अभिनेताओं व अभिनेत्रियों के साथ फोटो खिंचवाकर रखना एक स्टेटस सिम्बल बन गया है। इसी तर्ज पर आज कई लोग राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के साथ फोटो खिंचवाकर उसे बहुत कम समय में ही हर जगह ये कहकर प्रचारित कर देते हैं कि अमुक नेता के साथ मेरे घनिष्ठ संबंध हैं।इस तरह से कुछ लोग लगातार चर्चा में भी बने रहते हैं।मगर राजनैतिक दिग्गजों को इस मामले पर बेहद सावधानी बरतने की आवश्यकता है,क्योंकि अभी हाल ही में नोएडा में एक पाॅश कालोनी में रहने वाले श्रीकांत त्यागी यूपी के कई दिग्गज नेताओं के साथ फोटो खिंचवा खिंचवा कर रखे रहता था। इन फोटो को दिखाकर वो कई जगह रूतबा दिखाकर अपना काम निकालता था।हक़ीक़त तो तब पता चली जब ये खुलेआम एक महिला से बत्तमीजी कर पूरी कानून व्यशस्था व प्रशासन के लिए जी का जंजाल बन गया। छत्तीसगढ में भी दोनों ही पार्टियों में ऐसे लोग भरे हुए हैं जो वरिष्ठ लोगों को किनारे कर बड़े बड़े नेताओं के साथ अपनी नजदीकियां दर्शाने के लिए फोटो वायरल अभियान में लगे रहते हैं।हां नामी दिग्गज नेताओं को अब ये तय करना चाहिए कि या तो वे हर कार्यकर्ता को चाहे वो छोटा हो या बड़ा,उनके साथ एक जैसा सरल सहज बर्ताव करें या वीआईपी कल्चर को दिखाते हुए अपनी ही पार्टी के अन्य लोगों को जिसमें जमीनी कार्यकर्ता हैं उनमें हीन भावना न पैदा करें।

खासकर छत्तीसगढ के संदर्भ में प्रचंड बहुमत से सत्ता पर आसीन कांग्रेस सरकार से मुकाबला करने के लिए भाजपा के राज्य के बड़े नेताओं से लेकर केंद्रीय संगठन के नेताओं को भी अब हर तरह की सावधानी बरतनी होगी।बड़े नेताओं के मिनट टू मिनट कार्यक्रम होने के बावजूद भी वो कई बार पार्टी के कुछ लोगों की मंशा न समझते हुए भी प्रेम व्यवहार के नाते फोटो खिंचवाने का आग्रह नहीं ठुकरा पाते। यही चूक उनके व पार्टी के लिए भी कभी कभार ही सही पर मुसीबत का सबब बन जाती है। इस मामले में हर पार्टी के नेताओं को एक दिशानिर्देश अविलंब जारी करने चाहिए या तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह सख्ती दिखाते सेल्फी या अकेले अकेले फोटो सेशन कराने की परंपरा पर रोक लगाने की कोशिश शुरू करनी चाहिए। इस मामले पर आसाम के मुख्यमंत्री हेमंत बिरसा शरमा से भी सभी राजनैतिक लोग सीख ले सकते हैं कि किस तरह वो आमजन एवं अपने राज्य के जमीनी स्तर की जनता से भरपूर आत्मीयता से मिलकर सभी हे एक समान भाव से मिलने की बात को ही तरजीह देते हैं।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ में पिछली बार राज्य और केन्द्र के बड़े बड़े भाजपा नेताओं के साथ कई स्थानीय नेता फोटो खिंचवा खिंचवा कर शहर से लेकर कस्बों तक अपनी फोटो ही चस्पा करने में लगे रहे।परिणाम ये हुआ कि ज़मीन से जुड़े ज़मीनी कार्यकर्ताओं में ही अपनी पार्टी के नेताओं के लिए सम्मान का भाव खत्म होता गया ,जनता जनार्दन इनके काम को तो देख नहीं पाई हां उल्टा रोज रोज पोस्टर देखकर ऐसी चिढ़ी की भाजपा को सबक सिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

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