ने अपना कद अपने आचरण से लगातार छोटा किया। इसे देखते हुए अब भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व हर एक घटना पर बारीकि से नज़र गड़ाए हुए लगातार देख रहा था।

आज इसी कड़ी में लगातार बेअसर साबित हो रहे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय की छुट्टी कर इनकी जगह बिलासपुर के सांसद अरूण साव को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक तीर से दो शिकार किया गया है।पिछले चुनाव में साहू और कुर्मी वोट भाजपा से दूर हो गए थे उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए अरूण साव का नाम एक दूरगामी निर्णय साबित हो सकता है।सूत्रों की मानें तो छत्तीसगढ में कांग्रेस सरकार के बनने पर साहू समाज के मुख्यमंत्री की बात फिर ढाई साल ढाई साल के मुख्यमंत्री की बात,ये सब कांग्रेस के लिए आने वाले समय में सरदर्द ही साबित होंगे।इस स्थिति में अजय जमवाल और केंद्रीय संगठन की राजनीति के शतरंज में तीखी चालें भाजपा को फिर से राज्य की सत्ता में स्थापित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होंगी। प्रदेश अध्यक्ष के बदलाव के बाद ही नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने भी दिल्ली के लिए उड़ान भरनी चाही है।नेता प्रतिपक्ष के रूप में इनका काम भी निराश करने वाला ही रहा है,ऐसे में छत्तीसगढ भाजपा में कई बदलाव शीघ्र ही संभावित हैं।

6 thoughts on “क्या छत्तीसगढ में मृतप्राय भाजपा के लिए संजीवनी बनकर आए हैं अजय जमवाल?”
  1. वर्तमान परिवेश में बहुत अच्छे समीक्षा के साथ यह संपादकीय सराहनीय हैl समाज के सभी वर्तमान समस्याओं एवं संबंधित समाधान की समीक्षा करते रहेंगे, आपको कामयाबी जरूर मिलेगी अशेष शुभकामनाएं बहुत-बहुत बधाई l

  2. राष्ट्र के प्रति समर्पित निष्पक्ष खबरों के लिए अगणीय समाचार बने ऐसी मंगल शुभकामनाओं के साथ बहुत-बहुत बधाई एवं भविष्य की मंगल शुभकामनाएं

  3. बहुत अच्छी रिपोर्टिंग हार्दिक शुभकामनाएं

Comments are closed.

You missed