सरगुजा ज़िले में दो पुलिस वालों की करतूत की चर्चा पूरे क्षेत्र और पुलिस महकमे में हो रही है।
लुंड्रा विधानसभा की एक पुलिस चौकी के बनने के बाद से ही ये दो पुलिस आरक्षक लगातार उस चौकी को अपना बसेरा बनाए इस कदर जम गए हैं कि ट्रांसफ़र सूची निकलने के बाद भी इनका नाम उस पर नहीं होता।
गाँव वाले इन्हें ‘बंटी और बबली’ तो कई इन्हें ‘राहु केतु’ भी कहते हैं ।
बैच नंबर 349 और बैच नंबर 502 इस नंबर की शिकायत पुलिस अधिकारियों तक भी है मगर मजाल कि इन्हें कोई उस पुलिस चौकी से हटा सके।
कुछ पुलिस वाले ही खुलकर कहने लगे हैं कि आख़िर क्या कारण है जो इन दोनों पर शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं कर रहा है जबकि बिना पहुँच वाला पुलिस कर्मी रहता तो वो अब तक तीन से चार जगहों पर स्थानांतरित कर दिया जाता।
अब इनकी करतूतों पर नज़र डालें जिसके लिए ये कुख्यात हैं।
ये दोनों आचार संहिता के समय कुछ दिन के लिए दूसरी जगह जाकर फिर यहीं आ धमकते हैं।
इनकी SR यानि सर्विस रिकार्ड बुक मंगाई जाए तो चौंकाने वाले खुलासे होंगे और स्पष्ट प्रमाणित हो जाएगा कि ये कितने लंबे अरसे से यहाँ जमे हैं।
क्षेत्र के गाँव में ज़मीन विवाद पर इनकी गिद्ध दृष्टि रहती है जिसमें वहाँ के पटवारी और नायब तहसीलदार से इनका गठबंधन गाँव वालों पर घमक बनाने के लिए पर्याप्त रहता है।
वहीं छुई खदानों से खुलेआम बेख़ौफ़ माफिया को ये अपना संरक्षण प्रदान करते हैं।
गाँव वालों के विवाद में ये भी ये जमकर वसूली कर अपने तरीक़े से समझौता कराकर अपनी धमकदार उपस्थिति दर्ज कराते हैं।
आश्चर्य तो ये कि वर्तमान सरगुजा एसपी के पास भी पास ये ख़बर है कि ये एक जगह लंबे अरसे से जमे हैं मगर अंबिकापुर एसपी कार्यालय में भी इनकी ग़ज़ब की सेटिंग है जिससे इनकी आधी करतूत पर पर्दा डाल दिया जाता है।
‘पहल’ ने सरगुजा एसपी को एक बार ये जानकारी दी मगर एसपी भी इस मामले को देखते हैं कहकर अभी तक देख ही रहे हैं।
सवाल ये उठता है कि एसपी कार्यालय में इस तरह के पुलिस वालों को कौन संरक्षण दे रहा है ये भी सबके सामने आना जरूरी है।
सरगुजा के वर्तमान एसपी को ये ध्यान रखना चाहिए कि एसपी की जिस कुर्सी पर वो बैठे हैं उसमें कभी बेहद ईमानदार एसपी पी एल पांडेय,छत्तीसगढ़ के वर्तमान डीजीपी अरुण देव गौतम , एसपी विजय अग्रवाल जैसे शख़्स भी बैठ चुके हैं जिन्हें जनता अपना मसीहा मानती थी।
‘पहल’ ने ये बात लुंड्रा के विधायक प्रबोध मिंज को भी कल जानकारी मिलने पर बताई जिस पर उन्होंने इसे गंभीर बताया और कार्रवाई की बात कही है।
मगर गंभीर सवाल है कि आख़िर विष्णु सरकार के सुशासन में इस तरह की शिकायत को नज़रअंदाज़ करने वाले अधिकारी पर भी कोई कार्यवाही होगी?

दोनों पुलिस वाले रमन सरकार के समय बनी इस पुलिस चौकी में आए और भूपेश सरकार का कार्यकाल भी निकाला और अब अंगद के पैर की भांति ऐसे पैर जमाए हैं जो हिलाए नहीं हिल रहा।
सरकार को ये सोचना चाहिए कि ऐसे लोगों के कारण ईमानदार पुलिस कर्मिपों की भावना आहत होती है।