कम होते उजड़ते जंगल दिन पर दिन अब मानव व हाथियों के बीच द्वंद बढ़ाते जा रहे हैं। सरगुजा समेत पूरे संभाग में जिस तरह से जंगलों का विनाश माफियाओं के द्वारा वन विभाग व प्रशासन की मिली भगत से हुआ है उससे आने वाले दिनों में स्थिति और भी विकराल होती जाएगी।
आज अंबिकापुर शहर के एकदम समीप पहुंचा हाथियों के दल से बिछड़ा हाथी दल का एक युवा सदस्य जिससे शहर के आसपास इलाकों में हड़कंप मच गया है।वन विभाग मौके पर तैनात होकर हाथियों पर ड्रोन कैमरे से नजर बनाए हुए हैं। दरअसल अंबिकापुर शहर में हाथियों की मौजूदगी पिछले कई सालों से देखने को मिल रही है। आज तड़के सुबह अंबिकापुर शहर से लगे खैरबार से लगे नर्सरी में हाथी पहुँच गया है. वही हाथी ने आते समय शहर के कुछ इलाकों में दीवाल तोड़कर नुकसान भी पहुँचाया है. जिसकी वजह से शहर के आसपास के लोगों में डर का माहौल बन गया है। मौके पर वन विभाग के आला अधिकारी भी मौजूद हैं. इधर शाम होने का इंतज़ार वन विभाग के द्वारा किया जा रहा है।जिससे शाम होते ही हाथी को जंगल की ओर खदेड़ने की कवायद की जाएगी, साथ ही वन विभाग की टीम द्वारा शहर के आसपास इलाकों में हाथी से दूर रहने की मुनादी भी करवाई जा रही है।अब देखना होगा कि हाथी को वन विभाग कब तक जंगल की ओर खदेड़ पाता है।क्योंकि अब वन विभाग के जंगल भी खाली कागज पर ही नज़र आते हैं हक़ीक़त में जंगल को उजाड़ कर कई जगह बस्तियां बना दी गई हैं।
घोर आश्चर्य तो ये है कि डीएफओ पंकज कमल कह रहे हैं कि ये स्थिति पहली बार आई है अब इन्हें जब यही पता नहीं है कि इसके पहले भी हाथी एक बार एसपी और निकट के बंगले तक पहुंच गया था।इसके बाद एक बार और भी शहर के नज़दीक आ गया था।मगर जब यहां पदस्थ डीएफओ को जब यहां के बारे में और जंगली हाथियों के दल के आगमन के बारे में ही सही सही पता नहीं है तो ये पूरे शहर और ज़िले के लिए दुर्भाग्य की बात है कि इस तरह के असंवेदनशील अधिकारी जिनके कंधे पर वन व वन्यप्राणियों के समुचित देखभाल व संवर्धन की जिम्मेदारी है तो वो कितनी ईमानदारी से अपने कर्तव्य का पालन करने में लगे हैं ये राज्य सरकार समेत केंद्र सरकार को भी संज्ञान लेना होगा अन्यथा इस ज़िले की स्थिति बद से बदतर ही होती जाएगी।
अब इन वन विभाग के इतने बड़े अधिकारी को कौन बताए कि महाशय हाथी तो शहर के अंदर तक आ चुके थे एक बार। काश उन सब तथ्यों से सीख लेते और वनों के विस्तार पर गंभीरतापूर्वक काम किए होते तो आज ये दशा इस समृद्ध ज़िले की कतई नहीं होती।