छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार में एक से बढ़कर एक घोटाले हुए!हद तो ये कि घोटाले में नौकरशाह से लेकर राजनेता व दलाल सब एक सिण्डिकेट बनाकर काम करते रहे और हज़ारों करोड़ का घोटाला कर डाला! आलम ये कि अभी कुछ और बड़े घोटालों की जानकारी सामने आ रही है!
हालांकि इन घोटालों पर केंद्रीय एजेन्सी पहले से ही कफी काम पहले ही कर चुकी हैँ साथ ही नए मामलों में भी लगातार कार्यवाही जारी है!
कल अमरजीत भगत और इनके परिचित जिसमें राजू अरोरा, पूर्व अंबिकापुर टी आई रुपेश नारंग, ओ एस डी राजेश वर्मा, अंबिकापुर का एक सी ए एच एस जायसवाल शामिल हैँ इनसे पूछताछ हो रही है साथ ही सर्च ऑपरेशन अभी भी जारी है!गौरतलब है कि आई टी की टीम खाली पूछताछ ही करती है किसी को हिरासत में लेने का अधिकार उसे नहीं होता हाँ यदि मामला प्रमाणित होता है तो वो राज्य की आर्थिक अपराध शाखा या बहुत बड़ा मामला हो तो उसे ईडी को सौपती है फिर आरोपी को गिरफ्तार करने की प्रक्रिया होती है!
पुलिस का विवादित टी आई रुपेश नारंग मंत्री अमरजीत का खास था और योग्यता न होने के बाद भी वो कोतवाली अंबिकापुर का टी आई बनकर बेखौफ़ नियम विरुद्ध काम करते रहा और उस समय की तत्कालीन एस पी भावना गुप्ता का विशेष कृपा पात्र बना रहा! सूत्रों की माने तो कुछ गंभीर मामलों में इस टी आई की गतिविधि बहुत ही संदिग्ध रही जिसे लेकर पुलिस कर्मियों ने भी इस टी आई का दबे स्वर विरोध किया था लेकिन तत्कालीन एस पी के आगे उनकी एक न चली!
अब बात करें टी एस सिंहदेव की जिनका भूपेश बघेल समेत सरगुजा संभाग के बृहस्पति सिंह,चिंतामणि समेत अमरजीत भगत ने दुश्मनी की हद में जाकर विरोध किया! जिस पर सिंहदेव ने लक्ष्मण रेखा न लाँघने की नसीहत दी और बीच बीच में वो अपने कई अर्थ वाले बयानों के लिए जाने जाते रहे!अब अंदरखाने की माने तो कुछ बड़े विश्लेषक के अनुसार ” सिंहदेव राजपरिवार के हैँ और बचपन से ही राजनीतिक परिवेश को देखे और समझे हैं इनकी मृदुभाषिता के कारण इनके सम्बन्ध दोनों दलों के दिग्गजों से तो हैँ ही साथ ही कुशाग्र बुद्धि के कारण बड़े नौकेशाह भी इनके तथ्यों से इत्तेफाक रखते हैँ इस कारण ये कई महत्वपूर्ण तथ्य के आंकड़े अपने पास रखते हैं जो कि इन्हें मुहजबानी याद रहते हैँ ऐसे में स्पष्ट हैकि टी एस सिंहदेव मोदी की लहर में चुनाव मात्र 94 वोटों से भले ही हारे हैँ मगर राजनीति की शतरंज में घोड़े के ढाई घर की चाल चलकर वो अब भी अपने विरोधियों को सबक सिखाने का माद्दा रखते हैँ!
बहरहाल सिंहदेव के विरोध में नैतिकता को दरकिनार करते हुए मुखर होक विरोध करने की क़ीमत इनके विरोधी क्या क्या खोकर चुकाएंगे ये तो आने वाला समय ही बताएगा मगर सिंहदेव की अभी की ख़ामोशी ही कई सवाल लगातार खड़े कर रही है!
आगामी 10 दिनों में अमरजीत और इनके सहयोगियों पर ईडी भी यदि शिकंजा कस दे तो ये आश्चर्य की बात नहीं होगी!