पहल में हम आज खुलासा कर रहे हैं टामन सिंह सोनवानी के दबाब में ज़मीन के बड़े भू भाग को शानदार लोकेशन में करने की।

छत्तीसगढ़ का सरगुजा और बस्तर संभाग अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।छत्तीसगढ़ का शिमला कहलाने वाला मैनपाट राज्य के लोगों के साथ साथ आसपास के राज्यों के पर्यटकों का प्रिय पर्यटन स्थल है।

ख़ूबसूरत वादियों को धीरे-धीरे बर्बाद किया जा रहा है।फोटो सौजन्य जयेश वर्मा

मगर छत्तीसगढ़ बनते ही इस खूबसूरत जगह को एक नही कई नादिरशाहों ( नादिरशाह ईरान से आकर भारत में जमकर लूटपाट किया और 18 वीं सदी में उस समय का 100 करोड़ का लूटपाट किया )की नज़र लग गई।

ज़ाहिर है सरगुजा की क़ीमती संपत्ति को लूटने वाले नादिरशाहों की भरमार हो चुकी है और इसमे सत्ता और सल्तनत दोनों की मिलीभगत से इन लूटपाट करने वालों की भरमार हो चुकी है।

अब आते हैं मुख्य मुद्दे पर।भूपेश सरकार में पावरफुल रहे टामन सिंह सोनवानी ने कई कारनामों को कुटिलता के साथ अंजाम दिया है। युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर अपने रिश्तेदारों परिचितों को पीएससी का चेयरमैन रहते नियम क़ानून की धज्जियाँ उड़ाने में बुरे फंसे इस महाभ्रष्ट अधिकारी ने कई के भविष्य से खिलवाड़ कर उन्हें गर्त में डाल दिया।

आज हम इनकी वो करतूत सबके सामने ला रहे हैं जो सीधे सीधे सत्ता के मद में चूर होकर सत्ता व पद के दुरूपयोग करने का एक सफल मगर कुत्सित प्रयास रहा है।

सोनवानी भूपेश बघेल का खास सिपहसलार बताया जाता है इसलिए इसकी पहुँच सीधे सीधे सी एम हाऊस तक थी।चूँकि ये अधिकारी सरगुजा समेत बस्तर में भी पदस्थ रह चुका है इसलिए इसे यहाँ की क़ीमती जगहों का अंदाज़ा था। भूपेश सरकार में शक्तिशाली होते ही टामन सिंह की उड़ान इस कदर ऊँची होने लगी कि ये ज़मीन कब छोड़ हवा में ही रहने लगा ये इसे आभास तक नहीं हुआ।भाजपा ने पीएससी घोटाले को जब मुद्दा बनाया तो सीधे सीधे मोदी ने हर भाषण में इस मदमस्त अधिकारी की करतूत पर युवा भविष्य से खिलवाड़ करने के मामले में जेल भेजने की बात कही जिससे युवा वर्ग ने मोदी की बात पर पक्का यक़ीन किया और भूपेश के भरोसे को एक सिरे से ख़ारिज कर दिया।

उजड़ता मैनपाट भू माफियाओं ने इसे संवरने से पहले ही उजाड़ दिया।

एक व्यक्ति ने पहल को नाम न छापने की शर्त पर विस्तार से बताया कि “ लगभग तीन साल पहले ये अधिकारी छोटे हवाई जहाज़ से दरिमा के मॉं महामाया विमान तल पर आया और एक युवक और अन्य व्यक्ति के साथ विमान से उतरकर कहीं से आई कार में बैठकर मैनपाट गया और रात भर रूके रहा। विमान तल पर कोई बड़ा अधिकारी मौजूद नहीं था लेकिन कृषि विभाग का एक अधिकारी और एक आर आई वहाँ मौजूद थे जिन्होंने स्वागत किया उसके बाद लौट गए।”

वो सितंबर या अक्टूबर का महीना था और इसके बाद पता चला कि सोनवानी ने अपने खास के नाम एक चर्चित पाईंट के आगे लगभग 3 एकड़ ज़मीन ख़रीदी वो भी बहुत कम दाम में।”

सूत्र बताते हैं कि ये लगभग हर महीने मैनपाट जाकर उस स्थान को सुंदर तरीक़े से बनाने के लिए प्लान कर बक़ायदा तफ़रीह कर आते थे।

ज़मीन ख़रीदना कोई गुनाह नहीं मगर विमान में आना, कम दाम में ज़मीन लेना आख़िर ये सब क्या है?पहल को पुख्ता सूत्र बताते हैं कि सरगुजा में इस कीमती ज़मीन को लेना और यहाँ भी पीएससी के लिए कुछ का नाम तय करना ये सब टामन सिंह सोनवानी ने कुटिलता के साथ किया है।

आश्चर्य ये कि विपक्ष में बैठे उस समय के सरगुजा के किसी भी भाजपा नेता को आख़िर इसकी भनक क्यों नहीं लगी ? जबकि उस समय ये मुद्दा सामने आया होता तो मोदी और भी हमलावर होते।

भाजपा के केंद्रीय संगठन को सरगुजा और बस्तर में अपने तथाकथित ऐसे भाजपा के नेताओं को लोकसभा से पहले ही चिन्हांकित करना चाहिए जिससे इनकी कांग्रेस के नेताओं के साथ मिलकर काम कर अवसरवादिता पर विराम लग सके।

आश्चर्य कि बंगाली ज़मीन का फ़र्ज़ीवाड़ा हुआ इसकी भनक आयकर को लगी, बेनामी संपत्ति पर आयकर ने अपना जाल बिछाना शुरू कर दिया है मगर यहाँ के दोनों दल के कुछ नेता आपस में गलबहियां कर सरगुजा को लूटने वाले नादिरशाह साबित हो रहे हैं। क्या मोदी इस पर भी कोई सर्जिकल स्ट्राइक करेंगे?

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