चुनाव से पहले जशपुर के सोगड़ा आश्रम पहुँच कर सिंहदेव ने सियासी समीकरण के लिए धार्मिक अनुयायियों के बड़े वर्ग में पैठ बनाने की कोशिश शुरू कर दी है।

छत्तीसगढ़ का वो आश्रम जहाँ संत अवधूत राम जी के पास जाकर चंद्रशेखर उनके आशीर्वाद से बने थे प्रधानमंत्री, धोनी भी हर साल चुपचाप आते हैँ यहाँ । इसी हफ्ते डिप्टी सी एम टी एस सिंहदेव ने सोगड़ा आश्रम जाकर बाबा अवधूत राम के शिष्य ( जो इस गद्दी में विराजमान हैं )के छुए पैर जिसकी चर्चा अब हर लोग कर रहे।

आखिर क्या टटोल कर लौट गए डिप्टी सीएम,आगामी विधानसभा की कैसी बन रही रणनीति,जशपुर, कुनकुरी समेत सामरी विधानसभा में क्या होगा बदलाव,RSS व बीजेपी समर्थित सनातन संत समाज प्रमुख से मुलाकात के क्या हैं मायने?

सरगुजा,08 अगस्त 2023

छतीसगढ़ के डिप्टी सीएम बनने के बाद रविवार को पहली बार टीएस सिंहदेव अपने एक दिवसीय प्रवास पर जशपुर पंहुचे।यहां जशपुर की सीमा में प्रवेश करते ही उन्होंने बड़े बदलाव के संकेत दे दिए। बगीचा में बाबा समर्थकों ने उनका स्वागत किया और यहां बाबा ने कांग्रेस की महिला नेत्री फुलकेरिया भगत को अपने साथ बिठाया और जशपुर सोगड़ा आश्रम की ओर निकल पड़े।कांग्रेस में बड़ी जिम्मेदारी मिलने के साथ ही उन्होंने सरगुजा संभाग की सभी विधानसभा सीटों पर अपना लक्ष्य साधना शुरु कर दिया है।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में लगातार 19 विधायकों के टिकट कटने की खबरें इन दिनों सुर्खियां बनी हुई हैं।जिसमें कुनकुरी विधायक यूडी मिंज समेत जशपुर विधायक विनय भगत का नाम भी शामिल है।बात करें सरगुजा की तो सामरी से चिंतामणि महाराज वहीं बृहस्पति सिंह का नाम भी चर्चा में हैं।

टीएस बाबा से इन सभी विधायकों की दूरियां पहले से जगजाहिर हैं।ऐसे में बाबा के स्क्रीनिंग कमेटी में होने के साथ उनका हर दौरा अब कई राजनैतिक मायने वाला है!
जशपुर प्रवास के दौरान सोगड़ा आश्रम में उन्होंने परम पूज्य संभव बाबा से अकेले में मुलाकात की वहीं सामरबार में सनातन संत समाज के प्रमुख बब्रुवाहन सिंह से भी उन्होंने बंद कमरे में मुलाकात की।सनातन संत समाज के प्रमुख बभ्रुवाहन सिंह की गहिरा समाज में अच्छी पकड़ है वहीं सामरी व पाठ क्षेत्र में बड़ी संख्या में उनके अनुयायी हैं।इनके छोटे भाई गेंदबिहारी सिंह भाजपा समर्थित डीडीसी हैं।एसडीओपी द्वारा मारपीट के बाद जो काफी चर्चित रहे।

अब समझिए पूरा माजरा।गौरतलब है कि बभ्रुवाहन सिंह और चिंतामणि महाराज आपस में भाई हैं।चिंतामणि महाराज की न तो बाबा से बनती है और न ही अपने भाई बभ्रुवाहन सिंह से। बीते दिनों कैलाश गुफा में परिवार के साथ दर्शन करने पंहुचे चिंतामणि महाराज को गर्भ गृह में प्रवेश से वर्जित किये जाने की खबरें भी अंदरखाने से सामने आई थीं।जबकि कैलाश गुफा की व्यवस्था सनातन संत समाज के प्रमुख बभ्रुवाहन सिंह द्वारा देखी जाती है।ऐसे में दोनों भाइयों के बीच पुरानी बातों को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है।जिसका फायदा अब राजनैतिक दल उठाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं।

बंद कमरे में घण्टों चली बैठक को लेकर कयासों का दौर जारी है।बताया जा रहा है कि इस बार सामरी क्षेत्र से चिंतामणि महाराज जो पहले भाजपा में थे फिर कांग्रेस में गए और विधायक हैं इन की टिकट तो खतरे में है ही जिसके कारण बाबा अभी से अपनी रणनीति बनाते नजर आ रहे हैं।

जशपुर प्रवास के दौरान बगीचा में उन्होंने फुलकेरिया भगत को अपने साथ बिठाया और जशपुर का सफर तय किया।गौरतलब है कि फुलकेरिया भगत बीजेपी शासनकाल में महज 3000 मतों से टक्कर देने वालीं पहली कांग्रेस नेत्री थीं जिसके बाद कॉंग्रेस से उनको कभी विधायक की टिकट नहीं मिली।पिछली बार भी उन्होंने खासा प्रयास किया था और स्क्रीनिंग कमेटी में दूसरे नंबर तक पंहुच चुकीं थी जिसके बाद एन वक्त पर विनय भगत को उम्मीदवारी दी गई जिन्होंने पिछली बार लगभग 8000 मतों से जीत हासिल की।चूंकि पिछले चुनाव में बीजेपी समर्थित प्रदीप नारायण सिंह दीवान बागी होकर निर्दलीय मैदान में उतरे थे जिसका सीधा लाभ कांग्रेस को मिला था और विनय भगत जशपुर विधायक बन गए।

पिछले साढ़े चार साल के कार्यकाल में जशपुर विधायक की कार्यप्रणाली को लेकर पार्टी संगठन के खुले मंच पर कार्यकर्ताओं ने कई बार शिकायत भी की है।जिसमें स्वयं टीएस सिंह देव समेत छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा तक उपस्थित रहीं हैं।वहीं विपक्ष भी कई गंभीर मुद्दों पर आक्रामक है।

वहीं बात करें कुनकुरी विधायक यूडी मिंज की तो बीजेपी का लगातार आरोप लगता रहा है कि कमीशन के चक्कर में निर्माण कार्यों में अवरोध पैदा करना,विकास कार्यों को लंबित रखने का काम लगातार किया जा रहा है।जिसके कारण शासन की छवि लगातार धूमिल हुई है।वहीं चुनिंदा कार्यकर्ताओं को फायदा पंहुचाने समेत पार्टी संगठन में असंतोष की खबरें लगातार सामने आती रहीं हैं।अपने लोगों को संगठन में बैठाने के बावजूद जिला कांग्रेस का संगठनात्मक कार्य पुल, पुलिया, सड़क तक सिमट कर रह गया जो कभी भी बूथ स्तर तक नहीँ पंहुच पाया।इधर कुनकुरी में उरांव मिशनरीज के बीच भी लगातार तकरार की खबरें अंदरखाने से सामने आती रहीं हैं।लिहाजा सामाजिक स्तर पर भी समुदाय विशेष बदलाव के मूड में नजर आ रहा है।

अब गौर करने वाली बात होगी कि टीएस सिंहदेव आगामी विधानसभा चुनाव के लिए किस आधार पर किसको उम्मीदवार के रुप में सामने लेकर आएंगे। पार्टी सर्वे और आंतरिक सर्वे की मानें तो इस बार कांग्रेस कुछ सीटों पर चेहरे बदल कर नए चेहरों को टिकट दे सकती है।

बहरहाल टीएस के जशपुर दौरे से एक बार जिले की राजनीति फिर से गरमा गई है।हांलाकि टीएस के जशपुर पंहुचते ही दल बल के साथ जशपुर विधायक विनय भगत ने उनका जोरदार स्वागत किया और प्रवास के दौरान उनके साथ भी रहे।वहीं कुनकुरी विधायक यूडी मिंज को पहले बाबा के आने की खबर नहीं थी जब उन्हें जानकारी हुई तो सैकड़ों समर्थकों के साथ वे चराईडाँड़ पंहुच गए और कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओं को टीएस के हाथों कांग्रेस प्रवेश कराकर उनका स्वागत किया।जबकि यू डी मिंज को भूपेश बघेल का समर्थक माना जाता है!

सी एम बनने की इच्छा रखने वाले टीएस सिंहदेव के जशपुर का दौरे ने कई प्रश्नों को जन्म दे दिया है जो चर्चा का विषय बने हुए हैँ ।अब देखना होगा कि किसकी टिकट कटती है और किसकी बचती है।

गद्दी पर विराजमान श्री संभव बाबा के पैरों को छूते सिंहदेव। भगवान अवधूत राम के शिष्य के चरण पर।

सिंहदेव अपने समीकरण से कांग्रेस के ही चिंतामणि, अमरजीत भगत समेत बृहस्पति सिंह को भी मात देने में लगे हुए हैं।

सीएम बनने की प्रबल इच्छा वो अभी भी रखे हुए हैं और लगातार समीकरण के द्वारा सियासी प्रश्न को हल करने के लिए ज़ोर लगा रहे हैं।

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