B.E.O. की नियुक्ति में कुछ जगहों से सरकार के आदेश और हाई कोर्ट की फटकार को भी नज़र अंदाज़ करने का हैरान करने वाला मामला सामने आ रहा है।सबसे बड़ा आश्चर्य तो ये कि छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सरगुजा संभाग में ही इस नियम की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं जिस पर कई शिक्षकों ने ‘पहल’ से नाम न छापने की शर्त पर स्पष्ट कहा है कि “छत्तीसगढ में सरकार के आदेश और तो और हाई कोर्ट की फटकार का भी असर न होना बेहद गंभीर और चिंताजनक है।”

छत्तीसगढ़ में हाई कोर्ट के आदेश की धज्जियाँ खुलेआम उड़ाई जा रही हैं।सरकार के मातहत काम कर करने वाले हाई कोर्ट की फटकार के बाद भी वर्तमान सरकार के भी बनाए नियम व आदेश को रद्दी की टोकरी में डाल मनमानी का दुस्साहस कर रहे हैं ।
आश्चर्य ये सब हो रहा है स्कूल शिक्षा विभाग में जो कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के पास ही है।
उच्च न्यायालय बिलासपुर में इस मामले की सुनवाई का वीडियो लिंक भी है जो तेजी से वायरल हो रहा है मगर जिम्मेदार अधिकारी इससे भी जानबूझकर अनजान बैठे हुए हैं।
*राज्य शासन के नियमानुसार विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी यानि BEO के पद 75%प्राचार्यो की प्रतिनियुक्ति और 25% A. B.E O. की पदोन्नति से भरे जाने हैं लेकिन खुद इसकी अवहेलना करते हुए राज्य शासन और जिला शिक्षाधिकारी द्वारा व्याख्याता संवर्ग को beo का प्रभार/प्रतिनियुक्ति दिया जा रहा है। इस संबंध में हाई कोर्ट ने भी स्पस्ट निर्देश दिया है कि व्याख्याता को beo नही बनाया जा सकता है।मगर जब उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सरकार द्वारा जारी अपने ही आदेश की अवहेलना कुछ ज़िलों में होने लगे तो ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता का भगवान ही मालिक है।
मुख्यमंत्री के सरगुजा संभाग के प्रेम नगर, श्रीनगर, सोनहत, सूरजपुर, लुंड्रा, कुसमी, बलरामपुर रामचंद्र पुर में ही नियमों और आदेश को धत्ता बताते हुए मनमानी पोस्टिंग कर दी गई आख़िर ज़िले के कलेक्टर और ज़िला शिक्षा अधिकारी यहाँ क्या कर रहे हैं ये भी एक गंभीर प्रश्न है।
विष्णु देव सरकार का 14 मार्च 2024 का आदेश भी हम आपको दिखा रहे हैं।

ये आदेश 14 मार्च 2024 का है इसमें नियम में स्पष्ट लिखा है कि लेक्चरर को बीईओ नहीं बनाया जा सकता लेकिन छत्तीसगढ में हालात इतने अजीब हैं कि सरकार के आदेश की अवहेलना मुख्यमंत्री के अधीन आने वाले स्कूल शिक्षा विभाग में ही ये खेल कर दिया गया है।


ऐसे में आख़िर राज्य सरकार का सिस्टम किसके हाथ संचालित हो रहा है जो हाई कोर्ट और सरकार के नियमों को भी पूरे दुस्साहस के साथ किनारे कर मनमानी कर रहा है।
क्या यहाँ के अधिकारियों को हाई कोर्ट की अवमानना का भी भय नहीं है ऐसे में सरकार निश्चित ही दिशाहीन हो रही है जो कि भाजपा सरकार के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता भी ऐसे में क्या सुधरेगी इस सवाल का उत्तर राज्य में सत्ता और विपक्ष समेत शिक्षा विदों को भी तलाशना होगा।

सरगुजा ज़िले में भी ऐसा हुआ है अब देखना ये है कि यहां के ज़िला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर सरगुजा क्या कार्रवाई करते हैं और किसे दोषी ठहराते हैं।साथ ही कुछ और ज़िलों के कलेक्टर और जिम्मेदार अधिकारी पर भी सवाल उठ रहे हैं ?

आलोक शुक्ल,संपादक ( पहल )

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed