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पूर्व विधायक,पूर्व राज्य सभा सांसद नंदकुमार साय के पार्टी छोड़ने का समाचार जंगल में आग की तरफ राजनैतिक गलियारे समेत देश प्रदेश में फैल चुका है। अब लगभग स्पष्ट होते जा रहा है कि बड़े-बड़े दिग्गज नेता जो जनसंघ से भाजपा तक पौधा को बरगद का पेड़ बनाने के लिए तन मन धन से अपना सहयोग किए आज बहुत पीड़ा से गुजर रहे हैं।
15 वर्ष के भाजपा शासनकाल में भी नंदकुमार साय सहित विगत आदिवासी नेताओं को और पिछड़ा वर्ग के दिग्गज भाजपा नेताओं को जो एक षड्यंत्र के तहत या तो पार्टी में किनारे लगा दिया गया या उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया कुछ बच् गए हैं शायद वह भी घुटन महसूस कर रहे हैं। प्रदेश भाजपा का नेतृत्व लगभग 15 साल भाजपा शासनकाल में जो ताकतवर रहे वैसे ही लोग स्थापित हैं जिससे भी लोग घुटन महसूस कर रहे हैं अभी भी समय है केंद्रीय नेतृत्व को कि छत्तीसगढ़ के मामले को संज्ञान में लें। इसे हल्के से ना लें महल में दीमक लग चुका है कब पूरा महल भरभरा कर गिर जाएगा पता ही नहीं चलेगा।
कार्यकर्ताओं में आज भी यह चर्चा का विषय है कि भ्रष्टाचार करने वाले लोग जो सरकार में थे आज वह संगठन पर काबिज है और कुछ बाहर से संगठन को कंट्रोल कर रहे हैं यह सब बंद होना चाहिए 2023 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव हैं और 2024 में लोकसभा के चुनाव नज़दीक हैं और छत्तीसगढ में खाली मीटिंग तक ही भाजपा सीमित है।