आज छत्तीसगढ का बस्तर संभाग धर्मांतरण के मुद्दे पर सुलग रहा है और सरकार समेत विपक्ष में बैठी भाजपा भी इस संवेदनशील मुद्दे पर कोई सार्थक पहल न कर खाली राजनीति ही करने में लगी है।

आज भूपेश बघेल ने धर्मांतरण को लेकर एक चौंकाने वाला सनसनीखेज आरोप भाजपा पर लगा डाला।

धर्मांतरण के मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बड़ा बयान-

धर्मांतरण के मुद्दे में कांग्रेस के पास सूची है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में कितने चर्च बने भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में धर्मांतरण हुआ तभी चर्च बने। सभी सूची हैं हमारे पास भारतीय जनता पार्टी अब लड़ नहीं पा रही है उसके पास केवल 2 ही मुद्दे बचे हैं धर्मांतरण और संप्रदायिकता दो ही मुद्दे हैं जिसमे बीजेपी की मास्टरी है लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी कोई भी षड्यंत्र कर ले सफल नहीं होंगे असफल ही होगा।

राम मंदिर को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बड़ा बयान-

राम मंदिर न्यायालय के आदेश पर बना है भारतीय जनता पार्टी ने नहीं बनाया है उसमें ट्रस्ट बनाया गया संगठन बनाया गया है सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राम मंदिर बन रहा है, भारतीय जनता पार्टी नहीं बना रही,
राम वन गमन पथ पर्यटन बनाने की बात है तो कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में कोई आदेश नहीं किया, हमने अपनी श्रद्धा से भव्य मंदिर बनाया और बना भी रहे हैं बहुत भव्य मूर्ति शिवरीनारायण में 35 फीट ऊंची राम की मूर्ति बना रहे हैं 51 फिट की चंदखुरी में राम का मंदिर स्थापित किया है जहाँ कौशल्या माता का मंदिर है लगातार हम काम कर रहे हैं हम वोट की राजनीति नहीं करते हैं बीजेपी वोट के लिए काम कर रहे हैं, हम आस्था के लिए काम करते हैं जो भगवान राम को पूजने की छत्तीसगढ़ में परंपरा है बनवासी राम के रूप में शबरी के राम के रूप, कौशल्या के राम शबरी के राम वनवासी राम और हमारे छत्तीसगढ़ के लिए भचा राम के रूप में हम स्मरण करते हैं हम सब के आस्था का केंद्र है

बहरहाल भूपेश बघेल कुछ भी कहें मगर पिछले साल सुकमा एसपी के धर्मांतरण पर लिखे पत्र को जिसमें स्थानीय प्रशासन को आगाह किया था यदि छत्तीसगढ में भूपेश सरकार ने गंभीरता से लिया होता तो आज नारायणपुर एसपी का सर नहीं फूटता। साथ ही स्थिति इतनी भयावह नहीं होती।

भूपेश बघेल का सनसनीखेज आरोप “मेरे पास सूची है कि भाजपा के शासनकाल में कितने चर्च बने।”
सुकमा एसपी का महत्वपूर्ण पत्र।काश कांग्रेस सरकार इसे गंभीरतापूर्वक ली होती।

देखा जाए तो पिछली भाजपा सरकार भी दोषी तो है ही परंतु वर्तमान सरकार भी इस मामले पर एक आईपीएस अधिकारी के लिखे पत्र को गंभीरता से न लेकर इस मुद्दे पर व्यर्थ की राजनीति में लगी है ये कहना गलत न होगा।साथ ही वर्तमान राज्य सरकार का खुफिया विभाग भी इस मामले में असफल साबित हुआ है।

एक ओर बस्तर संभाग के कुछ ज़िले लगातार आदिवासियों में वर्ग संघर्ष के गवाह बनकर राजनैतिक दलों की ओर अपेक्षा भरी निगाह से देख रहे हैं।देखना ये है कि राजनैतिक दल संवेदनशील होकर इस मर्म को समझ पायेंगे या यूं ही आरोप प्रत्यारोप का तमाशा जारी रखकर तमाशबीन बने रहेंगे।

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