छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी
कार्यकर्ताओं की मंशा के अनुरूप संगठन में हुआ बदलाव
कार्य और कोर समिति के पुनर्गठन का जला अलाव
छत्तीसगढ में पिछले विधान सभा चुनाव के बाद जो हुआ वो भाजपा के लिए बुरे सपने के साकार होने जैसा था।
इसे लेकर भाजपा का शीर्ष संगठन पिछले चुनाव के परिणाम के बाद ही भीतर भीतर छत्तीसगढ में सक्रिय हो गया था।
इसी का परिणाम है कि पहले क्षेत्रीय संगठन मंत्री बनाकर अजय जमवाल को भेजा गया फिर दो महीने बाद ही प्रभारी के रूप में ओम माथुर जैसे दिग्गज को भेजकर शीर्ष संगठन ने बता दिया कि अब छत्तीसगढ में भाजपा आक्रामक होकर सकारात्मक परिणाम के लिए ही कार्य करेगी।
ओम माथुर और अजय जमवाल ये दोनों ही विपरीत परिस्थितियों में परिणाम को अपने पक्ष में लाने का माद्दा रखते हैं।परिस्थितियों के अनुसार त्वरित रणनीति बनाने में दोनों ही माहिर हैं।
रायपुर :
छत्तीसगढ़ भाजपा में जो 9 अगस्त से प्रदेश अध्यक्ष से बदलाव की शुरुआत हुई, सिलसिला 11 सितंबर को खत्म हुआ। इस बीच नेता प्रतिपक्ष बदल दिए गये, प्रदेश प्रभारी बदल दिए गये और फिर प्रदेश के पदाधिकारियों की टीम घोषित कर दी गयी।
कार्य एवं कोर समिति में बदलाव का उठा धुंआ
अब इंतज़ार है, प्रदेश कार्यसमिति के सदस्यों के नाम के साथ ही प्रदेश की कोर समिति में बदलाव का।
जिसका कार्यकर्ताओं को बेसब्री से इंतज़ार है।
प्रदेश संगठन में दिखा प्रभारियों का असर
प्रदेश पदाधिकारियों की टीम की अगर सूची देखी जावे तो भाजपा ने खासकर क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल और पूर्व प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी की मेहनत रंग लाई, 11 सितंबर को जो प्रदेश पदाधिकारियों की सूची जारी की गयी, उसमें छत्तीसगढ़िया झलक के साथ ही 30 वर्ष से 55 वर्ष के बीच के लोगों को जवाबदारी दी गई है सबसे ज्यादा जवाबदारी पिछड़ा वर्ग के लोगों को दी गई है फिर आदिवासियों को दी गई है और उसके बाद सामान्य वर्ग को भी महत्व दिया गया है।
चुनावी मोड में आयी भाजपा
संगठन में हुए फेरबदल में लगभग 2023 के विधानसभा चुनाव का स्वरूप इसमें नजर आ रहा है, भाजपा लगभग चुनावी मोड में आ चुकी है।
मठाधीश किनारे लगा दिये गये
जिन मठाधीशों ने 15 साल शासन किये और सत्ताच्युत होने के बाद संगठन में भी कब्जा जमाये रखे थे, उन सबको दरकिनार कर दिया गया है, इस निर्णय से प्रदेश के ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में प्रसन्नता देखी जा रही है।
प्रदेश कार्यालय में बढ़ी हलचल
अब उपरोक्त सभी लोग किसी तरीके से प्रदेश कार्यसमिति की रेगुलर टीम में या फिर यहां तक तैयारी है कि विशेष आमंत्रित सदस्य में भी नाम तो जुड़ जाएं, इसके लिए यह सभी अपने अपने सूत्रों के माध्यम से प्रदेश भाजपा कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में दस्तक दे रहे हैं।
ज़िला संगठन में टिकी निगाहें
सबसे ज्यादा भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को जो ज़मीनी स्तर पर काम करते हैं प्रदेश के 31 संगठन ज़िलों में उनको इंतज़ार है भाजपा के कोर समिति में बदलाव का, क्योंकि कई जी हुजूरी करने वाले लोग कोर समिति में अपना स्थान बना कर रखे हैं। उपरोक्त लोगों की भावना है कि कोर समिति में भी आमूलचूल परिवर्तन किया जाए और जब कोर समिति की बैठक हो तो उसमें ऐसे सदस्यों का मनोनयन होना चाहिए, जो पार्टी की बात सही तरीके से रख सकें।
अभी तक का अनुभव रहा है कि चंद लोग निर्णय करते थे और कोर समिति में उसे पास करवा लेते थे, क्योंकि कोर समिति में हा से हां मिलाने वालों की संख्या बहुत ज्यादा थी, चूंकि कोर समिति एक महत्वपूर्ण समिति होती है जिसमें नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं।
प्रभारी करेंगे दौरा
अभी क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल जी का प्रदेश के जिलों में दौरे संभावित है फिर वह विधानसभा क्षेत्रों का भी दौरा कर सकते हैं, उनकी कार्यप्रणाली काफी कड़क बताई जाती है और काम करने वाले लोगों को महत्व देना उनकी फितरत है, वैसे प्रदेश भाजपा के प्रभारी के रूप में अपनी तेजतर्रार नेता ओम माथुर का भी छत्तीसगढ़ में बेसब्री से इंतज़ार किया जा रहा है…
ओम माथुर की एन्ट्री
चर्चा यह भी है कि राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल और प्रदेश प्रभारी ओम माथुर तीनों संघ पृष्ठभूमि के हैं और भाजपा की 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिले और छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार में हो, इसके लिए कड़ी मेहनत करेंगे और ज़मीनी हकीक़त पता करने के प्रयास में अपने कदम आगे बढ़ाएंगे, उपरोक्त तीनों लोगों की रणनीति यह भी रहेगी कि 2024 के होने वाले लोकसभा चुनाव में भी छत्तीसगढ़ से 11 लोकसभा क्षेत्रों में से सभी सीटों पर भाजपा विजयी हो, वर्तमान में भाजपा के पास 9 लोकसभा सीटें हैं और विधानसभा में मात्र 14 सीटें हैं।
उंचे लोगों की ऊंची आकांक्षाएँ
उपरोक्त भाजपा के प्रभारियों की जो रणनीति नजर आ रही है, उसके अनुसार कार्यकर्ताओं में उत्साह तो बढ़ा है और चर्चा भी है कि कम से कम 80 सीटें में भाजपा अपने प्रत्याशी 30 वर्ष से लेकर 55 वर्ष के बीच के कार्यकर्ता को ही प्रत्याशी के रूप में विधानसभा में उतारेगी।
युवा होंगे प्रत्याशी
चर्चा यह भी है कि अपवाद स्वरूप कुछ लोगों को छोड़ कर लगभग पुराने चेहरे को बदल दिया जाएगा, सूत्र यह भी बता रहे हैं कि फरवरी या मार्च 2023 में डॉ रमन सिंह को किसी राज्य का राज्यपाल बना कर भेजा जा सकता है।
अब लोगों को बेसब्री से इंतज़ार है तो प्रदेश कार्यसमिति के सदस्यों के नामों की घोषणा और कोर समिति में बदलाव और उनमें बदलने के लिए लोग इंतज़ार कर रहे हैं।
भाजपा के ज़िला स्तर के नेताओं और ज़मीनी कार्यकर्ताओं को अब ज़िला अध्यक्ष की बदले जाने वाली सूची का बेसब्री से इंतज़ार है। उनकी मंशा है कि सिर्फ पार्टी के प्रति जनाधार बढ़ाने वाले कार्यकर्ताओं को ही महत्व दिया जाए, बड़े नेताओं के परिक्रमा करने वालों को पदों से मुक्त किया जाए।
बहरहाल छत्तीसगढ में पहली बार ऐसा हो रहा है कि चुनाव के सवा साल पहले से ही भाजपा पूरी तरह से अभी से चुनावी मोड में दिख रही है वहीं भाजपा के इस तेवर को देखकर कांग्रेस भी अभी से चुनाव के लिए रणनीतियों पर मंथन कर रही है।
इन सबसे ये तय है कि भाजपा का शीर्ष छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कद्दावर नेता के रूप में मानकर उसी हिसाब से इतने पहले से सक्रिय हो चुका है।
साथ ही ये भी तय है कि भाजपा के पुराने चेहरे जो खाली होर्डिंग में बधाई और अपना चेहरा चमकाकर पार्टी की छवि धूमिल कर रहे थे उन्हें बहुत तेजी से किनारे कर ऊर्जावान व साफ सुथरे लोगों को सामने लाकर भाजपा छत्तीसगढ में अपनी ही पार्टी में सफाई अभियान भी समानांतर रूप से चला रही है जो आगामी दो महीनों तक चलने की संभावना है।