छत्तीसगढ़ में कोई भी पार्टी शराबबंदी नहीं कर सकती ये तय हो चुका है। छत्तीसगढ़ में शराब बंदी की घोषणा की आड़ में भूपेश सरकार में जिस तरह हज़ारों करोड़ का घोटाला हुआ उससे मदिराप्रेमी तो नाराज़ हुए ही कई होटल वाले और बार वाले भी अंदर से भूपेश सरकार से इस कदर चिढ़े कि वो सरकार को विदा करने का संकल्प लेकर ही बैठ गए साथ ही जी जान से जुट गए।
सूत्रों की मानें तो भाजपा के कुछ क़द्दावर नेता विष्णु देव साय को सीएम के पद पर स्थाई रूप से बैठे हुए फूटी आंख देखना पसंद नहीं कर रहे हैं और वो अब मार्च के पहले ही अपने कुछ शराब ठेकेदारों के माध्यम से सबसे बड़े राजस्व देने वाले शराब उद्योग के माध्यम से अपना तंत्र मज़बूत कर विष्णु देव साय जैसे सीधे सरल व्यक्ति की छवि को धूमिल करने का कुत्सित प्रयास भी करने में युद्ध स्तर पर लग चुके हैं।
इसमें सबसे प्रमुख नाम एक बड़े शराब ठेकेदार मंजीत सिंह गुंबर का है जिन्हें मध्य प्रदेश में बकायदा ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है।
पुख्ता जानकारी के अनुसार बिलासपुर में इन शराब ठेकेदार के यहाँ आयकर विभाग की बड़ी रेड हुई थी जिसमें इनके यहाँ से मिली एक डायरी में कांग्रेस समेत भाजपा के भी कुछ बड़े नेताओं समेत सफ़ेद पोशों के साथ लेनदेन की रकम का ब्यौरा आयकर विभाग के तेज तर्रार अधिकारी के हाथ लग गया था जिसे लेकर इन अधिकारी ने ये बात ऊपर तक पहुंचा दी थी क्योंकि मामला हाईप्रोफ़ाइल जो था।
अब ये सब सफ़ेद पोश अपने प्रिय को छत्तीसगढ़ के बड़े शराब उद्योग में घुसाने की कोशिश जी जान से कर भरपूर वफ़ादारी में लगे हुए हैं।
ग़ौरतलब है कि पिछली बार 7000 करोड़ से अधिक का राजस्व छत्तीसगढ़ को शराब से मिला था और इस बार ये लक्ष्य 11000 करोड़ से अधिक का है।
साफ है कि इसमें कांग्रेस के कुछ कुख्यात हो चुके नेता भाजपा के दो बड़े नेताओं के साथ मिलकर अपनी पसंद के ठेकेदार को काम दिलाने में लग गए हैं लेकिन कांग्रेस का एक धड़ा अभी से खुश है कि बस काम मिले और हम डायरी का राग अलाप कर मोदी की राह को छत्तीसगढ़ में कठिन करें।
लेकिन भाजपा संगठन के एक तेज नेता ने ये बात ऊपर पहुँचा दी साथ ही सीएम विष्णु देव साय को भी अलर्ट कर दिया जिसका परिणाम ये हुआ कि छत्तीसगढ़ की वर्तमान भाजपा सरकार ने अभी से ही स्पष्ट कर दिया है कि मार्च से मदिरापान करने वाले प्रेमियों के स्वाद और स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए मिलावटी और हल्के ब्रांड की शराब को मार्केट से बाहर कर हर गायब हो चुकी ब्रांड को फिर से बाज़ार में लाकर राजस्व को बढ़ाया जाए।
वहीं आज ईओडब्ल्यू की छापेमारी की ख़बर कल देर रात ही लीक होने की हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है। इससे साफ है कि छत्तीसगढ़ में कुछ नौकरशाहों की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध है।
बहरहाल छत्तीसगढ़ में चल रहे हर उठा-पटक पर मोदी टीम की पैनी निगाह है साथ ही लोकसभा चुनाव के समय या बाद में राज्य में बड़ा उलटफेर भी तय माना जा रहा है।
संघ अंदर ही अंदर भाजपा के दो विभीषणों के बारे में अपनी रिपोर्ट लगातार ऊपर भेज रहा है कि इन्हें छत्तीसगढ़ की राजनीति से दूर रखने में ही भाजपा और संघ की पसंद के विष्णु देव साय के भविष्य के लिए शुभ संकेत होगा।
लोकसभा चुनाव में एक दो दिग्गजों को सांसद का चुनाव लड़वाकर सीधे तौर पर यहाँ की राजनीति में हस्तक्षेप करने से रोकने का संदेश केंद्रीय संगठन दे सकता है इसके भी आसार हैं।