एक आवाज़ दुनिया भर के संगीत प्रेमियों के लिए एक ऐसी पहचानी आवाज़ थी जिसे सुनते ही लोगों को अहसास हो जाता था कि अब एक से बढ़कर एक फ़िल्मी नग़मे सुनने को मिलेंगे।
1932 में मुम्बई में जन्मे अमीन सयानी पहले अंग्रेजी ब्राडकास्टर रहे लेकिन जैसे ही विनाका गीतमाला में इन्हे अवसर मिला इसके बाद रेडियो सीलोन से निकली इस आवाज़ का दीवाना हर कोई होते गया।
बहनों और भाइयों के उद्बोधन ने इन्हें देश के गांव गाँव तक वो सम्मान दिया जो कम को ही नसीब हो पाता है।
भारत की हिंदी फ़िल्मों के गीत संगीत का परिचय जब इनकी आवाज़ से सज कर श्रोताओं तक पहुँचता तो ऐसा लगता कि नई नवेली दुल्हन अब सज संवरकर सबकी आँखों का तारा बनने आ चुकी है।
विनाका गीतमाला का नाम बदला जो सिबाका हो गया इसी तरह कार्यक्रम बदलते रहे लेकिन अमीन सयानी की आवाज़ का जादू लगातार बढ़ता ही गया।
रफ़ी, किशोर, मुकेश ,लता जैसे महान गायक समेत चुनिंदा संगीतकार तक इनकी आवाज़ के मुरीद बनते गए और अपने लाईव शो में इनकी उद्घोषणा को अपने कार्यक्रम की सफलता के लिए बेहद ज़रूरी मानने लगे।
देश विदेश में इस तरह का सम्मान किसी रेडियो के उद्घोषक को मिलना अपने आप में एक इतिहास है।
अपनी आवाज़ से अमर होकर आज भी अमीन सयानी लोगों की जु़बान और दिल में जिस तरह से मौजूद हैं वो मुक़ाम विरलों को ही मिलता है।
‘पहल’ की ओर से उन्हें आदरांजलि अर्पित है।