आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसी शख़्सियत के बारे में जो सिर्फ अपने काम की छाप छोड़कर तमाम चकाचौंध से दूर रहते हुए कर्त्तव्य पथ पर चलने की प्रेरणा युवा पीढ़ी को दे रहे हैं।
छत्तीसगढ के सुंदर व छोटे शहर के होनहार अधिकारी की दूरदर्शी ‘पहल’ के गडकरी भी हैं प्रशंसक।
राष्ट्रीय राजमार्ग के बारे में एक रिपोर्ट के अनुसार -प्रत्येक वर्ष लगभग 85 प्रतिशत यात्री और 70 प्रतिशत माल ढुलाई सड़क मार्ग से होती है।हमारे देश में लगभग 63.73 लाख किलोमीटर सड़क नेटवर्क है,जो दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है।आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2014-15 में राष्ट्रीय राजमार्ग कुल 97,830 किलोमीटर था जो इस वर्ष यानि मार्च 2023 तक 1,45,155 किलोमीटर हो चुका है।इन्हीं आंकड़ों में से एक बड़ी महत्वपूर्ण बात और भी सामने आई है।इसके अनुसार 2014-15 में प्रतिदिन 12.1 किलोमीटर सड़क निर्माण से 2021-22 में देश में सड़क निर्माण की रफ्तार बढ़कर 28.6 किलोमीटर प्रतिदिन हो गई है यानि दोगुनी से भी अधिक। निःसंदेह जबसे नितिन गडकरी के पास परिवहन मंत्रालय आया है तबसे उनके कामों की चर्चा देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पूरे सम्मान के साथ हो रही है।नितिन गडकरी ने ये करिश्मा अपने होनहार अधिकारियों की टीम को खड़ाकर और उन पर पूरी तरह भरोसा कर एक रोडमैप बनाकर ये अविश्वसनीय काम किया है साथ ही नित नए आयाम रचने का काम भी बखूबी कर रहे हैं।
अंबिकापुर पहले अविभाजित मध्यप्रदेश का एक छोटा सा शहर था।देश तो क्या उस समय अंबिकापुर को मध्यप्रदेश के मानचित्र में भी दूरवर्ती सरगुजा ज़िला के एक छोटे से कस्बे के रूप में ही गिना जाता था।स्पष्ट है कि उस समय न तो आज की तरह संचार के माध्यम थे न ही कोई विशेष सुविधा।
अब बात करें आज के विषय की तो इस विषय के केंद्र में एक नाम आता है आशीष असाटी।इनके पिता श्री कोमल चंद असाटी भी इंजीनियरिंग कर सरकारी सर्विस में इंजीनियर बनकर आए।इनकी मां एक गृहणी रहीं दो भाई दो बहन की शुरूआती पढ़ाई अंबिकापुर के सरस्वती शिशु मंदिर से शुरू हुई।आशीष असाटी शुरू से ही मेधावी व गंभीर छात्र के रूप में जाने जाते थे।
1994 में IES के जरिए आशीष असाटी ने अपना कैरियर शुरू किया।अविभाजित मध्यप्रदेश फिर छत्तीसगढ के बाद दिल्ली में पोस्टिंग हुई।नेशनल हाईवे में काम करते हुए इनके काम के प्रति समर्पण और इनके विजन को जब नितिन गडकरी ने देखा तो वो भी इनके कायल हो गए। बड़ा प्रोजेक्ट जो कि नितिन गडकरी का देश के साथ साथ महाराष्ट्र के लिए भी एक सपना था। विगत वर्ष इन्हें दिल्ली से नागपुर अपने समीप ही ले आए।दरअसल गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी एक दिन में 42.2 किलोमीटर की सड़क का रिकार्ड बना और बकायदा नेशनल हाईवे के CGM और REGIONAL OFFICER का पद संभाल रहे आशीष असाटी को गिनीज बुक की ओर से सम्मान दिया गया।
वाकई न पद का अभिमान,न कोई चकाचौंध इसका पर्याय बन चुके आशीष असाटी के परिवार में माता पिता व इनके एक भाई व दो बहनों का परिवार भी ज़िदगी को सादे तरीके से जीने में यक़ीन रखता है।आश्चर्य तो ये कि सोशल मीडिया पर भी इनकी उपलब्धियों का उल्लेख इनके परिजन नहीं करते।ये सब आज की युवा पीढ़ी के लिए अनुकरणीय पहल होनी चाहिए।
इनके भाई छत्तीसगढ के अंबिकापुर में डाॅक्टर हैं।दोनों बहनों की शादी हो चुकी है एक कटनी व दूसरी मुम्बई में हैं।इनके छोटे भाई डाॅक्टर अमित असाटी और इनकी पत्नी डाॅक्टर श्रोती असाटी भी स्वीकारते हैं कि भैय्या को पब्लिसिटी बिल्कुल भी पसंद नहीं। वहीं इनकी मां का कहना है कि “आशीष आज भी सादे खान-पान और कठोर परिश्रम पर विश्वास करते हैं।चाहे वो कहीं भी रहें बिना प्याज लहसुन का खाना ही उन्हें चाहिए होता है।यदि बड़े होटलों में भी कोई कार्यक्रम हो तो फल लेना ही पसंद करते हैं और घर से ही एक छोटा सा टिफिन ले जाना पसंद करते हैं।”
बहरहाल राष्ट्रीय राजमार्ग के उन्नयन पर लगी नितिन गडकरी समेत इनकी पूरी टीम के होनहारों पर आज पूरे देश को गर्व है।होना भी चाहिए क्योंकि जिस तरह देश समेत विदेश में भी नितिन गडकरी के काम की तारीफ़ हो रही है उसके पीछे इनकी पूरी टीम है जो 24 घंटे में 15 से 16 घंटे काम कर हमारे आपके आवागमन के लिए कम समय में अधिक दूरी के मार्ग को बनाकर अपने ही विभाग के रिकॉर्ड को तोड़कर नए आयाम जो रच रही है।
छत्तीसगढ के अंबिकापुर के लिए भी आशीष असाटी की एक कार्ययोजना है जिससे यहां के होनहार लोगों को व आमजन को लाभ मिल सके।हां वो योजना कौन सी है ये अभी भी उनके मन में ही संकल्पित है।