सरगुजा ज़िले के कई ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन चुके एक प्लांट पर आखिरकार राजनेता मौन क्यों हैं? वहीं एक पत्थरबाज किस तरह भाजपा के एक बड़े नेता का खास था जो पूरी पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बन गया।इसी पर आज कुछ बड़े खुलासे ‘पहल’ पर प्रमाण के साथ किए जा रहे हैं।

छत्तीसगढ के सरगुजा संभाग के सरगुजा ज़िले में कई गांव वाले एक प्लांट का पुरजोर विरोध करते आ रहे हैं। ये है चिरगा में लगने वाले कुदरगढ़ी एल्यूमिनियम प्लांट। ग्रामीण इसके लिए उग्र प्रदर्शन तक कर चुके हैं मगर पक्ष विपक्ष इस बेहद संगीन और प्रकृति से जुड़े मुद्दे पर मौनी बाबा बनकर बैठे हुए हैं।

राज्यसभा में सांसद के समय पूर्व सांसद रामविचार नेताम ने स्वयं शपथ पत्र में मां कुदरगढ़ी बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड में अपनी रकम को लगाने का उल्लेख किया है।वर्तमान में यही कंपनी आज कई गांव वालों के आक्रोश का कारण बनी हुई है।वहीं तस्वीर में साथ खड़े शख़्स के बारे में चौंकाने वाला खुलासा।

पूर्व मंत्री व राज्यसभा सांसद का ये शपथ पत्र आज भी राज्यसभा की साईट पर आप आसानी से देख सकते हैं।ताज्जुब तो ये कि इसके बाद भी सरगुजा ज़िले के कांग्रेस नेता इन सब बातों के विरोध की बजाय मौनी बाबा का रोल निभा रहे हैं वहीं कांग्रेस नेताओं के गोलमाल में ज़िले के दिग्गज भाजपाई भी मौनी बाबा बनकर भरपूर मित्रता निभा रहे हैं।

मां कुदरगढ़ी बीजनेश प्राइवेट लिमिटेड उल्लेख किया गया है।

ये तो था भाजपा के तथाकथित कद्दावर नेता रामविचार नेताम का उनके द्वारा ही उल्लेख किया गया ब्यौरा।विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार मां कुदरगढ़ी कंपनी जो कि चिरंगा में एल्यूमिनियम प्लांट स्थापित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है वो सरगुजा संभाग के मुख्य जगहों जहां जहां बाॅक्साईट है वहां की बड़ी ज़मीन कौड़ियों के दाम लेकर प्लांट के नाम पर कुछ और बड़े कारोबार को करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है।इन धनकुबेरों व बाहुबली बनते जा रहे लोगों को राजनेताओं का भरपूर संरक्षण मिल रहा है जिससे प्रशासन पूरी तरह से मूक बधिर बन चुका है।

अब बात दूसरे मामले की।

इन चारों तस्वीर में भाजपा के पूर्व सांसद के साथ खासमखास बना ये शख्स है पत्थरबाज महबूब खान।जिसे भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा में बलरामपुर ज़िले का अध्यक्ष बनाने का श्रेय भी रामविचार नेताम को काफी हद तक जाता है।कुछ खुलासे इस शख्स के बारे में।

भाजपा ने रामविचार नेताम को छत्तीसगढ के उत्तर यानि सरगुजा संभाग से एक बड़ा आदिवासी चेहरा बनाने का भरपूर प्रयास किया लेकिन 2013 में ये खुद हारे और 2018 में विधान सभा चुनाव में इनकी व इनके समर्थकों की नकारात्मक भूमिका से पार्टी भी हैरान रह गई। संगठन में भी इनकी वर्चस्व वादी सोच से पार्टी हितों को तगड़ा नुकसान हुआ। यहां तक कि बलरामपुर ज़िले के विजयनगर गांव में हिंदू संगठनों की इसी रामनवमी में 30 मार्च को निकाली गई शोभा यात्रा में इनके समर्थक महबूब खान सहित 15 से 20 लोगों ने लाठी डंडा पत्थर से हमला कर दिया जिसका मामला विजयनगर चौकी में आईपीसी की धारा 147, 148,149,427,294,506 और 34 के तहत मामला दर्ज हुआ है। यहां तक कि हिंदू हित की बात पर राजनीति करने वाली भाजपा ने भी इस महबूब खान की हक़ीक़त जानकर इसे पार्टी से बाहर कर दिया है।

यदि पुलिस मौके पर पहुंच कर स्थिति को कड़ाई से नियंत्रित नहीं करती तो वहां के समाचार से छत्तीसगढ सरकार की किरकिरी होती लेकिन पुलिस व प्रशासन की सक्रियता से एक बड़ा घटनाक्रम टल गया।

अब सवाल ये उठता है कि लगातार संगीन विवादों और अपनी पार्टी के लिए ही लगातार मुसीबत खड़ा कर रहे रामविचार नेताम पर भाजपा का संगठन क्या रूख अपनाता है इसे लेकर क्षेत्र के लोग नज़रें गड़ाए बैठे हैं।ये सब घटनाक्रम निःसंदेह पार्टी के लिए तो कतई अच्छे संकेत नहीं माने जा सकते वहीं दूसरी ओर ये सुगबुगाहट तेजी से है कि कुछ लोग ये सब मामले को लेकर सीधे हाईकमान को सौंपकर वस्तुस्थिति बतलाकर अभी भी समय रहते चेत जाने के संकेत देने के लिए पूरा मन बनाकर समय की प्रतीक्षा में हैं।

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