
स्वास्थ्य संचालनालय और कार्पोरेशन में पदस्थ पाँच बड़े अधिकारियों को आज ईओडब्ल्यू के द्वारा गिरफ़्तारी के संकेत मिल रहे हैं जिसमें से 3 अधिकारियों को आर्थिक अपराध ने सुबह ही उठा लिया है वहीं दो को भी आर्थिक अपराध के रायपुर कार्यालय लाकर गिरफ़्तारी की प्रक्रिया के लिए टीम भेज दी है।
वहीं अभी दो आईएएस अधिकारियों को गिरफ़्तारी से दूर रखा गया है आगे की कार्रवाई पर पूरे राज्य की नज़र आर्थिक अपराध पर टिकी हुई है।
गौरतलब है कि आर्थिक अपराध के आईजी अमरेश मिश्रा सीबीआई में काम कर चुके हैं और उसी अंदाज़ में मोक्षित कंपनी के फ़र्ज़ीवाडे पर वो लगातार काम कर रहे हैं जिससे कोई बत ना पाए।
िभाग का उपक्रम सीजीएमएससी सैकड़ों करोड़ की अमानक सामग्री खरीदी की गयी थी।
मामला तब सामने आया, जब भाजपा की सरकार बनी।
बजट से अधिक की खरीदी
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मामला उठा, स्वास्थ्य मंत्री ने कहा सीजीएमएससी के अधिकारी और सप्लायर की जुगलबंदी से मूल कीमत से ज्यादा बहुत ज्यादा कीमत पर खरीदी हुई सरकार को आर्थिक नुकसान तो हुआ सीजी एमएससी के पास डायरेक्टर हेल्थ ने डिमांड भेजा, लेकिन राशि नहीं भेजी तो फिर सीजीएमएससी ने जिसके पास बजट ही 120 करोड़ का था और इस बजट में उसे प्राप्त हुआ था 104 करोड़ तो फिर 385 करोड़ के आसपास की खरीदी कैसे कर ली गयी, कौन दोषी है, 14 महीने होने जा रहे हैं किसी ब्यूरोक्रेट पर कोई कार्यवाही नहीं सिर्फ जांच पर जांच और आखरी में ईओडब्ल्यू की जांच चल रही है, कहते हुए मैदान छोड़ना कहां तक उचित है यही आवाज तो अजय चंद्राकर ने आज विधानसभा में उठाया….
तीन विधायकों ने मामला उठाया
पिछले विधानसभा में यह मामला जोर-शोर से विधायक धरमलाल कौशिक विधायक राजेश अग्रवाल विधायक सुशांत शुक्ला ने उठाया था आज बजट सत्र चल रहा है और 7 मार्च प्रश्न काल का स्वास्थ्य विभाग का दिन था उपरोक्त सभी विधायक मौन क्यों?
यह हम नहीं कह रहे हैं विधानसभा के अंदर कांग्रेस और भाजपा विधायकों में ही चर्चा का विषय संगठन की भी बारीक नजर रखे हुए हैं।
विभागीय जांच के चुप्पी क्यों?
अगर यह जांच ईओडब्ल्यू वर्तमान में कर रही है और इसके पहले सरकार ने विभागीय जांच भी करवाई थी उसमें भी अधिकारियों के द्वारा नियम विरुद्ध निर्णय लेने और सप्लाई का आदेश देने का मामला सामने आया था तो फिर काम से कम निलंबन की कार्यवाही आज तक क्यों नहीं की गई क्या कोई अदृश्य शक्ति अधिकारियों को बचा रहा है, जिसका सरकार में जबरदस्त घुसपैठ है।
जबकि छत्तीसगढ़ के ईमानदार आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय भ्रष्टाचार के सख्त खिलाफ हैं तो फिर स्वास्थ्य विभाग ने अपने कदम क्यों नहीं आगे बढ़े और अनियमितता करने वाले अधिकारियों पर कम से कम निलंबन की कार्यवाही तो कर ही सकते थे….
पंद्रह अधिकारी संलिप्त
स्वास्थ्य मंत्री का स्पष्ट कहना है विधानसभा के अंदर की इसमें 15 अधिकारी शामिल हैं जिसमें दो बड़े अधिकारी हैं, उनका आशय लगभग चंद्रकांत वर्मा और भीम सिंह की ओर इशारा कर रहा है। क्योंकि इन दोनों अधिकारियों से लंबी पूछताछ 6 मार्च को ईओडब्ल्यू ने की है….
केवल सप्लायर को जेल
कब तक उपरोक्त विभाग जांच पर जांच करता रहेगा आखिर कार्यवाही कब होगी सिर्फ एक सप्लायर जो कंपनी के डायरेक्टर थे उन्हें जेल में डाला गया लेकिन ब्यूरोक्रेट निलंबन से भी बच गए आखिर कैसे?
नये तथ्य…
एक नया तथ्य भी सामने आया 5 मार्च 2025 को जब पूर्व गृह एवं जेल मंत्री ननकी राम कंवर ने स्वास्थ्य मंत्री को लिखित शिकायत कर जांच की मांग करते हुए कहा कि भारत सरकार का स्पष्ट सर्कुलर होने के बाद भारत की लगी सीमा वाले देशों से कैसे खरीदी छत्तीसगढ़ में हो गई क्या यह देशद्रोह का मामला नहीं है क्या छत्तीसगढ़ का स्वास्थ्य विभाग छत्तीसगढ़ सरकार और जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू इसे संज्ञान में लगी क्या केंद्र सरकार की गाइडलाइन का छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग का उपक्रम सीजी एमएससी ने पालन नहीं किया मामला बहुत गंभीर प्रतीत होता है।