एसपी सरगुजा के पीछे हैलमेट और सुरक्षा जैकेट में दुबके कलेक्टर सरगुजा की ये तस्वीर ही काफी कुछ बयां कर दे रही है।आखिर ये नौबत क्यों आई?

पीछे बैकग्राउंड में खूबसूरत प्रकृति,मैदान में आक्रोशित ग्रामीण और ज़िले की एसपी के पीछे सहमे से कलेक्टर सरगुजा।जी हां ये तस्वीर सरगुजा ज़िले की हैं।तस्वीर देखकर तो ये लगता है कि किसी खूबसूरत लोकेशन पर बकायदा किसी फ़िल्म की शूटिंग हो रही है।मगर हक़ीक़त बहुत भयावह और मानव समाज को झकझोर देने वाली है।

दरअसल सरगुजा ज़िले के ग्राम चिरंगा में खुलने वाले मां कुदरगढ़ी एलुमिना प्लांट के ज़मीन पर 4000 से अधिक ग्रामीणों ने बैठकर प्रदर्शन किया।इस दौरान ग्रामीणों से चर्चा करने पहुँचे कलेक्टर- एसपी को ग्रामीणों ने घेर लिया और फैक्ट्री नही खुलने को लेकर विरोध किया गया। जिसके बाद अधिकारियों को बैरंग वापस लौटना पड़ा।दरसअल ग्राम चिरंगा में खुलने वाले माँ कुदरगढ़ी एलुमिना फैक्ट्री का विरोध ग्रामीणों के द्वारा पिछले 4 सालों से किया जा रहा है,बावजूद ज़िला प्रशासन के द्वारा इन ग्रामीणों की आवाज़ नही सुनने पर ग्रामीणों ने आक्रामक रवैया अपना लिया है।ये सीधे सीधे निष्क्रिय राजनीति और ज़िला प्रशासन की अक्षमता को साबित करने के लिए पर्याप्त है।बीते कई दिनों से ग्रामीणों को सूचना मिल रही है कि फैक्ट्री के लिए ज़मीन का सीमांकन किया जाएगा। जिसे लेकर ग्रामीण रतजगा करने पर मजबूर हैं।वही संबंधित थाने में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती भी की गई है।लेकिन इन सबके बीच ग्रामीणों से बात करने के लिए ज़िले के कलेक्टर कुंदन कुमार ,एसपी भावना गुप्ता पहुँचीं वो भी बड़े लावालश्कर के साथ।जहा ग्रामीणों से बात किया तो ग्रामीणों ने साफ कहा कि फैक्ट्री खुलने नही देंगे. इसके बाद अधिकारियों को बैरंग वापस लौटना पड़ा।

वहीं कलेक्टर ने बताया कि फैक्ट्री खुलने वाली जगह के आसपास के ग्रामीणों की ज़मीन सीमांकन के आवेदन आए हैं। इस आधार पर सीमांकन किया जा रहा है।एसपी ने कहा कि जिस तरह से ग्रामीणों के द्वारा लाठी-डंडे, तीर, धनुष गुलेल सहित पत्थरों से लैस होकर ग्रामीण मौजूद थे, इससे लगता है कि इस क्षेत्र को हिंसा के रूप में ग्रामीण तब्दील करना चाहते हैं।

अब सरगुजा एसपी भावना गुप्ता की ये गंभीर दलील इन ग्रामीणों के लिए तो है लेकिन ज़िले में लचर कानून व्यवस्था भी किसी से छिपी नहीं है इसकी जिम्मेदारी भी एसपी सरगुजा बखूबी करतीं तो निःसंदेह उनकी बातें प्रभाव पैदा करतीं मगर ऐसा है नहीं।

सबसे बड़ी बात तो ये कि 12 गांव वाले जल जंगल ज़मीन के लिए इतने आक्रामक क्यों होते जा रहे हैं।एक दर्जन गांव के लोग सरकार के रवैये से काफी नाराज़ हैं।आश्चर्य तो ये कि विपक्ष में बैठी भाजपा के दो तथाकथित कद्दावर नेता पूर्व राज्य सभा सांसद राम विचार नेताम और वर्तमान

आखिर कलेक्टर कुंदन कुमार को क्यों बोलना पड़ा कि कंपनी की बात ही नहीं है।ग्रामीण खुलकर सामने आए।

सांसद रेणुका सिंह इस बेहद संगीन मामले पर मौन क्यों हैं?और तो और ग्रामीण अब खुलेआम खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का विरोध जमकर कर रहे हैं इस मामले को भी भाजपा आखिर क्यों नहीं भुना पा रही।

आक्रोशित महिला का बयान मर जायेंगे लेकिन प्लांट नहीं लगने देंगे।

ये तो तय है कि प्लांट लगा रहा उद्योगपति लंबी चौड़ी ज़मीन विकास के नाम पर हथियाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाकर इन सीधे गरीब निश्छल ग्रामीणों के सामने बेहद खूबसूरत प्राकृतिक जगह को कुछ लोगों से मिलीभगत कर हथियाने में लगा हुआ है।

एक ओर पूरे विश्व में पर्यावरण को लेकर लोग जागरूक हो रहे हैं वहीं हमारे देश में जागरूकता व अशिक्षा के कारण लोग आज भी इधर ध्यान नहीं दे रहे।

सरगुजा की खूबसूरती को ग्रहण लगाने में तुला ये प्लांट विकास तो कम अपने निज स्वार्थ के लिए इस क्षेत्र को क्या देने की मंशा रखता है ये धीरे धीरे अब पानी की तरह साफ होता जा रहा है।

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