अमलीडीह रायपुर में जमीन का खेल
आदेश की कॉपी के अवलोकन में ही सारा खेल सामने आ रहा है।
29.11.2023 को बिल्डर द्वारा तब आवेदन दिया गया जब छत्तीसगढ़ प्रदेश में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही थी और आचार संहिता लगी हुई थी।
आचार संहिता में हो गया
विधानसभा चुनाव के परिणाम 3 दिसंबर 2023 को आए और 13 दिसंबर 2023 को छत्तीसगढ़ में पहली बार आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, कांग्रेस की सरकार हटी, भाजपा की सरकार बनी लेकिन यह क्या?
आचार संहिता में ही उपरोक्त 9 एकड़ जमीन को बिल्डर को देने की प्रक्रिया आगे बढ़ चुकी थी इसका मतलब स्पष्ट है कि कांग्रेस की सरकार थी और उस समय रायपुर कलेक्ट्रेट में जो नजूल अधिकारी और कलेक्टर थे उन्होंने इसमें अपना योगदान दिया होगा।
मंत्रियों की उपसमिति करती है निर्णय
इतनी बड़ी जमीन अगर किसी को देना है तो निर्वाचित सरकार की मंत्रियों की एक उपसमिति होती है जो निर्णय करती है, जब आचार संहिता लगी हुई थी तो यह प्रक्रिया हो पाना संभव ही नहीं था मगर अंदर ही अंदर ये खेल नियम कानून को दरकिनार कर बिल्डर को बड़ा लाभ पहुंचाने के लिए भ्रष्ट अधिकारियों और राजस्व के कुछ अधिकारियों ने खेला जिससे ये काला कारनामा हुआ।
यह अलग बात है कि भाजपा सरकार का गठन होने के बाद बिल्डर को 9 एकड़ जमीन की जो प्रक्रिया चुनाव आचार संहिता में कर ली गई थी लेकिन सवाल ये कि क्या मंत्रालय के अधिकारी भी इसमें संलग्न हैं।बगैर उनकी शासकीय प्रक्रिया पूरी किया आदेश तैयार हो ही नहीं सकता।
जमीन बिल्डर को आबंटित
28 जून 2024 को जब भाजपा की सरकार का पूर्ण गठन हो चुका था उपरोक्त बिल्डर को 9 एकड़ जमीन देने का आदेश जारी कर ही दिया गया।
अमलीडीह आंदोलन की राह पर
उपरोक्त मामले में अमलीडीह में नागरिको/निवासियों एवं क्षेत्र में सक्रिय कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ और रायपुर में बिल्डर का काम करने वाले लोगों से चर्चा करने के बाद इसका लगभग निष्कर्ष यह निकलता है कि और जो सूत्र बता रहे हैं बिल्डर आज उसी जमीन को ₹5,000 वर्ग फीट के हिसाब से बेच रहा है। बाजार भाव में आज उस जमीन की कीमत करीब 240 करोड रुपए बताई जा रही है।
वर्तमान में जब उक्त जमीन को महाविद्यालय भवन बनाने के लिए आरक्षित किया गया था तो फिर इसे बिल्डर को बेचने की प्रक्रिया ही कैसे प्रारंभ की गई? ये एक गंभीर सवाल है।
अधिकारी बिल्डर पर कार्यवाई हो
छत्तीसगढ़ की वर्तमान भाजपा सरकार को इसे गंभीरता से लेना होगा, इसी के साथ प्रदेश भाजपा संगठन को भी इसे गंभीरता से लेना होगा क्योंकि बिल्डर को जमीन अलाॅट करने का आदेश भाजपा सरकार के समय निकाला गया है।
इसमें कौन-कौन अधिकारी दोषी हैं, चाहे वह कलेक्ट्रेट के हो या मंत्रालय के इस पर भाजपा सरकार को सबसे पहले उक्त जमीन जो 9 एकड़ है उसे बेचने पर रोक लगानी चाहिए और जांच करवा कर जनता के हित में इसे निरस्त किया जाना चाहिए।साथ ही इस जमीन की जो रजिस्ट्री हो चुकी है उसे शून्य घोषित करने के लिए भी सरकार को अपने कदम आगे बढ़ाना चाहिए।
जमीन की रजिस्ट्री नहीं किन्तु लेआउट पास
इस मामले में नगर निगम रायपुर, नगर निवेश विभाग रायपुर, और राजस्व विभाग रायपुर पूरी तरह संदेह के घेरे में है। विश्वसनीय सूत्र बता रहे हैं की जमीन की रजिस्ट्री हुई नहीं है और अधिकारियों ने लेआउट पास कर दिया।
इस पर भी जांच होनी चाहिए कि कहीं कोई सरकार का प्रभावशाली व्यक्ति भी तो परदे के पीछे नहीं है?