पहल की ख़बर का असर अंबिकापुर में देखने को मिला है।
अंबिकापुर में एक समुदाय विशेष के द्वारा जुलूस में उडाई गई क़ानून की धज्जियों पर सरगुजा एसपी ने पहल की ख़बर पर संज्ञान लेते हुए सख़्त रूख अपनाया है।


पहल से बात करते हुए सरगुजा एसपी योगेश पटेल ने स्पष्ट कहा कि “इस तरह के जुलूस की सूचना हमारे पास नहीं थी। किसी भी धार्मिक जुलूस में या किसी भी प्रदर्शन में कोई काम क़ानून के दायरे में रहकर किया जाता है। ‘पहल’ की ख़बर पर और सोशल मीडिया के वीडियो से सरगुजा पुलिस ने संज्ञान लेते हुए जुलूस में क़ानून व्यवस्था का माखौल उड़ाने वालों को चिन्हांकित कर क़ानूनी कार्रवाई की बात कही थी ।”
एसपी योगेश पटेल ने कहा था कि जुलूस में क़ानून व्यवस्था का पालन महत्वपूर्ण होता है और इस तरह कोई भी क़ानून का उल्लंघन करेगा तो उस पर क़ानून के नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी इसमें कोई भी संदेह नहीं है।सूत्रों के अनुसार
कुछ भाजपा नेताओं ने भी व्यक्तिगत तौर पर रायपुर में सरगुजा के प्रभारी मंत्री और संगठन तक ये समाचार पहुंचाया जिससे वहाँ से भी कार्यवाही के लिए आदेश दिए गए थे।
अंबिकापुर में कल एक आम नागरिक सियाराम गिरी ने बकायदा इस मामले की पुलिस कोतवाली अंबिकापुर में एफआईआर कराई जिस पर पुलिस ने कई लोगों के विरूद्ध एफआईआर कर जुलूस में शामिल गाड़ी मालिकों के गाड़ी के नंबर के आधार पर पूछताछ के लिए बुलाया गया है और पुलिस पूरे शहर के सीसीटीवी फ़ुटेज को खंगाल कर कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है।
कोतवाली के टीआई मनीष सिंह परिहार स्वयं इस मामले में दिन रात एक कर पूरे प्रमाण को जुटाने में लगे हैं जिससे क़ानून व्यवस्था को हल्के में लेने वाले पर कड़ी कार्रवाई कर एक सख्त संदेश सरगुजा पुलिस के माध्यम से आमजन तक जाए।
सूत्रों की मानें तो कई गाड़ी मालिक सिफ़ारिश करवाने में लगे थे लेकिन उनकी इस मामले में एक भी नहीं चली है।
बहरहाल सरगुजा कलेक्टर को इस तरह के मामले पर कड़ी नज़र रखनी चाहिए क्योंकि जिले में प्रशासनिक व्यवस्था के मुखिया के तौर पर सबसे महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी ज़िले के कलेक्टर की ही होती है।

एक आम नागरिक सियाराम गिरी के द्वारा दर्ज कराई एफआईआर सोशल मीडिया में चर्चा का विषय है।

गौरतलब है कि पहल के इस समाचार को ट्विटर पर ट्वीट कर इसे छत्तीसगढ सरकार और केंद्र सरकार तक भेजा गया था।

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