ब्रेकिंग न्यूज़-कल शाम से लेकर आज सुबह तक जिसमें भाजपा के लिए बीती रात जो बहुत भारी रही इसकी पूरी जानकारी काफी चौंकाने वाली है।जैसे ही छत्तीसगढ में भाजपा के बड़े आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने भाजपा से त्यागपत्र दिया और उनका फोन बंद हो गया वैसे ही भाजपा के तथाकथित दिग्गजों की नींद उड़ गई।
विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश भाजपा के कद्दावर नेताओं द्वारा भाजपा शासन काल के मुख्यमंत्री के ओएसडी रहे एक व्यक्ति को देवेंद्र नगर में जेल के पास नंदकुमार साय के बंगले पर भेजा गया था कि वह वहां जाकर बात कराएं लेकिन ओएसडी उस समय भयभीत हो गए जब वह नंदकुमार साय के बंगले बंगला के पास पहुंचे और बड़ी संख्या में वहां मौजूद फोर्स को देखा।वहीं से उन्होंने अपने आका को मोबाइल करते हुए कहा कि यहां अंदर जाना संभव नहीं है।
विश्वसनीय सूत्र यह बता रहे हैं की नंदकुमार साय यहीं बंगले में मौजूद हैं हालांकि चर्चा यह भी है कि वह नई दिल्ली में है लेकिन जिस तरीके से उनके देवेंद्रनगर बंगले में फोर्स तैनात की गई है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि नंदकुमार साय जी रायपुर बंगले में ही हैं।

सबसे बड़ी कड़ी नंदकुमार साय का किसी पद में न रहते हुए भी रायपुर के पाॅश एरिया में इनका सरकारी बंगला है जो कि कांग्रेस सरकार के छत्तीसगढ में सत्ता में आने के बाद भी इनके पास ही है। जबकि राहुल गांधी का बंगला 23 अप्रैल को खाली हुआ क्योंकि वो जब सांसद नहीं रहे तो नियम कानून का हवाला देकर भाजपा की मंडली ने इस मुद्दे को समाचार की सुर्खियां बना डाला।इसके बाद भी छत्तीसगढ के भाजपा संगठन ने इस प्रमुख बात पर ध्यान नहीं दिया कि नंदकुमार साय अब किसी ऐसे पद पर नहीं हैं जिससे ये भव्य सरकारी बंगला इनके पास रहे।आश्चर्य कि संगठन के पवन साय जो इतने दिनों से भरपूर निष्क्रियता के बाद भी छत्तीसगढ भाजपा संगठन में काबिज हैं वो इस तथ्य से अनजान रहे। साथ ही अरूण साव जो कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हैं वो भी आंख मूंदे रहे।हद तो ये कि अजय जमवाल जैसे धुरंधर को भी ये मामूली बात समझ नहीं आई।सवाल काफी गंभीर हैं जो छत्तीसगढ में भाजपा को रसातल में ले जा चुके मठाधीशों पर उठ रहे हैं।
आज 1 मई को 10:30 राजीव भवन शंकर नगर प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में नंदकुमार साय का कांग्रेस प्रवेश लगभग तय है सूत्र यह भी बता रहे हैं सिविल लाइन मुख्यमंत्री निवास से सभी मंत्रियों और महत्वपूर्ण पदों पर बैठे कांग्रेस पदाधिकारियों को संदेश पहुंच चुका है कि वह 10:30 बजे प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय राजीव भवन पहुंचें।

कांग्रेस के एक दिग्गज मंत्री ने नाम न उल्लेख करने की शर्त पर कल रात को ही ‘पहल’ को बताया कि नंदकुमार साय कल यानि 1 मई को कांग्रेस में प्रवेश करेंगे।
इनके पक्ष में और इनके विरोध में व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी में कई बातें पोस्ट की गई कुछ नए भाजपा के जुड़े कार्यकर्ता नंदकुमार साय जैसे नेताओं के बारे में लिख दिया कि पार्टी ने इन्हें सांसद बनाया लोकसभा का और राज्यसभा का मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य हैं छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्य हैं 2000 से2003 तक छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे उसके बाद केंद्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला और उन्हें क्या चाहिए था।
अब उन्हें कौन बताए उन्होंने कुछ मांगा ही नहीं वह मध्य प्रदेश भाजपा के भी अध्यक्ष रहे छत्तीसगढ़ भाजपा के भी अध्यक्ष हैं वह कभी केंद्रीय नेतृत्व के पास नहीं गए कि मुझे अध्यक्ष बना दे पार्टी ने इनके संघर्ष और त्याग और तन मन धन से काम करने की शैली को देखकर पद लेने इन्हें अनुरोध किया और वह पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की बात मानते रहे।
चिंतन इस बात का होना चाहिए कि आखिर ऐसी क्या स्थिति निर्मित हो गई कि उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी। इतना बड़ा निर्णय क्यों? प्रदेश नेतृत्व को भी इस पर चिंतन करना चाहिए और केंद्रीय नेतृत्व को भी।
नंदकुमार साय ने नवंबर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कोई टिकट नहीं मांगा ना कभी उन्होंने प्रदेश नेतृत्व से कुछ कहा ना केंद्रीय नेतृत्व से 2024 के लोकसभा चुनाव के टिकट के बारे में बात करना बेमानी होगा।
वे भाजपा में छत्तीसगढ़ स्तर पर आदिवासी नेतृत्व में बड़ा चेहरा थे स्वर्गीय बलीराम कश्यप के बाद भाजपा में आदिवासी के रूप में यह बड़े चेहरा थे।
चिंतन इस बात का भी होनी चाहिए कि वर्तमान केंद्रीय नेतृत्व को विक्रम उसेंडी को सिर्फ 6 माह का कार्यकाल देकर प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया और फिर उन्हें काम करने का मौका ही नहीं दिया और उन्हें हटा दिया। उसके बाद विष्णुदेव साय को प्रदेश अध्यक्ष बनाएं अचानक विश्व आदिवासी दिवस पर उन्हें पद से हटा दिया गया।
चार बार के लोकसभा सांसद संघर्षशील आदिवासी नेता सोहन पोटाई को एक आईपीएस के द्वारा प्रताड़ित करने के बाद और उनके प्रदेश के उस समय के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री सौदान सिंह से पूरी बात बताने के बाद भी उन्हें राहत नहीं मिली। यह वही आईपीएस अधिकारी था जिसने नेता प्रतिपक्ष के रूप में नंदकुमार साय का पैर तोड़ने का गंभीर अपराध किया था लेकिन भाजपा के 15 साल के कार्यकाल में वह बहुत ताकतवर बन चुका था और आखिर इसी के कारण पार्टी नहीं सोहन पोटाई जैसे कद्दावर आदिवासी नेता को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।
पांच बार के सांसद और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग का चेहरा ताराचंद साहू के साथ भी यही घटना घटित हुई और उन्हें भी पार्टी से निष्कासित कर दिया क्या।
जनसंघ से लेकर जनता पार्टी होते हुए भाजपा में संघर्ष करने वाली वीरेंद्र पांडे को भी 15 साल के भाजपा शासनकाल के ताकतवर गैंग ने पार्टी से निष्कासित कर दिया।
जशपुर के कद्दावर आदिवासी नेता और भाजपा सरकार में वन मंत्री रहे गणेश राम भगत के साथ भी ऐसा ही बर्ताव किया गया और उनकी टिकट काट दी गई बाद में उन्हें उपेक्षित भी किया गया।
15 साल के कार्यकाल में जो भाजपा सरकार का था उसमें छत्तीसगढ़ में उभरते हुए आदिवासी नेतृत्व और पिछड़ा वर्ग के नेतृत्व को लगभग षडयंत्र पूर्वक समाप्त कर ऐसे आदिवासी नेताओं को सामने लाया जो भाजपा में रहकर परिवारवाद को बढ़ावा देकर अपने परिवार को ही पदों में बैठाए।
ऐसी अनेक घटनाएं हुई और आज बड़ी संख्या में प्रदेश में भाजपा के नेता घुटन महसूस कर रहे हैं लेकिन बोल कुछ नहीं रहे हैं लेकिन यह स्पष्ट है कि जो परिणाम2018 के विधानसभा चुनाव में आए थे उसकी पुनरावृत्ति कहीं 2023 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर देखने को ना मिले।
अभी भी प्रदेश नेतृत्व और केंद्रीय नेतृत्व को चाहिए कि ऐसे षड्यंत्र कार्यों को पार्टी के प्रमुख पदों से तुरंत अलग करें और किसी भी ब्यूरोक्रेट को पार्टी मैं लाकर इतना महत्व ना दें जिससे पुराने कार्यकर्ताओं को दर्द हो।
नहीं तो जैसा चल रहा है वैसा चलता ही रहेगा।
बहरहाल भाजपा को जोर का झटका लगा है और ये बात पूरी तरह सामने आ चुकी है कि संगठन के लोग भी छत्तीसगढ में आकर आराम कर धनकुबेरों के यहां जाकर ही चाय पीना व खाना खाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहे हैं जिससे आज भी ज़मीनी कार्यकर्ताओं में निराशा के साथ साथ भरपूर आक्रोश भी है।

हालांकि नंदकुमार साय का कांग्रेस में जाना उनके लिए आत्मघाती होगा ये तय मगर कांग्रेस उनके अनुभव और उनके माध्यम से भाजपा की रणनीति को समझ कर एक पद व भरपूर सम्मान देकर भाजपा को आने वाले चुनावी समर में उसी के हथियार से चित्त करने का एक बड़ा कार्यक्रम बना चुकी है।

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