GeM के माध्यम से खरीदी करने के लिए इसलिए प्रोत्साहित किया जाता है जिससे पारदर्शिता बनी रहे और भ्रष्टाचार न हो।
चौंकाने वाला मामला छत्तीसगढ़ से सामने आया है कि किस तरह वन विभाग में कुछ अधिकारी इसका भी दुरूपयोग करने में नहीं हिचके और नियमों को ताक पर रख दिया।
सबसे पहले हम छत्तीसगढ़ में विभाग के द्वारा सामग्री की खरीदी में GEM के द्वारा भंडार क्रय नियम 2002 के उपनियम 4.9 क्रय की शर्तों में नियम का उल्लेख आपको बतायेंगे।
सूत्रों की मानें तो वन विभाग ने एक अधिकारी ने बड़ी चालाकी से जो टेंडर निकलवाया उसमें कोरबा वन विभाग के अंतर्गत सामान की कैटेगरी में मुख्य पेज पर RCC Guard Stone Type B का उल्लेख किया जिससे GeM के Portal में ये पृष्ठ सामने दिखा मगर बीड में अंदर Additional Specification Parameters का कालम डालकर TYPE OF POLE-BEND TYPE RCC FENCING POLES की Supply को जोड़ कर खेल खेला गया।
इससे जो टेंडर में मुख्य सामान था कई सप्लायर के पास वो नहीं था इस कारण वो टेंडर में हिस्सा लेने से वंचित रह गए क्योंकि मुख्य पृष्ठ पर ये सामान दिखा लेकिन अंदर बीड में Additional जोड़ने की योजना बनाकर अपने चहेतों को लाभ पहुँचाने का खेल खेला साथ ही कई सप्लायर इस रेस से बाहर हो गए।
बताया जा रहा है कि बाद में जिसे Additional में Add किया यदि वो टेंडर के मुख्य पृष्ठ पर रहता तो राज्य के कई सप्लायर इसमें भाग ले सकते थे।
बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ क्रय नियम और GeM के तहत पहले कोरबा ज़िले में वन विभाग में ये जोड़ा गया था लेकिन एक बड़े अधिकारी के दवाब में इसे हटा दिया गया और टेंडर के मुख्य पृष्ठ पर जो सामान प्रदर्शित किया वो बड़े अधिकारी की एक सुनियोजित साज़िश थी जिसमें वो कामयाब रहे।
इन नियमों का पालन करना था पहले तो वन विभाग के टेंडर में सितंबर 2024 में GEM के बीड में डाला गया मगर किसी एक आला अधिकारी के निर्देश पर इन नियमों को हटा दिया गया और राज्य के बाहर के बड़े सप्लायरों को लाभ पहुँचाने की क़वायद की गई।
यहाँ पर ये उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ एक छोटा राज्य है यहाँ पर व्यापार और उद्यम विकास बहुत ही निचले पायदान पर हैं।
छत्तीसगढ़ के छोटे-छोटे उद्यमी और प्रदानकर्ता यानि सप्लायर प्रदेश के बाहर के बड़े बड़े सप्लायरों से इस हालत में प्रतिस्पर्धा करने के लायक़ बचे ही नहीं।
या यूँ कहें तो “भ्रष्टाचार ने एक सुनियोजित साज़िश कर तालाब की मछलियों को सीधे बड़े सरोवरों के मगरमच्छों से मुक़ाबला करवाने के लिए डाल दिया।”
भंडार क्रय नियम में ये नियम लगाने की सरकार की मंशा स्पष्ट थी कि छत्तीसगढ़ के ही सप्लायर,उद्यमियों को प्रोत्साहित कर राज्य के आर्थिक विकास में गति लाई जा सके जिससे छत्तीसगढ़ के उद्यमी फलें फूलें व यहाँ के युवाओं को स्थानीय रोज़गार उपलब्ध हों परंतु नियमों की अनदेखी कर ऐसा न करना अपने आप में एक अपराध है।
छत्तीसगढ़ के वन विभाग में GEM की BID में इन नियमों को हटाने से एक और बड़ा नुक़सान प्रदेश के जीएसटी को भी हो रहा है।
जिससे एक बड़ा राजस्व जो छत्तीसगढ़ के हिस्से आना चाहिए था वो प्रदेश के बाहर IGST के माध्यम से बाहर चला जाएगा।
यदि प्रदेश के सप्लायर यहाँ सप्लाई करते तो कुल GST का आधा हिस्सा STATE GST के माध्यम से राज्य के खजाने में आता लेकिन भ्रष्टाचार के कारण चौतरफ़ा नुक़सान किया जा रहा है।
ग़ौरतलब है कि वन विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में बेहद सख़्त और ईमानदार छवि की आईएएस ऋचा शर्मा छत्तीसगढ़ में कुछ माह पूर्व भेजी गई हैं जो लगातार अपने तेवर से इन भ्रष्ट अधिकारियों पर काफी हद तक अंकुश भी लगा चुकी हैं।
‘पहल’ की ये ‘पहल’ इस समाचार के माध्यम से उस सच्चाई को लाने की है जिससे राज्य के छोटे सप्लायरों को भी सरकार की योजना का लाभ आसानी से मिल सके और वो उत्साह के साथ राज्य के विकास में ईमानदारी से अपना योगदान पारदर्शिता के साथ दे सकें।