बिना होमवर्क किए ऊल जुलूल आंकड़े देना छत्तीसगढ में भाजपा के नेताओं की असलियत बताने के लिए काफी है कि ये केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण विभागों को भी पत्र लिखने में भरपूर लापरवाही बरतने से बाज नहीं आए।
आदिवासी नेता’ राम विचार नेताम ने बिना विचार किए लिख दिया 50-60 लाख,डाॅक्टर रमन सिंह ने लिखा 25 लाख,केदार कश्यप कुछ और कहे।आखिर सही कौन?
गृह मंत्री अमित शाह को संबोधित इस पत्र का तथ्य यदि कुछ देर के लिए भी सही मान लिया जाए जो कि वास्तव में नहीं है,तो छत्तीसगढ़ में अजजा जनसंख्या 78 लाख से बढ़कर 128-138 लाख हो जाएगी।अर्थात 50 प्रतिशत से ज्यादा यानि 45 सीट अजजा वर्ग के लिए आरक्षित करना पड़ेगा।साथ ही सरगुजा संभाग की तीनों अनारक्षित सीटें आरक्षित हो जाएंगी।लेकिन तथ्य ऐसा नहीं है।
देखिए छत्तीसगढ सरकार में मंत्री और फिर छत्तीसगढ से राज्य सभा सांसद और अपने को आदिवासी हितों की बात दमदारी से रखने की बात कहने वाले नेता राम विचार नेताम का 2021 में भारत के गृहमंत्री को लिखे पत्र में किस तरह के आंकड़े 12 जातियों को जनजातियों में परिवर्तित करने पर दिए गए हैं।
दरअसल ये सब बातें अब देश के 5 राज्यों की कुछ जातियों को जनजातियों में शामिल करने की स्वीकृति के बाद होड़ लेने की परंपरा का दुष्परिणाम हैं।
5 राज्यों की 15 जातियां अनुसूचित जनजाति में शामिल
पाच राज्य छत्तीसगढ़, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश की 15 जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लंबित प्रस्ताव को केन्द्रीय मंत्री परिषद ने अनुमोदित किया है, देश में अब इन 15 जातियों के साथ कुल 720 अनुसूचित जनजाति वर्ग के हुए, बता दें कि देश की कुल आबादी के 8.6 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जनजाति के हैं।
तब भी नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री थे
आदिवासियों के बीच चर्चा का विषय है कि 2016 से लेकर 2018 तक केंद्र में भाजपा की सरकार थी, प्रधानमंत्री भी नरेंद्र मोदी ही थे, लेकिन तब छत्तीसगढ़ सरकार की यह मांग विचाराधीन श्रेणी में रख दिया गया।
भूपेश ने पुनः पहल की
इसके बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आ गई छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस विषय पर केंद्र सरकार और केंद्रीय अनुसूचित जनजाति मंत्रालय को एक पत्र प्रेषित कर, 12 जातियों का मामला जो अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का था, जो विचाराधीन है, उसे छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के हित में जल्द स्वीकृति प्रदान करने की मांग की थी।
केन्द्रीय मंत्री परिषद की बैठक में अनुमोदित
कल 14 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अध्यक्षता में संपन्न हुई केंद्रीय मंत्री परिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ सरकार की यह मांग स्वीकार कर ली गई और उसका अनुमोदन कर दिया गया, इसकी जानकारी झारखंड के वरिष्ठ आदिवासी नेता झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नई दिल्ली में पत्रकारों को दी।
भाजपा के आदिवासी नेताओं के सूत्रों के अनुसार उन्हें संदेश दिया गया है कि पत्रकार वार्ता समाप्त होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के निवास मॉलश्री विहार पहुंचे और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का सम्मान करें कि आपने 2016 में जो पत्र प्रेषित किया था उस पत्र के आधार पर ही केंद्र सरकार ने उसका अनुमोदन किया है इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं।
अंततः श्रेय किसको
आखिर इसका श्रेय जाएगा किसको यह कांग्रेस व भाजपा के आदिवासी नेताओं में चर्चा का विषय है।
हिमाचल से भी था प्रस्ताव
बता दें कि कुछ जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का एक समान प्रस्ताव हिमाचल प्रदेश से भी केन्द्र सरकार के पास लंबित था, जिसे कल 14 सितम्बर को ही अनुमोदित किया गया। यह सब इसलिए क्योंकि इसी वर्ष 2022 के अंत में हिमाचल प्रदेश विधानसभा में चुनाव है और 2023 के नवंबर में छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा चुनाव है, छत्तीसगढ़ के 12 जातियों का अनुसूचित जनजाति में शामिल किये जाने का अनुरोध और इसकी स्वीकृति को प्रबुद्ध वर्ग चुनाव से जोड़कर देख रहा है।
लेकिन भूपेश बघेल यहां भाजपाईयों पर फिर भारी पड़ गए क्योंकि इनके पत्र में मात्र जातियों का उल्लेख था लेकिन आंकड़ों के मकड़जाल से ये खुद को बाहर रखे।
होना भी यही चाहिए। 2011 के बाद 2021 में होने वाली जनगणना कोरोना के कारण नहीं हुई।अनुमान के अनुसार छत्तीसगढ की जनसंख्या अभी तीन करोड़ से कुछ अधिक है।
ऐसे में रामविचार नेताम के 2021 में लिखे पत्र के आंकड़े अपने आप ही उन्हें हास्यास्पद और हवा हवाई राजनेता ही साबित कर रहे हैं।
वहीं डाॅक्टर रमन सिंह ने भी आंकड़ों का सटीक विश्लेषण नहीं किया एक अनुमान के तौर पर वो लिखे हैं।
जानकारों की मानें तो छत्तीसगढ में 12 जातियों को जनजाति में शामिल करने पर अधिक से अधिक 12 से 14 लाख लोगों को लाभ मिलेगा।हालांकि ये पूरे तथ्य जनगणना के बाद ही स्पष्ट होंगे।
इन सब पर भूपेश बघेल फिर भारी ही रहे क्योंकि इन्होंने किसी भी आंकड़े के फेर से बचाकर बहुत ही होशियारी से 12 जातियों को जनजाति में शामिल करने के लिए लिखा। आज शाम होते मुख्यमंत्री निवास में इनका सम्मान भी करने तमाम आदिवासी नेता जुट गए।
वहीं भाजपा के रामविचार नेताम समेत कुछ अन्य नेता कल प्रेस कांफ्रेंस कर इसका श्रेय लेने की कोशिश तो करने जा रहे हैं मगर हवा हवाई आंकड़ों के साथ।
सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि मण्डल ने किया मुख्यमंत्री का अभिनंदन, जताया आभार
छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने बताया कि राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ के 22 जाति समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा गया था, जिसमें से 12 जाति समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की स्वीकृति दी गई है। भविष्य में भी शेष बची जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के प्रयास होंगे।
केन्द्रीय मंत्रिमण्डल द्वारा छत्तीसगढ़ के जिन 12 जाति समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मंजूरी दी गई है। उन 12 समुदायों में- भारियाभूमिया (BhariaBhumia) के पर्याय के रूप में भूईंया (Bhuinya),
भूईयां (Bhuiyan, भूयां (Bhuyan) Bharia नाम के अंग्रेजी संस्करण को बिना बदलाव किए भरिया (ठींतपं) के रूप में भारिया (Bharia) का सुधार।
पांडो के साथ पंडो, पण्डो, पन्डो
धनवार (Dhanwar) के पर्याय के रूप में धनुहार (Dhanuhar), धनुवार (Dhanuwar).
गदबा (Gadba Gadaba)
गोंड (Gond) के साथ गोंड़
कौंध (Kondh) के साथ कोंद (Kond)
कोडाकू (Kodaku) के साथ कोड़ाकू (Kodaku)
नगेसिया (Nagesia), नागासिया (Nagasiaaaaa) के पर्याय के रूप में
किसान (Kisan)
धनगढ़ (Dhangad) का परिशोधन धांगड़ (Dhangad) शामिल हैं।