छत्तीसगढ़ में विधानसभा से लेकर सरकारी महकमों मे भी एक चर्चा कईयों की ज़ुबान पर है। दरअसल अभी छत्तीसगढ़ में विधानसभा सत्र चल रहा है। सूत्रों के अनुसार इसमें एक चर्चा जमकर छिड़ी हुई है जो हाल ही में विधानसभा से लेकर एक भाजपा के दिग्गज नेता के बंगले से होते हुए दबे पांव प्रदेश भाजपा कार्यालय तक पहुंच चुकी है कि आखिर महिला एवं बाल विकास विभाग का ऐसा क्या भ्रष्टाचार का मामला प्रश्न क्रमांक 1823 में था जिसे निरस्त करने के लिए पूरा विभाग लग गया था?
यहां हम नहीं कह रहे हैं यह चर्चा बू्रोक्रेट में भी बनी हुई है और मीडिया में भी हम इसकी पुष्टि तो नहीं कर सकते हैं लेकिन चर्चा में सत्यता बताई जाती है कि महिला एवं बाल विकास विभाग का पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और विधायक धरमलाल कौशिक का प्रश्न क्रमांक 1823 जिसे सदन के पटल पर 20 फरवरी को रखना है को बहस में ना आए इसके लिए पूरा विभाग एक सप्ताह से तूफानी दौड़ धूप में लगा हुआ था और अब वही अधिकारी बता रहे हैं कि हमें इसमें सफलता मिल गई है और उन्होंने इसका जश्न भी अभी 15 फरवरी की रात को मनाया। पार्टी भी बड़ी थी जाम भी छलका महफ़िल भी जमी जिसका असर ये हुआ कि इस पार्टी में यह बात भी सामने आ गई कि प्रश्न क्रमांक 1823 जो 20 फरवरी को है प्रश्न १ से लेकर 25 तक जो प्रश्नोत्तरी में आता है वहां नहीं आया सूत्रों की मानें तो प्रश्न बड़ा गंभीर था और 25 नंबर तक रहता तो मुद्दा बनता इसलिए बड़ी चतुराई से परिवर्तित कर तारांकित कर 25 के बाद डाल दिया गया ये बात अधिकारियों के बीच ही पार्टी में सामने आई ।पार्टी तो पार्टी ठहरी कुछ ने सोचा रात गई बात गई लेकिन नशा तो नशा ठहरा चाहे वो सत्ता का हो या फिर जाम का बात बहकती ज़ुबान से बाहर आ ही गई भाजपा सरकार को आए अभी सिर्फ दो महीने हुए हैं और संभवतः यह प्रश्न पिछले कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार का हो सकता है तो आखिर इस पर इतनी हाय तौबा क्यों मची?क्या जनता के टैक्स के पैसे का जो विकास कार्य में खर्च होना था महिला बाल विकास विभाग के माध्यम से उसमें बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है चर्चा तो यही है।

ग़ौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा का आख़िरी कार्यकाल पूरी तरह निरंकुश हो गया था जिससे त्रस्त होकर जनता ने ऐसा सबक सिखाया था कि भाजपा 15 पर सिमट गई ऐसे में सत्ता में मोदी के बल पर इस बार काबिज हुई भाजपा को ये निर्धारित करना हितकर होगा कि सत्ता पारदर्शिता के साथ चले।

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