छत्तीसगढ़ का बहुचर्चित पीएससी घोटाले का कुख्यात सरगना टामन सिंह सोनवानी का सरगुजा कनेक्शन इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है।

छत्तीसगढ़ के शिमला ‘मैनपाट’ में (राजकीय विमान से दरिमा आकर मैनपाट जाने का खुलासा पहल ने किया था) इस सोनवानी ने अपना ऐशगाह बनाया और प्रकृति की सुरम्य वादियों में शांत वातावरण में ये शोर गुल से दूर रहकर बीच बीच में आकर काले कारनामों को बख़ूबी अंजाम दिया। इस काम में सरगुजा के महाभ्रष्ट राजस्व अमले के कुछ कलाकारों ने भी तत्कालीन कलेक्टर के भरपूर सहयोग से सोनवानी के लिए आधार बनाया।

सूत्रों की मानें तो सोनवानी के मैनपाट दौरे के समय की काल डिटेल और मैनपाट पहुँचे लोगों की लोकेशन ट्रैस करें तो जाँच एजेंसी के हाथ कई महत्वपूर्ण सुराग मिल सकते हैं।

युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वाला भूपेश गैंग का ये शातिर खिलाड़ी ज़मीन फ़र्ज़ी वाड़े में भी राडार पर आ सकता है।

अब बात ईडी की।

आईटी की सरगुजा में पड़ी रेड चर्चा का विषय है।आईटी के बाद ईडी की तगड़ी एंट्री होती है ये भी महत्वपूर्ण है।

आईटी के अधिकारियों के सामने जब अमरजीत के पीए रह चुके राजेश वर्मा के मोबाइल में क़ैद तस्वीरों व चैटिंग ने राज खोलना शुरू किया तो पीए की सिट्टी पिट्टी ही गुम हो गई और टेपरिकार्डर की भाँति ये सब बक डाले।

वहीं एक सीए के यहाँ पड़े आईटी के रेड की लंबी कार्यवाही भी चर्चा का विषय है। सीए कहते फिर रहे हैं कि इनके यहाँ कुछ नहीं मिला लेकिन एजेंसी ने जिस तरह से चांदो के रहनेवाले के यहाँ अंबिकापुर में सर्च कर इन्हें सरविलांस में रखा वो चाल इन सबके समझ में ही नहीं आई।चांदो के दो लोगों ने जिस तरह से बेनामी संपत्ति बनाने में दिन रात तिकड़म की वो कहीं इनके लिए गले की फांस न बन जाए।

मंत्री अमरजीत भगत के करीबी इन सीए महोदय के यहाँ आईटी की रवानगी के बाद संवेदना व्यक्त करने जाते रहे और एजेंसी को बैठे बिठाए ही संदेहियों की सूची मिलती चली गई।इसमें अमरजीत भगत के साथ जुड़े कई ऐसे लोग भी हैं जो पहले बाईक स्कूटी या साधारण कार में घूमते थे मगर भूपेश सरकार में इनकी संपत्ति ऐसे बढ़ी जैसे इन चमचों के हाथ अलादीन का चिराग़ लग गया हो।अब ये चिराग़ एजेंसी के पास है और जिन्न भी।

पूर्व मंत्री अमरजीत भगत की मुस्कुराहट इनके चेहरे से गधे के सिर से सींग की तरह ग़ायब है। हो भी क्यों न जब भूपेश बघेल की घिघ्घी बंधी है और चेहरे में खिसियाहट नज़र आ रही है तो ये तो ठहरे पूर्व मंत्री।

ईडी के चक्कर में केजरीवाल जैसे लोगों का हश्र भी इन्हें दिन रात समाचारों में दिख रहा है कि एक बार जेल का टिकट कटा तो साल दो साल तो कम से कम वहाँ रहना ही होगा।

अंबिकापुर में खाकपति से करोड़ पति बने दलाल भी नौसिखिए अपराधियों की तरह अपराध कर तमाम सबूत ऐसे छोड़ दिए हैं जिससे एजेंसी को अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।

देवीगंज रोड के एक बड़े किराना व्यापारी ने जिस तरह अपने गुर्गों के साथ मिलकर बेनामी संपत्ति बनाई और टैक्स की चोरी क्या सीधे डकैती कर डाली वो भी इसमे महत्वपूर्ण है।

अब बात कोढ़ी की- सूत्रों की मानें तो अशोक अग्रवाल यानि अशोक कोढ़ी के यहाँ पड़ी ईडी की रेड कांग्रेस सरकार के अमरजीत भगत और कवासी लखमा के लिए बड़ी मुसीबत तो बनेगी ही साथ ही इस शातिर शख्स से भाजपा के भी कुछ नेताओं की करीबी उनका भविष्य तय करने वाली होगा।

बहरहाल “ईडी और सीबीआई के मणिकांचन संयोग” की सरगुजा वासी बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं कि किस तरह बिना मेहनत के अरबों अरब रूपये इन सबने हजम कर लिए।

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