तहसीलदार की नौकरी छोड़ कर लखीराम अग्रवाल के प्रयास से जो कि भाजपा के कद्दावर नेता थे और मध्य प्रदेश भाजपा के कद्दावर नेताओं के अनुरोध पर उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और तहसीलदार के पद से त्यागपत्र दिया।
उन्होंने कभी भी पार्टी में पद नहीं मांगा उस समय स्थिति यह थी कि पार्टी आदिवासी नेता और पिछड़ा वर्ग नेता के साथी पार्टी को मजबूत करने के लिए नेताओं को अपने संपर्क में रखकर कार्य प्रारंभ तेजी से करते रहें यह अलग बात है की पार्टी के द्वारा नंदकुमार साय को पार्टी ने जो भी जवाबदारी दी उन्होंने ईमानदारी से निभाया।
2000 से 2003 तक नेता प्रतिपक्ष रहे अजीत प्रमोद कुमार जोगी की कांग्रेस सरकार में उन्होंने बहुत संघर्ष किया उस समय के रायपुर के पुलिस अधीक्षक रहे अधिकारी ने एक धरना प्रदर्शन के कार्यक्रम में उनके पैर तोड़ने तक की हिम्मत कर डाली।
2003 के विधानसभा चुनाव में उन्हें ऐसे स्थान से टिकट दिया गया जहां से चुनाव लड़ना और जितना असंभव था मरवाही विधानसभा क्षेत्र से उन्हें अजीत प्रमोद कुमार जोगी के विरुद्ध दे दिया गया तो उन्होंने पार्टी को सुझाव दिया कि मुझे और दूसरे स्थान से भी चुनाव लड़ वाया जाए लेकिन पार्टी में ताकतवर बन चुके नेतागण ने उन्हें षडयंत्र पूर्वक मरवाही से चुनाव लड़ माया और वह चुनाव हार गए छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बन गई और वह किनारे होते गए।
यह अलग बात है कि चुनाव हारने के बाद वह अपने गांव चले गए थे लेकिन पार्टी ने उन्हें काफी अनुरोध कर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया और पार्टी की बात हमेशा की तरह उन्होंने माना भी।
लेकिन दिसंबर 2003 से लेकर नवंबर2018 तक छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है और वही पुलिस अधिकारी इतना ताकतवर बन गया जिसका विरोध नंदकुमार साय करते रहे लेकिन कोई परिणाम सामने नहीं आया।
छत्तीसगढ़ भाजपा में कुछ नेता इतने ताकतवर बन गए थे कि वह अपने ही पार्टी के आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के नेताओं को धीरे-धीरे किनारे लगाते गए या उन्हें पार्टी से निष्कासित करते हैं दूसरी ओर सरकार धीरे-धीरे ब्यूरोक्रेट की चपेट में आ गई ब्यूरोक्रेट इतना ताकतवर हो गया था कि वह भाजपा सरकार के मंत्री और सांसद और अन्य नेताओं को कुछ समझना ही नहीं चाहते थे उसका परिणाम यह हुआ कि2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा।
सरकार से हटने के बाद लगभग वही गैंग छत्तीसगढ़ में भाजपा संगठन पर प्रदेश से लेकर जिला तक काबि ज हो गया और मनमानी करते रहा केंद्रीय नेतृत्व ने भी इसे संज्ञान में नहीं लिया नंदकुमार साय अपमानित होते रहे लेकिन प्रदेश भाजपा के स्थापित नेता उन्हें महत्व देना बंद ही नहीं किया बल्कि उनके विरुद्ध षड्यंत्र भी प्रारंभ कर दिया।
आखिर 30 अप्रैल 2023 को उन्हें एक बड़ा कदम उठाया।
सूत्र यह भी बता रहे हैं कि उन्हें सरकार में कोई बड़ा पद दिया जा सकता है।
कांग्रेसका विश्वसनीय सूत्र यह भी बता रहा है कि 2 मई 2023 को नई दिल्ली में नंदकुमार साय की श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ भेंट का समय तय हो चुका है संभावना है कि नंदकुमार साय कांग्रेश के नेताओं के साथ आज ही नई दिल्ली के लिए रवाना हो सकते हैं।
छत्तीसगढ़ भाजपा प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर से लेकर भाजपा का केंद्रीय कार्यालय6 पंडित दीनदयाल मार्ग नई दिल्ली में हलचल 30 अप्रैल की संध्या 7:00 बजे से रात भर चलती रही और यह वह मंथन आज भी 1 मई को जारी है लेकिन प्रदेश भाजपा के नेता केंद्रीय संगठन को क्या जवाब देंगे इसके लिए उन्हें परेशानी खड़ी हो रही है अब देखना होगा कि केंद्रीय संगठन छत्तीसगढ़ के बारे में क्या कोई बड़ा ऑपरेशन करेगी।आखिर छत्तीसगढ़ भाजपा के नेतृत्व को और केंद्रीय नेतृत्व को चिंतन और मंथन करना ही चाहिए।
तहसीलदार के पद से त्यागपत्र देने के बाद 1977 में नंदकुमार साय पहली बार छत्तीसगढ़ से त प करा जो वर्तमान में जसपुर जिला का हिस्सा है विधानसभा सदस्य बने..
1985 मे त प करा विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक बने…
1989 एवं1996 एवं2004 मैं रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के सांसद रहे..
2009 से2010 तक राज्यसभा के सदस्य रहे…
1997 से2000 मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे…
2003 से2005 तक छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे…
2000 से 2003 तक छत्तीसगढ़ के निर्माण होने के बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा में विधायक दल के नेता रहे और नेता प्रतिपक्ष रहे..
2017 मे नंदकुमार साय केंद्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रहे…
2003 छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में नंदकुमार साय को एक षडयंत्र पूर्वक मरवाही विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा गया जबकि उनका कहना था कि यहां से चुनाव जीतना संभव नहीं है मुझे पुरानी सीट से विधानसभा की टिकट दी जाए लेकिन छत्तीसगढ़ भाजपा के स्थापित नेतृत्व में उनकी एक नहीं सुनी और वह चुनाव हार गए…
यहीं से उनके विरुद्ध षड्यंत्र प्रारंभ हुआ ऐसा नंदकुमार साय जी का कहना है बार-बार केंद्रीय नेतृत्व को और प्रदेश नेतृत्व को और प्रदेश संगठन प्रभारी और प्रदेश भाजपा प्रभारी को अवगत कराने के बाद भी कोई परिणाम सामने नहीं आया इसके कारण आज मुझे इतना बड़ा कदम उठाना पड़ रहा है।
पार्टी का कार्यकर्ता खड़े करने में वर्षों लग जाते हैं तोड़ने में बिल्कुल समय नहीं लगता।
नए आए भाजपा कार्यकर्ताओं को इतनी गंभीर और गहरी बातों की जानकारी नहीं है आखिर छत्तीसगढ़ भाजपा के नेतृत्व को और केंद्रीय नेतृत्व को मंथन करना ही होगा कि ऐसे कौन षड्यंत्रकारी हैं जो भाजपा के आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के नेताओं को किनारे करते जा रहे हैं उनके चेहरे बेनकाब होना चाहिए।