ग्रेट शो मैन राज कपूर अपनी बेजोड़ शख़्सियत के कारण आज भी लोगों के दिलों में हैं।
राजकपूर रूस समेत अन्य देशों में भी लोकप्रिय थे।अभी भी उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई है।राजकपूर ने ही विदेश में शूटिंग का ट्रैंड शुरू किया।लोकसंगीत से लेकर पाश्चात्य संगीत और भारतीय संगीत इन सबकी उन्हें जानकारी रहती थी।कैमरे के पीछे कुशल निर्देशक और कैमरे के सामने संवेदनाओं व भाव प्रधान अभिनय दोनों में ही वो निपुण थे।
ताशकंद में राज कपूर पर अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न।
मंगलवार दिनांक 17 दिसंबर 2024 को उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न हुआ। राज कपूर शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केंद्र, भारतीय दूतावास ताशकंद एवं ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज के संयुक्त तत्त्वावधान में यह परिसंवाद आयोजित किया गया। परिसंवाद का मुख्य विषय था “हिंदी सिनेमा की वैश्विक लोकप्रियता और राज कपूर” ।
परिसंवाद के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता उज़्बेकिस्तान में भारत की राजदूत स्मिता पंत ने की । ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज की रेक्टर डॉ गुलचेहरा ने स्वागत वक्तव्य दिया । लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केंद्र के निदेशक सितेश कुमार जी ने आयोजन की भूमिका स्पष्ट की । इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में जाने माने फ़िल्म निर्देशक उमेश मेहरा जी उपस्थित थे। उमेश मेहरा ने राज कपूर से जुड़े कई प्रसंगों को साझा किया। वरिष्ठ भारतविद प्रोफेसर उल्फ़त मोहिबोवा ने राज कपूर और उज़्बेकिस्तान के रिश्तों की बारीक पड़ताल की । इस अवसर पर प्रयागराज, भारत से प्रकाशित होनेवाली प्रतिष्ठित यूजीसी केयर लिस्टेड शोध पत्रिका ‘अनहद लोक’ के राज कपूर विशेषांक का लोकार्पण भी किया गया। इस परिसंवाद में प्रस्तुत सभी शोध आलेखों को इस अंक के माध्यम से प्रकाशित किया गया है। इस परिसंवाद के संयोजक के रूप में डॉ मनीष कुमार मिश्रा – विजिटिंग प्रोफेसर, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, हिंदी चेयर एवं डॉ निलोफर खोदेजेवा ने परिसंवाद की प्रस्ताविकी प्रस्तुत की । इस अवसर पर लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केंद्र द्वारा उर्दू की किताबें विश्वविद्यालय को प्रदान की गई। उज़्बेकिस्तान के उस्तादों को सम्मानित करने की योजना को शुरू करने की बात भारत की उज़्बेकिस्तान में राजदूत स्मिता पंत जी के माध्यम से की गई।
उद्घाटन सत्र के बाद पहले तकनीकी सत्र की शुरुआत हुई जिसकी अध्यक्षता स्कूल ऑफ फॉरेन लैंग्वेजेज, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के डॉ रिजवान और ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी के डॉ सिराजुद्दीन ने संयुक्त रूप से की । इस सत्र में कुल 11 शोध आलेख प्रस्तुत किए गए। शोध आलेख प्रस्तुत करने वाले विद्वानों में अहमदजान कासिमोव, प्रोफेसर उल्फ़त मोहिबोवा, प्रवीण कुमार, मंजू रानी, डॉ नवीन कुमार, डॉ सुमेरा खालिद, डॉ कमोला रहमतजोनवा, निर्मातोव जुबैदा, शम्सीकामर तिलोवमुरादोवा और स्मततुलेवा मोतबार शामिल थीं ।
दूसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अवकाश जाधव ने की । इस सत्र में कुल 10 शोध आलेख प्रस्तुत किए गए। शोध आलेख प्रस्तुत करने वाले विद्वानों में डॉ मनीषा पाटिल, नूतन वर्मा, श्वेता कुमारी, प्रोफेसर हेमाली संघवी, डॉ स्वाती जोशी, डॉ अनुराधा शुक्ला, डॉ उर्वशी शर्मा, डॉ लोकेश जैन, रजनी देवी और विक्रम सिंह शामिल रहे।
तीसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता व्यंकटेश्वर कॉलेज, नई दिल्ली में इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर निर्मल कुमार ने की । इस सत्र में कुल 12 शोध आलेख प्रस्तुत किए गए। शोध आलेख प्रस्तुत करने वाले विद्वानों में डॉ रीना सिंह, परमेश कुमार, डॉ प्रभा लोढ़ा, डॉ संतोष मोटवानी, डॉ नवल पाल, गायत्री जोशी, डॉ हर्षा त्रिवेदी, डॉ उषा आलोक दुबे, डॉ गुरमीत सिंह, प्रीती उपाध्याय, डॉ सुधा वी ग़दक, डॉ दीप्ति और डॉ बी एस हेमलता शामिल रहीं ।
चौथे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता अनहद लोक पत्रिका की संपादक डॉ मधु रानी शुक्ला ने की । इस सत्र में कुल 13 शोध आलेख प्रस्तुत किए गए। शोध आलेख प्रस्तुत करने वाले विद्वानों में गरिमा जोशी, विजय पाटिल, नेहा राठी, डॉ कल्पना, डॉ प्रतिमा, डॉ वंदना पूनिया, प्रभात कुमार, प्रियंका ठाकुर, ज्योति शर्मा, डॉ आशुतोष वर्मा, प्रकाश नारायण त्रिपाठी, सोनाली शर्मा, डॉ दानिश खान, वंदना त्रिवेदी और डॉ गुलज़बीन अख्तर शामिल रहीं। ऑनलाइन सत्रों के कुशल संयोजन में परवीन कुमार ने महती भूमिका निभाई।
भोजनावकाश के बाद समापन सत्र की शुरुआत हुई। इस सत्र में परिसंवाद रिपोर्ट डॉ मनीष कुमार मिश्रा ने प्रस्तुत की । डॉ निलोफर खोदेजेवा ने प्रतिभागियों के मंतव्य सुने । सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। अंत में परिसंवाद संयोजक के रूप में डॉ मनीष कुमार मिश्रा एवं डॉ निलोफर खोदेजेवा ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। इस तरह सुखद वातावरण में यह एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न हुआ।