आयकर विभाग द
आयकर विभाग द्वारा साझा की गई जानकारी और PMLA, 2002 की धारा 17 के तहत जब्त किए गए दस्तावेजों और डिजिटल उपकरणों के विश्लेषण से पता चला है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत उप सचिव, सौम्या चौरसिया, प्रमुख व्यक्तियों में से एक हैं। सिंडिकेट के मुखिया सूर्यकांत तिवारी हैं। चूंकि इस परिमाण और प्रकृति का जबरन वसूली रैकेट तभी संभव था जब कई राज्य की एजेंसियां इसमें संलिप्त रहीं और सभी ने सूर्यकांत तिवारी के अवैध कार्यों का समर्थन किया। यह सौम्या चौरसिया के कारण संभव हुआ था ताकि कोयला खनन ज़िलों में दबंग अधिकारी तैनात किए जा सकें जो सूर्यकांत तिवारी की बात सुनें।
साथ ही, यह एक अलिखित नियम था कि सूर्यकांत तिवारी के निर्देश का मतलब सौम्या चौरसिया की आवाज़ और होने वाली शक्तियां थीं। तथ्य यह है कि सूर्यकांत तिवारी के उनके साथ व्यक्तिगत और करीबी आधिकारिक व्यवहार थे और अधिकारियों को उनके निर्देश दे रहे थे, जिससे सूर्यकांत तिवारी के लिए वरिष्ठ ज़िला स्तर के अधिकारियों को भी आदेश देना संभव हो गया।
यह कहा गया है कि व्यक्ति ज़िला स्तरीय खनन अधिकारियों के साथ या व्हाट्सएप संदेश/कॉल के माध्यम से सीधे शारीरिक संपर्क में थे। यह भी कुछ खनन अधिकारियों द्वारा स्वीकार किया गया है कि एनओसी जारी करने की पूरी प्रणाली एक दिखावा थी और एक अनावश्यक जोड़ थी और डीओ (डिलीवरी ऑर्डर) के खिलाफ कोई एनओसी नहीं दी गई थी, जब तक कि रुपये की अवैध लेवी राशि नहीं थी। सूर्यकांत तिवारी के आदमियों को 25 प्रति टन कोयले का भुगतान किया गया। कि, अवैध नकदी के संग्रह के इस तंत्र को सूर्यकांत तिवारी द्वारा जमीन पर सुगम / समन्वित किया गया था, और प्रणाली बिना किसी रुकावट के और बिना किसी रुकावट के चलती थी क्योंकि सूर्यकांत तिवारी को राज्य में सर्वोच्च शक्तियों का समर्थन प्राप्त था और उनके साथ घनिष्ठ संबंध होने के कारण श्रीमती सौम्या चौरसिया और बदले में कुछ अन्य वरिष्ठ आईएएस/आईपीएस अधिकारी भी शामिल थे।
चौंकाने वाला तथ्य तो ये है कि राजनेताओं को बंटे रूपए जो करोड़ों में हैं इसका भी ईडी ने चार्जशीट पर उल्लेख किया है।राज्य के वर्तमान व पूर्व विधायकों को भी रूपए दिए गए। झारखंड भी पहुंचाए गए साथ ही बैंगलोर भी भेजा गया।इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि किस तरह एक सुनियोजित षड्यंत्र करके पूरे सिस्टम को तैयार कर कोयले पर अवैध लेवी वसूली की जा रही थी।इसमें सूर्यकांत और सौम्या चौरसिया का किरदार अहम था।
यहां तक कि ईडी की चार्जशीट पर बेहद महत्वपूर्ण खुलासा हुआ है कि सौम्या चौरसिया को 36 करोड़ रूपए मनीष उपाध्याय और जय के द्वारा भेजे गए हैं।वहीं राजनैतिक दलों समेत वरिष्ठ राजनीतिज्ञों को भी 52 करोड़ रूपए। छत्तीसगढ के वर्तमान विधायकों को 4 करोड़ रूपए और पूर्व विधायकों व राजनीतिज्ञों को 6 करोड़ रूपए देने का चौंकाने वाला उल्लेख है।
तय है कि आने वाले समय में बड़े नाम का ईडी की गिरफ़्त में आना तय है।ईडी की टीम लगातार अभी भी छत्तीसगढ में कई तथ्य खंगाल रही है।