सरगुजा ज़िले में प्रशासन किस तरह चल रहा है इसका प्रमाण देख आप सब भी चौंक जायेंगे। ज़िले में सरकारी ज़मीन को हथियाने का खुला खेल राजस्व अमले के संरक्षण में खुलेआम चल रहा है।
ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला सरगुजा ज़िले के बतौली विकास खंड से सामने आया है।इस मामले के सामने आने पर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के होश भी उड़ गए। इसलिए क्योंकि जिस व्यक्ति ने सरकारी ज़मीन को अपने नाम करा लिया वो कोई और नहीं बल्कि यहीं का स्थानीय नागरिक है और सरकारी कर्मचारी भी।सरकारी कर्मचारी के रूप में गरियाबंद ज़िले में मैनपुर में सहायक शिक्षक है। गरियाबंद ज़िले के प्रभारी मंत्री के नाते इसे निज कार्यालय में कार्यालयीन कार्य सम्पादित करने के लिए रखा गया था।
भूपेंद्र यादव ने अपने पद का प्रभाव दिखाते हुए लंबी चौड़ी सरकारी ज़मीन अपने नाम करा ली।मामला यहीं तक नहीं रहा इस सरकारी ज़मीन के बड़े भूभाग को अपने नाम चढ़वाकर बकायदा धान भी बेच डाला।हैरानी की बात ये कि इतना कुछ हो जाने के बाद भी राजस्व अमले और धान खरीदी में लगे अधिकारी कर्मचारियों ने इस मामले पर चुप्पी साधते हुए सीधे तौर पर सरकार को ही नुकसान पहुंचाया।
जब ‘पहल’ ने एसडीएम रवि राही से बातचीत कर मामले के बारे में पूछा तो ये एक दिन तक टालते रहे फिर व्हाटसअप पर मैसेज किया इसके रिप्लाई में मामला संज्ञान में आया है हम रिपोर्ट कराए हैं कार्यवाही कर रहे हैं जैसा जुमला इन्होंने चिपका डाला।हैरानी तो इस बात की है कि एसडीएम जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे हुए अधिकारी को ही जब अपने अधिकार और कर्त्तव्यों के बारे में पता नहीं है तो नीचे का अमला किस हद तक मनमानी कर बंदरबांट में लगा होगा इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
सूत्रों के अनुसार मात्र बतौली विकास खंड में ही लगभग 200 एकड़ ज़मीन की बंदरबांट की गई है।इसमें स्थानीय नेता भी पूरी तरह से लिप्त हैं।40 एकड़ से अधिक का ये मामला तो मात्र सामने आया है।
वैसे भी चुनावी वर्ष में इस तरह के मामले अधिक खुलते हैं।बतौली के एक कांग्रेस नेता का नाम भी इस मामले पर प्रमुखता से आ रहा है मगर प्रशासन कछुआ चाल चलकर दिन बिता रहा है।आसानी से अंदाज़ लगाया जा सकता है कि 17 अप्रैल को इस मामले के मास्टर माईंड भूपेंद्र यादव को मंत्री अमरजीत भगत ने भारमुक्त कर दिया।आज महीना ख़त्म होने को है लेकिन आरोपियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है ये जानकारी भी एसडीएम नहीं देना चाह रहे।
जबकि सरकारी ज़मीन तुरंत नाम चढ़ गई साथ ही धान बिके हुए भी 4 महीने से ऊपर हो गए वो भी सरगुजा ज़िले से दो दो मंत्रियों के रहने के बावजूद। क्या सरगुजा ज़िले समेत संभाग में अब नेता मंत्री के करीबी और पिछले दिनों हुए पूर्व सांसद व मंत्री रामविचार नेताम के द्वारा पहाड़ी कोरबा की ज़मीन लेने के मामले से अब भू माफिया खुलेआम नियम कानून को धत्ता बताते हुए प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इस संभाग को अपनी सबसे बड़ी चारागाह बना चुके हैं ये बेहद गंभीर प्रश्न है।