ज्ञानवापी मामले में नया मोड़

ज्ञानवापी मंदिर या मस्जिद नहीं बल्कि बौद्ध मठ! बौद्ध धर्म गुरु ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

ज्ञानवापी मामले में नया मोड़, बौद्ध धर्म गुरु की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में की गई रिट।

ज्ञानवापी ना तो मस्जिद है ना ही मंदिर वह बौद्ध मठ है, बौद्ध मठ को लेकर सर्वे कराए जाने की मांग।

देश में तमाम ऐसे मंदिर हैं जो बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं। बौद्ध धर्म गुरु सुमित रतन भंते की तरफ से की गई याचिका।

ज्ञानवापी में पाए गए त्रिशूल और स्वस्तिक चिन्ह बौद्ध धर्म के हैं। केदारनाथ या ज्ञानवापी में जिसे ज्योतिर्लिंग बताया जा रहा है वह बौद्ध धर्म के स्तूप हैं।

ज्ञानवापी न मस्जिद है न मंदिर बल्कि बौद्ध मठ।

सुमित रतन भंते ने देश में शुरू की बौद्ध मठों की खोज। जैन बौद्ध मठों को तोड़कर मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल बनाए गए हैं उनकी खोज शुरू हुई।

सभी मंदिरों और मस्जिदों को उनके मूल स्वरूप में आना चाहिए।जहां-जहां बौद्ध मठ से उनका स्वरूप बदल दिया गया है।

बौद्ध मठों को अपने मूल स्वरूप में आना चाहिए। बौद्ध धर्म के मानने वालों की संख्या भी यही चाहती है

बद्रीनाथ केदारनाथ सहित अन्य मंदिरों को लेकर भी हम याचिका दायर करेंगे

सनातन बौद्ध धर्म सबसे पुराना है।

ASI ने अगर सही से सर्वे किया तो बौद्ध मठ ही पाया जायेगा और अगर पाया जाए तो हमे सौंप दें ज्ञानवापी।

इस्लाम 1500 साल पहले आया और हिंदू धर्म 1200 साल पहले आया है। बौद्ध धर्म ढाई हजार साल पहले का है

देश में आपसी फूट की जो परंपरा शुरू हुई है वह उचित नहीं है।

बौद्ध मठों का भी सर्वेक्षण करके उन्हें बौद्ध समाज को वापस करना चाहिए। अगर सही फैसला होता तो वहां पर बौद्ध मठ होता।

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