‘पहल’ ने पूरे प्रमाण के साथ खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के निजी सचिव भूपेंद्र यादव के कारनामों का पूरे दस्तावेजों के साथ खुलासा किया था। ये खुलासा 29 अप्रैल को किया था।

छत्तीसगढ का सरगुजा संभाग जो कि प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।इस संभाग में ज़मीन दलाल बहुत तेजी से सक्रिय होकर अनाप शनाप तरीके से सरकारी ज़मीन की बंदरबांट कर भ्रष्टाचार की काली कमाई करने में बेखौफ़ लगे हुए हैं।

इस काम में कांग्रेस और भाजपा की गजब की जुगलबंदी है।भाजपा सत्ता में रहती है तो अधिकांश कांग्रेस के लोग ज़मीन की हेराफेरी पर मौन रहते हैं वहीं कांग्रेस के सत्ता में काबिज होने पर अधिकांश भाजपाई मौन रहते हैं। इसलिए ‘पहल’ ने लिखा है ‘भ्रष्टाचार के कीचड़ में पंजा और कमल की गजब की जुगलबंदी।’

‘पहल’ का ये दावा है कि कांग्रेस और भाजपा के अधिकांश ( पूरे नहीं अधिकांश) नेताओं की ज़मीन की जांच हो जाए तो लोगों के पैरों तले ज़मीन ही खिसक जाएगी ये कहावत यहां सौ फीसदी सत्य साबित होगी।

सरगुजा ज़िले के बतौली विकासखंड में शासकीय जमीन को खाद्य मंत्री के निजी सचिव भूपेन्द्र यादव, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता, भाजपा नेता अमित गुप्ता, A5 कांट्रेक्टर जयेश गुप्ता सहित पटवारी और कानूनगो की मिलीभगत सामने आने के बाद और ‘पहल’ के प्रमाण सहित खुलासे के बाद सरगुजा कलेक्टर को कार्यवाही आखिरकार करनी पड़ी। दरसअल बतौली तहसील क्षेत्र अंतर्गत 130 एकड़ से अधिक भटको, कालीपुर, करदना की शासकीय ज़मीन को निजी मद में करने की शिकायत तहसीलदार से ग्रामीणों ने की थी। जिसके बाद सरगुजा कलेक्टर ने एसडीएम की अध्यक्षता में टीम गठित कर जांच के लिए कहा गया था।इस जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि जिन लोगों के नाम पर शासकीय जमीन को अपने नाम में चढ़ाया गया है। इनके पास कोई दस्तावेज प्रमाणित तौर पर दस्तावेज प्रस्तुत करने पर 25 से अधिक लोगों पर एफआईआर दर्ज कर लिया गया है।जिसमें खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के निजी सचिव भूपेंद्र यादव, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता, भाजपा नेता अमित गुप्ता, A5 कांट्रैक्टर जयेश गुप्ता सहित शासकीय कर्मचारी पटवारी व कानूनगो सहित 25 अधिक लोगो पर एफआईआर दर्ज कर आगे की जांच में पुलिस जुट गई है।हमने खुलासा ये भी किया था कि सरकारी ज़मीन अपने नाम चढ़ाकर उसका धान भी बेचकर किस तरह भूपेंद्र यादव ने रूपए भी ले लिए।

सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार ने बताया है कि जिन लोगों के द्वारा शासकीय ज़मीन को अपनी ज़मीन बताकर धान समिति में धान की बिक्री की गई है,उनसे धान की राशि भी वसूली जाएगी. वही सभी आरोपी अब भी फरार है।किसी भी आरोपी का गिरफ़्तार न होना भी एक गंभीर प्रश्न है।

29 अप्रैल को समाचार।
एफआईआर की काॅपी

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