राज्यपाल रमेन डेका छत्तीसगढ के शिमला ‘मैनपाट’ पहुंचे।मेहता प्वाइंट से सनसेट का आनंद लिया और…?

क्या उजड़ते,भू माफियाओं के कारनामों से बर्बाद होते और सरगुजा के लचर प्रशासन की ख़बरें भी पहुंच पायेंगी राज्यपाल के पास?

रिपोर्ट आलोक शुक्ल।

अम्बिकापुर,27,मार्च,2025/छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका अपने दो दिवसीय प्रवास में सरगुजा मैनपाट पहुंचे, जहां संभागायुक्त नरेन्द्र दुग्गा, आईजी अंकित गर्ग, कलेक्टर विलास भोसकर, एसपी योगेश पटेल ने उनका स्वागत किया। राज्यपाल रमेन डेका ने पर्यटन स्थल उल्टा पानी पर्यटन स्थल का दौरा किया और वहां के प्राकृतिक नजारे का अवलोकन किया। निरीक्षण के दौरान राज्यपाल ने पर्यटन स्थल पर स्थित दुकानों में महिलाओं से मुलाकात की और शासन की हितग्राही मूलक योजनाओं पर चर्चा की। उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भरता और सरकारी योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया।

मेहता प्वाइंट से सनसेट का आनंद लेते राज्यपाल।

इसके पश्चात, उन्होंने मेहता प्वाइंट का दौरा किया, जहां उन्होंने सनसेट (सूर्यास्त) का आनंद लिया। राज्यपाल ने पर्यटन स्थल के सौंदर्यीकरण और सुविधाओं के विस्तार पर भी चर्चा की, जिससे पर्यटकों को और अधिक आकर्षित किया जा सके।

गौरतलब है कि राज्यपाल 28 मार्च को तिब्बती मॉनेस्ट्री का भ्रमण करेंगे और अम्बिकापुर स्थित सैनिक स्कूल के छात्रों से संवाद करेंगे। इसके अलावा, राज्यपाल श्री डेका एक पेड़ माँ के नाम अभियान के तहत वृक्षारोपण करेंगे।अपने प्रवास के दौरान राज्यपाल श्री रमेन डेका केंद्र एवं राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और योजनाओं की कार्य प्रगति की जानकारी लेंगे।

मगर इन सबसे हटकर एक गंभीर सवाल ये है कि छत्तीसगढ के शिमला मैनपाट की खूबसूरत वादियों को जिस तरह से भ्रष्ट तंत्र के साथ भू माफियाओं ने उजाड़ा है और अभी भी उजाड़ रहे हैं ये सब ख़बरें महामहिम राज्यपाल के पास पहुँच पायेंगी?

लगातार मैनपाट के उजड़ने की ख़बर सुर्खियों में रहती हैं मगर सरगुजा ज़िला प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोते रहता है।

इस पर भी यदि राज्यपाल संज्ञान लेते तो ये हर्ष की बात होती।

सरगुजा का ज़िला प्रशासन इन्हें ये भी बता पाता कि आज से डेढ दो दशक पहले मैनपाट क्या था और अब क्या है।

आमजन का कहना है कि असली मैनपाट को सरगुजा का प्रशासन उजागर ही होने नहीं देगा क्योंकि वो पहलू भयावह है और इसके लिए बड़े ब्यूरोक्रेट तक सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।

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