रवि दुबई जो आज ईडी के लिए सबसे महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुई है।

छत्तीसगढ़ में अभी हाल की ही दो बड़ी रेड ने राज्य में चल रहे एक और सिंडिकेट का चौंकाने वाला खुलासा किया है जिसके तार देश के बाहर भी जुड़े हैं।

एक साधारण ओहदे पर बैठे एएसआई चंद्र भूषण वर्मा इस रैकेट की महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुआ और अब इससे जुड़े बड़े पुलिस अधिकारी और राजनेताओें तक इसके माध्यम से ईडी पहुंचने के लिए पूरे प्रमाण जुटा रही है।एक साधारण ओहदे पर बैठे एक एएसआई से कुछ बड़े पुलिस अधिकारी व राजनेताओें का लेनदेन उनके लिए बड़ी बेचैनी का सबब बन गया है।

सूत्रों की मानें तो राज्य के ईओडब्ल्यू यानि आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में रह चुके एक अधिकारी की भूमिका की जाँच बहुत बारीकी से की जा रही है और ये तथ्य जुटाए जा रहे हैं कि मनी लॉन्ड्रींग होती रही और इसकी भनक राज्य के ज़िम्मेदार अधिकारियों को क्यों नहीं लगी ? वहीं एक माईक 2 ( पुलिस अधिकारी का ग्रेड ) की भूमिका की चर्चा इसमें ज़ोरों पर है

कल ईडी के द्वारा न्यायालय में 37 पेज का दस्तावेज प्रस्तुत किया गया है जिसमें सिलसिलेवार प्रमाण के उल्लेख हैं।

जोर शोर से राजधानी से लेकर ज़िले के पुलिस अधिकारियों की ज़ुबान पर है।

कल सुबह जैसे ही ईडी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मुख्य सलाहकार विनोद वर्मा के देवेंद्र नगर स्थित सरकारी आवास पर रेड की वैसे ही पूरे राज्य समेत देश में भी ये ख़बर सुर्ख़ियों में आ गई।

आज भूपेश बघेल दिल्ली जाकर कांग्रेस के कार्यालय से प्रेस कॉन्फ़्रेंस करने वाले हैं।देखना ये है कि अभी से लेकर प्रेस कॉन्फ़्रेंस तक ईडी छत्तीसगढ़ में और क्या कार्यवाही को अंजाम देती है।

एक बात जो हैरान करने वाली है वो है खाकी की आड़ में जिस तरह से इस सिंडिकेट को चलाया गया और ज़िम्मेदार पुलिस धृतराष्ट्र बने रहे उन पर भी ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए जिससे इस तरह के सुनियोजित अपराध को करने से वो भारत की कानून व्यवस्था व दंड विधान से तो डरें सहमें।

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