घुटने पर आया पाकिस्तान,घटते निर्यात और प्रेषण की वजह से हुआ 715 करोड़ डॉलर का नुकसान

दिल्ली से संवाददाता अनिल कुमार की विशेष रिपोर्ट।

पाकिस्तान की बदहाली दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। एक तरफ जहां विदेशी मुद्रा भंडार कम होता जा रहा है वहीं दूसरी तरफ देश पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। वैश्विक पटल पर अपनी साख खो चुका यह पड़ोसी देश अब एक नये कुचक्र में फंसता जा रहा है। पाकिस्तानी अंग्रेजी अखबार डॉउन के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 के पिछले 11 महीनों में पाकिस्तान को 715 करोड़ डॉलर के भारी भरकम रकम का सीधा नुकसान उठाना पड़ा है। इस समयावधि में पाकिस्तान के घटते निर्यात और प्रेषण (रेमिटेंस) 7.15 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में पाकिस्तानी सरकार अपने वित्तीय लक्ष्यों से लगातार पीछे खिसकते जा रही है। आंकड़ों पर गौर करे तो जुलाई-मई 2022-23 में पाकिस्तान ने 12 फीसदी यानी 3.491 बिलियन डॉलर का कम 25.380 बिलियन डॉलर का निर्यात किया जबकि गत वर्ष के इसी समयावधि में पाकिस्तान ने 28.871 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था। वहीं पाकिस्तानी रेमिटेंसेस भी 12.8 फीसदी घटकर 24.831 बिलियन डॉलर का रह गया है। यानी रेमिटेंसेस में भी पाकिस्तान को 3.658 बिलियन डॉलर का सीधा नुकसान हुआ है।

उम्मीद लगाये कर्ज की रकम से बड़ा है नुकसान

पाकिस्तान अपने जरूरी खर्च की कमी को पूरा करने के लिए दर-दर भटक रहा है। कभी आईएमएफ तो कभी साऊदी अरब तो कभी चीन के सामने हाथ फैला रहा है। पाकिस्तानी सरकार कमर्शियल बैंक और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय एजेंसियों से भी कर्ज लेने को तैयार है। मजे की बात यह है कि पाकिस्तान जितने रकम का कर्ज लेने की आस लगाये बैठा है उससे अधिक का नुकसान घटते निर्यात और प्रेषण से उठा चुकी है। डाउन की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी सरकार निर्यात और रेमिटेेंसेस को दुरूस्त करने के बजाय दर दर दर कर्ज की भीख मांग रही है। गौरतलब है कि पाकिस्तानी सरकार सऊदी अरब से 3 बिलियन डॉलर,यूनाइटेड अरब अमीरात से 2 बिलियन डॉलर और आईएमएफ से 1.1 बिलियन डॉलर का कर्ज लेने के लिए लगातार मिन्नते कर रहा है।

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