गोवा में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एवं भाजपा की गुप्त बैठक
06012023

पणजी :
कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता सांसद राहुल गांधी पदयात्रा पर निकले हुए हैं, भीड़ बहुत आ रही है, ऐसे में भी भाजपा आने वाले चुनाव को लेकर बहुत अलर्ट है।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा का संगठन 2023 में होने वाले छत्तीसगढ़ सहित 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव में विजय पताका फहराने के साथ 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पुनः लोकसभा चुनाव में विजय प्राप्त कर, फिर एक बार केंद्र में सरकार बनाने की रणनीति पर गंभीर चिंतन मनन कर रहे हैं।
महत्वपूर्ण बैठक
ऐसी ही एक महत्वपूर्ण बैठक गोवा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन के साथ ही संघ के अनुषांगिक संगठनों की बैठक चल रही है, यह बैठक दो दिवसीय है, इस बैठक में उपरोक्त राज्यों के जहां चुनाव होने वाले हैं और लोकसभा के चुनाव के विषय में आंतरिक गंभीर रणनीति पर दिशा निर्देश तय किया जाएगा।
दिल्ली में कार्य समिति की बैठक
जेपी नड्डा का कार्यकाल समाप्त
16 जनवरी और 17 जनवरी को भाजपा के राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक नई दिल्ली में होने जा रही है, गोवा की गुप्त बैठक में जो निर्देश मिलेंगे, उसी के मुताबिक इस राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में चर्चा होगी, 20 जनवरी 2023 को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रसाद नड्डा जी का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, क्या उन्हें एक्सटेंशन मिलेगा या फिर धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव के नाम पर विचार होगा। भाजपा का संगठन चुनाव का भी समय आ चुका है संभवतः उसे भी अप्रैल 2024 तक बढ़ाया जा सकता है और उसके बाद संगठन चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ की जा सकती है।


केन्द्रीय मंत्रीमंडल में फेरबदल के साथ संगठनात्मक बदलाव के संकेत
सूत्र यह भी बता रहे हैं कि गोवा की बैठक के बाद और भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक संपन्न होने के बाद केंद्रीय मंत्री परिषद में भी फेरबदल होगा, कुछ मंत्रियों को हटाया जाएगा, कुछ नये चेहरों को शामिल किया जाएगा, इसमें छत्तीसगढ़ को और भी प्रतिनिधित्व को मिल सकता है। इसके अलावा केन्द्रीय संगठन के साथ कुछ प्रदेश के संगठनों में भी फेरबदल किए जाएंगे, ऐसा सूत्र बता रहे हैं।

उधर गोवा में गुप्त बैठक चल रही है इधर छत्तीसगढ में क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जमवाल सरगुजा संभाग में जमकर बैठक ले रहे हैं।

भाजपा की सबसे बडी चिंता छत्तीसगढ को लेकर है क्योंकि जिस तरह यहां भाजपा का संगठन तीन बार लगातार सरकार रहने के बाद भी मृतप्राय हो चुका है उसे लेकर कई गंभीर प्रश्न बाहर आ रहे हैं जिससे केंद्रीय संगठन की छत्तीसगढ में सक्रियता लगातार बढ़ती ही जा रही है।

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