मंदिर के प्रवेश द्वार के नाम पर विगत 12 जून से मुख्य मार्ग बंद है।लापरवाह ठेकेदार और लचर प्रशासनिक व्यवस्था से लोग परेशान हैं।

अंबिकापुर में माँ महामाया मंदिर का भव्य प्रवेश द्वार कब बन पाएगा ये तो तय नहीं है लेकिन प्रसिद्ध शक्तिपीठ के नाम पर बन रहे द्वार के नाम पर अब लोग बुरी तरह से परेशान हो चुके हैं।


सुस्त और लापरवाह ठेकेदार की मनमानी उस पर न तो निगम का नियंत्रण है न ही कोई प्रशासनिक सख्त निर्देश।
मंदिर आने जाने वाले श्रद्धालुओं को अब लंबी दूरी तय कर मंदिर जाना पड़ रहा है जबकि ये मार्ग एक महीने तक प्रवेश द्वार बनने के कारण बंद रहेगा ये बताया गया था मगर अंधेर ये कि 12 जून से ये रास्ता बंद है और सावन भी आधा बीत रहा है अब इस 12 अगस्त को रास्ता बंद हुए दो महीने हो जायेंगे।
नहर निगम में कांग्रेस क़ाबिज़ है जबकि राज्य में अब भाजपा की सरकार है लेकिन लोगों की आस्था से जुड़े इस मुद्दे पर दोनों ही दल बेसुध हैं। हद तो ये कि स्थानीय प्रशासन ने अब तक ये जानने की कोशिश नहीं की कि आख़िर प्रवेश द्वार के नाम पर मुख्य मार्ग को अब तक क्यों नहीं खोला गया है और इस पर ठेकेदार के विरूद्ध कोई कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है।
ठेकेदार की लापरवाही, सुस्त प्रशासन के कारण यहाँ आमजन आक्रोशित हैं साथ ही कह रहे हैं कि “जब मंदिर के द्वार के निर्माण का कोई ठोस रोडमैप नहीं था तो ये निर्माण क्या लोगों को परेशान करने के लिए किया जा रहा है।दूर दराज से लोग माँ महामाया के मंदिर में दर्शन करने आते हैं लेकिन लापरवाह ठेकेदार ने मार्ग परिवर्तन का कोई बोर्ड तक लगवाना उचित नहीं समझा। प्रशासन किस कदर लचर है इसका अंदाज़ा इसमें हो रही मनमानी से है।
ग़ौरतलब है कि नगरीय निकाय चुनाव नज़दीक हैं ऐसे में प्रशासन की ये लापरवाही कहीं सत्तारूढ़ दल भाजपा के लिए कहीं कोई परेशानी तो नहीं खड़ा कर रहा है ये भी एक आमजन का प्रश्न है?

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