छत्तीसगढ में कांग्रेस सरकार को घेरने का काम भाजपा का होना चाहिए मगर भाजपा विधायकों का काम कांग्रेस के तेजतर्रार नेता कर रहे हैं। आश्चर्य तो इस बात का है कि भाजपा के गिनती के विधायक हैं और उसमें भी इक्का दुक्का ही कांग्रेस सरकार को विधान सभा में घेर पाते हैं।

प्रदेश सरकार बताए, बाघों पर 183 करोड़ से ज्यादा रकम कहां खर्च की गई?

ताजा मामला कांग्रेस के कद्दावर राष्ट्रीय नेता स्वर्गीय मोतीलाल बोरा के पुत्र अरूण बोरा का है जिन्होंने विधान सभा में बाघों के लिए छत्तीसगढ सरकार के किए कार्य और खर्च पर अपनी ही सरकार के वन मंत्री को जमकर घेरा। इसके बाद जाकर भाजपा के पूर्व वन मंत्री जागे और आज सवाल खड़े किए।मगर इनके सवाल पर भी सवाल ये खड़ा हो रहा है कि आखिरकार 15 वर्षों तक सत्ता में रह चुकी भाजपा के नेताओं को क्या इन बातों के लिए मुद्दों के लिए अब कांग्रेस के विधायकों का मुंह ताकना पड़ रहा है।

पूर्व वन मंत्री गागड़ा ने पूछा क्या अब अन्य प्राणियों की राशि में भ्रष्टाचार की नई इबारत लिखी जा रही है?

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि प्रदेश सरकार ने पिछले 2019 से 2022 (तीन वर्षों) में राज्य भर के कुल 19 बाघों पर 183.77 करोड़ खर्च कर दिए जबकि विशेषज्ञों व वन्यजीव संरक्षण के अभियान के लिए काम करने वालों का मानना है कि रिजर्व फॉरेस्ट के बाघों के खान-पान पर कोई खर्च ही नहीं किया जाता।

पूर्व वन मंत्री एवं भाजपा नेता श्री गागड़ा ने कहा कि प्रदेश सरकार क्या अब वन्य प्राणियों के लिए तयशुदा बजट राशि में भी भ्रष्टाचार का कोई नया अध्याय लिख रही है? श्री गागड़ा ने कहा कि 2019 से 2022 के वर्षों में खर्च की गई इतनी बड़ी रकम के बारे में प्रदेश सरकार स्थिति स्पष्ट करे। हर क्षेत्र में कमीशनखोरी, भ्रष्टाचार और घोटाले करके छत्तीसगढ़ को कांग्रेस पार्टी का एटीएम बनाने वाली मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार नित नए घोटालों की इबारत लिख रही है और अब तो वन्य प्राणियों की बजट की राशि को लेकर सामने आए तथ्य इस सरकार के भ्रष्टत्तम राजनीतिक चरित्र की गवाही दे रहे है। श्री गागड़ा ने कहा कि रिजर्व फॉरेस्ट में पेट्रोलिंग को छोड़कर बाघों पर कोई खर्च नहीं होता और न ही वहां कोई बड़ा निर्माण कार्य हो सकता है। यह जंगल है और बाघों को वहां नितांत प्राकृतिक वातावरण में रखना होता है, तब यह रकम कहां खर्च की गई?

भाजपा नेता व पूर्व मंत्री श्री गागड़ा ने कहा कि प्रदेश सरकार वन्य जीव संरक्षण और संवर्धन के नाम पर भी कोरी लफ्फाजी कर रही है। इस सरकार में न केवल वन्य प्राणियों की मौत, शिकार और तस्करी के मामले बढ़े हैं, अपितु जंगली इलाकों में बसे गांव में वन्य प्राणियों के मामलों में ग्रामीणों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। श्री गागड़ा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पिछले 4 साल में जंगली हाथियों के हमले में 204 लोगों की मौत हुई। इसी तरह 45 हाथी भी सुरक्षा की बदइंतजामी के चलते मारे गए। वन्य प्राणियों के शिकार और उनकी तस्करी के मामलों में बेहद इजाफा होना प्रदेश की कांग्रेस सरकार के नाकारापन की ताकीद कर रहे हैं। श्री गागड़ा ने कहा कि हाथियों के खान-पान के लिए, हाथियों को धान खिलाने की शेखी बघारती प्रदेश सरकार हाथ बांधे बैठी नजर आ रही है। हाथियों को आबादी इलाकों में आने-जाने से रोकने के लिए रिजर्व लेमरू प्रोजेक्ट का भी अब तक कोई अता-पता नहीं है। कुल मिलाकर प्रदेश सरकार ने अपने कुकर्मों और भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए शिगूफे छोड़ने के अलावा कोई ठोस काम नहीं किया है। अब बाघों पर 183.77 करोड़ रुपए के खर्च का यह सच इस सरकार को कठघरे में लाने के लिए पर्याप्त है।

कांग्रेस के अरूण बोरा के द्वारा 15 मार्च को ये तीखा प्रश्न किया गया था उसकी काॅपी।

वन्य जीव व पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे प्रसिद्ध नितिन सिंघवी।

वन्य जीव व पर्यावरण के लिए काम कर रहे नितिन सिंघवी इन सब मुद्दों पर बहुत गंभीर हैं।उनका कहना है” जिस तरह समर्पण के साथ इस पर काम करना चाहिए वो नहीं किया जा रहा हैये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।रूपरेखा बनाना और उसे क्षेत्र में व्यवहारिक रूप से क्रियान्वयन कराने में ज़मीन आसमान का अंतर दिखता है।”

बहरहाल ये सब मुद्दे देशवासियों के लिए राज्य की सीमा से परे जाकर भी मायने रखने वाले होते हैं और इनमें कोताहि बरतने वालों को कटघरे में खड़ा कर जिम्मेदारों के गैर जिम्मेदार कृत्य के लिए उन पर कठोर कार्यवाही होनी भी ज़रूरी है।

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