219करोड़ रुपए के राशन बचत घोटाले की विधान सभा जांच समिति का अता पता नहीं!
विष्णु देव साय की सरकार को बने एक साल पूरे हो गए है। पूरे राज्य में सुशासन का पर्व मन रहा है। भाजपा का एक गुट खुश है कि एक साल पूरा हो गया है,अभी चार साल बचा है।बीते एक साल में क्या पाया का हिसाब लग रहा है। इससे परे एक मुद्दा ऐसा है जिसमें सरकार के ही सभापति सहित मनोनीत सदस्य 219करोड़ के राशन बचत घोटाले की जांच को लेकर गंभीर नहीं है।इस मामले में विधानसभा के सचिव के क्रिया कलाप पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहे है।
अगले एक दो माह में राज्य का बजट सत्र आरंभ होने वाला है। पिछले साल बजट सत्र के पहले दिन पिछली सरकार में हुए राशन बचत घोटाले को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक आक्रामक थे। भूतपूर्व विधान सभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक, भूतपूर्व मंत्री पुन्नू लाल मोहिले, अजय चंद्राकर, राजेश मुड़त ने अपने ही सरकार के खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल को घेरा था। सदन में अभूतपूर्व हंगामा हुआ। मौके की नजाकत को देखते हुए संसदीय कार्य मंत्री बृज मोहन अग्रवाल ने विधान सभा जांच समिति से जांच किए जाने की घोषणा कर दी।
समिति को वर्तमान विधान सभा अध्यक्ष डा रमन सिंह द्वारा 2022के बजट सत्र में उठाए गए 600करोड़ रुपए के राशन बचत घोटाले की प्रामाणिकता की जांच करना था।साथ ही खाद्य मंत्री द्वारा स्वीकार किए गए 219करोड़ रु के राशन बचत घोटाले के लिए जिम्मेदार संचालनालय के उच्च अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही का फैसला करना था।
राशन बचत घोटाले में भाजपा सरकार द्वारा पारदर्शी कंप्यूटराइज्ड सिस्टम के बावजूद राशन दुकानों में तीन से चार महीने के बचत होने के बावजूद सौ फीसदी आबंटन देना, घोटाले को दबाने के लिए पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत से कहलवाना कि घोटाला भाजपा शासन का है और घोटाले को दबाने के लिए तरह हजार राशन दुकानों के घोषणा पत्र को गायब करवाने, नियम विपरीत राशन दुकानों से वसूली और घोटाला किए गया चांवल को बाजार से खरीदने के लिए जूम कांफ्रेंस किए जाने का आरोप है। इन विषयों पर विधान सभा जांच समिति को मंत्रालय और संचालनालय से जानकारी मंगा कर आगे कार्यवाही करना है और जांच रिपोर्ट विधान सभा के पटल में रखना है।
बताया जाता है कि एक दो बैठक होने के बाद समिति की बैठक नहीं हो रही है। जिसके चलते जांच केवल कागज पर है। विधान सभा जांच समिति को मंत्रालय,संचालनालय जाकर कंप्यूटर सिस्टम की जांच सहित प्रदेश के चुनिंदा राशन दुकानों की जांच सहित विभाग के अधिकारियों, निरीक्षकों के बयान लिया जाना बाकी है। फिलहाल विधान सभा जांच समिति ने सौ से अधिक प्रश्न की जानकारी संचालनालय से मांगी थी जिसका एक अधिकारी के द्वारा गोल मोल जवाब भेजा गया था। इस अधिकारी के द्वारा कांग्रेस शासनकाल में खाद्य मंत्री से सदन में गलत जानकारी दिलाई गई थी। भाजपा शासन के आने के बाद इस अधिकारी को संचालनालय से हटा कर सचिवालय अटैच कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि इस मामले को विधान सभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह के संज्ञान में लाया जाकर शीघ्र जांच पूर्ण कराए जाने की मांग की गई है हमर संगवारी संस्था के अध्यक्ष ने घोटाले मामले में जनहित याचिका दाखिल करने संबंधी अधिवक्ताओ से संपर्क किया है।
बृजमोहन अग्रवाल ने संसदीय जांच समिति से जांच की घोषणा की थी जब वो मंत्री थे लेकिन उनके सांसद बनने के बाद ये मामला धीरे से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।