24 जुलाई को लोकसभा और राज्यसभा में छत्तीसगढ़ के मात्रा त्रुटि होने के कारण अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं मिलने के कारण वंचित हो गए थे वह प्रस्ताव केंद्रीय अनुसूचित जनजाति मंत्री अर्जुन मुंडा ने रखा और वह पास हो गया।कुछ दिन पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह रायपुर आए थे। प्रदेश भाजपा कार्यालय में भाजपा नेताओं को बताया था कि 12 ऐसी जातियों को अनुमति देने जा रही है।
इसका लाभ भाजपा को उठाना चाहिए था लेकिन भाजपा धुआंधार बैठकों में व्यस्त है और उधर भाजपा के सुस्त संगठन से पहले ही सीएम हाऊस से जनजातियों के प्रतिनिधि से भूपेश बघेल के साथ हंसते मुस्कुराते और गुलदस्ते देते हुए तस्वीर बहुत पहले ही आ गई।जब ये ख़बर आई तब लेटलतीफ़ी करते हुए भाजपा ने विज्ञप्ति दी मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बधाई भी ले ली वहीं ज़मीन पर दिखने की जगह भाजपा के नेता प्रेस कॉन्फ़्रेंस किये और भूपेश बघेल की तस्वीर आने के बाद ये अपनी बातें सामने ला पाए।

सूरजपुर में भाजपा की बैठक लेकिन छोटे नेता मंच पर मौजूद और पूर्व अध्यक्ष सामने इस पर भी लोगों में अंदर ही अंदर भारी नाराज़गी है।
पूर्व गृहमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके रामसेवक पैकरा और पूर्व विधायक रजनी त्रिपाठी को सामने बैठना पड़ा वहीं मंच पर एक नेता ऐसे रहे जो अपने प्रेस किए कपड़े में सिलवटों से भी परहेज़ कर कई लोगों के लिए विचारणीय प्रश्न बने हुए हैं ।

सबसे गजब हुआ अंबिकापुर में यहाँ तो पत्रकारों ने पूर्व सांसद कमलभान की प्रेस वार्ता का बहिष्कार इसलिए कर डाला कि लंबे समय से विज्ञापन की राशि ही अभी तक नहीं मिल पाई है।अंदरखाने की मानें तो सरगुजा सांसद रेणुका सिंह के कारण ये हुआ क्योंकि रेणुका सिंह ने भाजपा के उन्हीं नेता पर ये ज़िम्मेदारी दी थी जो सूरजपुर में मौजूद थे और अपने कुर्ता पायजामा की क्रीज पर ही अधिक ध्यान देते रहे हैं लेकिन ज़मीन पर होने वाले आमजन के लिए इन्हें कुछ करने में हमेशा गुरेज़ रहता है।

अब सवाल ये कि रेणुका सिंह जैसी सांसद जिन्होंने अपने क्षेत्र के लिए कुछ ऐसा नहीं किया जिससे लोगों का भला हो।मात्र मोदी का नाम और काम लेकर छत्तीसगढ़ का सुस्त व लचर संगठन जब मोदी सरकार की योजनाओं का ही प्रचार प्रसार नहीं कर पा रहा है तो वो अपनी छवि क्या गढ़ेगा ये गंभीर प्रश्न है।

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