खाली कुर्सियों से सरगुजा में भाजपा के ख़स्ताहाल संगठन के बारे में आसानी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

भारतीय जनता पार्टी मोदी सरकार के 9 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर अपनी सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं को आम जनमानस तक पहुंचाने व्यापक अभियान चला रही है।अलग अलग वर्गों और समुदायों को जोड़कर, इनसे मिलकर जनाधार बढ़ाने की भाजपा की कवायद सरगुजा में पूरी तरह दम तोड़ती नज़र आ रही है।
लोकसभा स्तरीय व्यापारी सम्मेलन में कल की क्षीण उपस्थिति ने ,जनाधार बढ़ाने के प्रयास और आयोजन की सफलता पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया।
लोकसभा के प्रमुख व्यापारिक केंद्र अम्बिकापुर में व्यापारियों का सम्मेलन 10 जून को आहूत किया गया,जिसमें केंद्रीय इस्पात व ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मुख्य अतिथि थे।
7 बजे से निर्धारित बैठक श्रोताओं को तरसती रही।सरस्वती शिशु मंदिर का सभाकक्ष भरने के इंतज़ार में मुख्य अतिथि काफी देर सर्किट हाउस में सम्मानजनक भीड़ की बाट जोहते रहे।अंततः डेढ़ दो घण्टे विलम्ब से प्रारम्भ कार्यक्रम सम्मेलन की रस्म अदायगी के साथ बमुश्किल एक घण्टे भी नहीं चल सका।
25 लाख से अधिक की आबादी वाले सरगुजा लोकसभा क्षेत्र में भाजपा का ब्यापारी सम्मेलन आधा सैकड़ा व्यापारी भी नहीं जुटा पाया।
इस सम्मेलन की तैयारियों के निमित कई बैठकें हुई,9 साल के कार्यकाल की उपलब्धियों से जनता को अवगत कराने शीर्ष नेतृत्व कितना गम्भीर था कि संगठन महामंत्री पवन साय स्वयं प्रवास कर तैयारियों को अंतिम रूप देने दिनभर अनेकों बैठक और चर्चा में सहभागी बने।
लोकसभा स्तरीय मीडिया इंफ्लुएंसर मीट भी सोशल मीडिया एक्टिविस्ट के बजाय भाजपाइयों का गेट टूगेदर बनकर रह गया।
प्रदेश व केंद्रीय टीम का जनाधार बढ़ाने का हर प्रयास सरगुजा में धरातल पर फलीभूत नहीं हो पाना,कर्णधारों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है।
फ्लेक्स और मंच में स्थान पाने की होड़ विपक्ष में भी थमने का नाम नहीं ले रही है।विगत तीन विधानसभा चुनावों से जिले की तीनों सीटें न केवल कांग्रेस के कब्जे में है, हार का अंतर भी लगातार बढ़ता जा रहा है।पार्टी का गुड़ गोबर करने वाले पार्टी के टेक ओवर में लगे हैं।सरगुजा में पिछले एक दशक से कुछ नेता विधाता बन गए हैं और पार्टी को सिंचनेवाले वर्कर भाग्य भरोसे रह गए हैं।जिन्हें पार्टी के अंदर और बाहर सामाजिक रूप से हतोत्साहित करने की जरूरत है,उनपर संगठन शिल्पी के प्रेम का अतिरेक ,कहीं भाजपा को लोगों और समर्पित कार्यकर्ताओं से ही दूर न कर दे?

इसमें से अधिकांश भाजपा के ही थे।

अंदरूनी सूत्रों की मानें तो पवन साय को सरगुजा में भाजपा संगठन की ज़मीनी हक़ीक़त पता ही नहीं चलती। मात्र दो चार लोग जो कह देते हैं वो उस पर आँखें मूँदकर भरोसा कर ख़ानापूर्ति कर चलते बनते हैं इससे यहाँ भाजपा और भी बुरी स्थिति में पहुँच गई है।

एक तो इस सम्मेलन की टाइमिंग गलत रखी गई थी जो व्यापारी वर्ग का मुख्य समय उनके प्रतिष्ठान के लिए होता है।वहीं सरगुजा भाजपा का आईटी सेल और कुँभकरणी नींद में सोने वाला भाजपा का मीडिया विभाग इस तरह की दुर्गति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

मंच से केंद्रीय मंत्री ने किसी तरह औपचारिकता पूरी कर बातें कहीं मगर ये चर्चा का विषय है कि इस तरह के गरिमा विहीन कार्यक्रम से भी भाजपा के दिग्गज सबक क्यों नहीं ले रहे?

वहीं सरगुजा के लखनपुर के एक व्यापारी और ठेकेदार जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे उन्होंने इस कार्यक्रम को बड़े पैमाने पर स्वयं के दम पर एक बड़े होटल में अपनी ज़िम्मेदारी पर कराने की बात भव्य रूप से की थी लेकिन सरगुजा भाजपा के कुछ लोग जो पूरी तरह से जनाधार खो चुके हैं उन्हें अपने अस्तित्व पर ही संकट दिखाई देने लगा और आनन फ़ानन में कमान अपने चहेतों को सौंपकर पूरे कार्यक्रम का ही गुड़ गोबर कर डाला।

तय है कि यही हाल रहा तो सरगुजा में भाजपा पुनः शून्य पर ही रहेगी ऐसा भाजपा के लोग ही कह रहे हैं।

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