मुख्यमंत्री की घोषणा पर पलीता लगा दिये ज़िला प्रशासन और नगरीय निकाय प्रशासन

छत्तीसगढ़ अनाधिकृत विकास का नियमितीकरण विधेयक 2022

रायपुर :
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जनप्रिय और महत्वाकांक्षी योजना को नगर पालिका, नगर पंचायत एवं नगर निगम और कलेक्टर (कार्यालय) पलीता लगाने में तुले हुए हैं।
इस योजना से छत्तीसगढ़ सरकार को करोड़ों रुपए की आय होने वाली है, लेकिन रायपुर नगर निगम का ही मामला देख लिया जाए तो 28 नवंबर 2022 को उपरोक्त योजना के तहत जो बैठक हुई और जितने मामले उस बैठक में जिसकी अध्यक्षता कलेक्टर रायपुर करते हैं और अन्य इसके सदस्य हैं जिसमें नगर निगम के अधिकारी कर्मचारी भी शामिल हैं उसमें स्वीकृत मामलों का भी अभी डिमांड के लिए हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। जिससे हितग्राहियों में कलेक्टर और नगर निगम के रायपुर के प्रति रोष व्याप्त है।
सुस्त कलेक्टर और ज़िला प्रशासन
बताया जाता है उपरोक्त योजना के तहत कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है जहां पर रायपुर नगर निगम के द्वारा सभी जोन से प्राप्त उपरोक्त योजना के तहत मामले नियमितीकरण के लिए प्रस्तुत किया जाना रहता है, लेकिन 28 नवंबर 2022 के बाद आज 27 जनवरी 2023 हो गई, एक भी बैठक संपन्न नहीं हुई है।
कोई जानकारी चाहे तो एक ही जवाब “विचाराधीन है”
रायपुर नगर निगम के सूत्रों के अनुसार और सभी जोन कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब 2000 नियमितीकरण के मामले विचाराधीन है, बैठक नहीं होने के कारण मामले प्रस्तुत नहीं किए जा सके हैं।
कलेक्टर का अबतक हस्ताक्षर ही नहीं हुआ
प्रक्रिया यह बताई जाती है कि इस बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद डिमांड के आधार पर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग उसका मूल्यांकन करती है और संबंधित पक्ष को नोटिस जारी कर राशि पटाने का निर्देश देती है, लेकिन 28 नवंबर 2022 को पास प्रस्ताव का डिमांड पर अभी कलेक्ट्रेट में हस्ताक्षर ही नहीं हुए हैं अगली बैठक बुलाई ही नहीं गई है।
शासन को नुकसान
जिससे छत्तीसगढ़ सरकार को जो करोड़ों रुपए की आय होने वाली है उसे से सरकार वंचित हो रही है।
क्या मुख्यमंत्री-मुख्य सचिव संज्ञान में लेंगे?
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन और अन्य अधिकारियों को विशेष संज्ञान में लेना चाहिए कि वह कौन-कौन लोग हैं जो सरकार की योजना को पलीता लगा रहे हैं।

देखना ये है कि ये चुनाव वर्ष है।दोनों ही पार्टियां विगत 3 महीने से इलेक्शन मोड पर हैं इससे भी राज्य सरकार को सबक लेना चाहिए क्योंकि इसी निरंकुश अफसरशाही और सुस्त संगठन ने भाजपा को छत्तीसगढ में करारी हार तक पहुंचा दिया था।ऐसे में यदि आमजन के हित की योजनायें प्रभावित होती हैं तो इसका सीधा सीधा असर वर्तमान सरकार पर पड़ेगा।

रायपुर नगर निगम में यदि ये क्रियान्वयन हो जाता तो पूरे राज्य में इस योजना का अनुसरण कर लाभ लिया जा सकता था।

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