‘लता मंगेशकर’ सात अक्षरों से मिलकर बना एक ऐसा नाम जो भारत समेत कई देश के लोगों की दिनचर्या में शामिल है।संयोग देखिए संगीत में भी सात स्वर होते हैं,लता मंगेशकर इस नाम में सात अक्षर।ऐसा लगता है जैसे इस नाम में सातों स्वर पूरी तरह से समाए हुए हैं।
आज के दिन ही भारत रत्न लता मंगेशकर जी इस भौतिक जगत से विदा लेकर अनंत यात्रा पर निकल गईं।’लता’ जी के नाम को हम उल्टा कर पढ़ें तो ये ‘ताल’ होता है।लता जी के जीवन में हमेशा एक लय और ताल थी जैसे वो सुरों को साधकर गीत गाती थीं एक लय और ताल में,वैसे ही इनके जीवन में भी लय थी।ब्रम्ह मुहूर्त पर उठकर जब ये मां सरस्वती के दिए सुरों की वीणा पर साधना में लीन होतीं तो लगता था सुरों की देवी मां वीणावादिनी के समक्ष स्वयं साधना कर रही हैं।
जीवन पर्यन्त इन्होंने संगीत की साधना की।नाम,प्रसिद्धि,फ़िल्मी गीतों के अंबार लगे होने पर भी इनकी ब्रम्ह मुहूर्त की संगीत साधना कभी नहीं छूटी।
जब मदन मोहन के संगीत निर्देशन में इन्होंने ‘आपकी नज़रों ने समझा,प्यार के काबिल मुझे’ गाया तो संगीतकार नौशाद ने कहा कि मदन मोहन मेरा पूरा संगीत ले लें और ये ग़ज़ल जो लता मंगेशकर ने इस मधुर धुन पर गाई है वो मेरे नाम कर दें।
लता मंगेशकर पूरे देश की दिनचर्या में शामिल एक ऐसा नाम हैं जिनके बिना दैनिक जीवन की शुरुआत ही नहीं होती।सुबह सुबह आकाशवाणी के केंद्रों से पायो जी मैंने राम रतन धन पायो व अन्य भक्ति गीत चिड़ियों की चहचहाहट व मंदिर में बजते घंटियों की ध्वनि के साथ वातावरण में गुंजायमान होते हैं तो प्रतीत होता है कि पूरा वातावरण भक्तिमय हो चुका है।
फ़िल्मों में चाहे वो मोहब्बत के तराने हों या रोमांटिक युगल गीत, लता जी ने हर गीत के साथ साथ हर एक संगीतकार के साथ पूरा न्याय किया। उन गीतों को गाकर उन्हें अमर कर दिया।देशभक्ति गीत ‘जो समर में हो गए अमर मैं उनकी याद में,गा रही हूं श्रद्धा गीत’ हो या कवि प्रदीप का लिखा हुआ ‘ ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आंख में भर लो पानी,जो शहीद हुए हैं उनकी,ज़रा याद करो कुर्बानी’ हो।ये सब सुनकर हर देशभक्त भाव विभोर हो जाता है।
लता मंगेशकर ने अपने समकालीन गायकों मोहम्मद रफ़ी,मुकेश,किशोर कुमार,मन्ना डे के साथ स्टेज शो भी किए जिसे दर्शकों ने दिल से सराहा।वहीं अपने भाई ह्रदय नाथ मंगेशकर के संगीत निर्देशन में भी यादगार गीत गाते हुए अपनी गायिका बहनों के साथ स्टेज पर जो लाईव शो किया वो अविस्मरणीय है।
लता जी आज भगवान के घर में भी तानपुरा लेकर सुरों की साधना में लीन होंगी ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी।
सुरों की देवी को ‘पहल’ की ओर से सादर श्रद्धांजलि।