CBI Breaking on Chattisgarh Case :

सीबीआई ने छत्तीसगढ़ सरकार के तत्कालीन प्रधान सचिव, तत्कालीन संयुक्त सचिव और तत्कालीन महाधिवक्ता सहित तीन आरोपियों के खिलाफ नागरिक पूर्ति निगम (एनएएन) और ईडी मामलों की चल रही कार्यवाही को प्रभावित करने के आरोपों पर फिर से मामला दर्ज किया और तलाशी ली

रिपोर्ट आलोक शुक्ल।

छत्तीसगढ़ मामले में सीबीआई जांच का विवरण:

सीबीआई ने छत्तीसगढ़ सरकार के तत्कालीन प्रधान सचिव, तत्कालीन संयुक्त सचिव और तत्कालीन महाधिवक्ता सहित तीन आरोपियों के खिलाफ नागरिक पूर्ति निगम (एनएएन) और ईडी मामलों की चल रही कार्यवाही को प्रभावित करने के आरोपों पर फिर से मामला दर्ज किया और तलाशी ली

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने छत्तीसगढ़ सरकार के तत्कालीन प्रधान सचिव, तत्कालीन संयुक्त सचिव श्री अनिल टुटेजा, आईएएस (सेवानिवृत्त), तत्कालीन प्रधान सचिव; तत्कालीन प्रधान सचिव श्री सतीश चंद्र वर्मा, तीनों के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार के पीएस राज्य आर्थिक अपराध जांच ब्यूरो, रायपुर (छत्तीसगढ़) में पहले से दर्ज एफआईआर संख्या 49/2024 की जांच अपने हाथ में लेते हुए मामला दर्ज किया है। छत्तीसगढ़ सरकार की अधिसूचना के बाद भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार सीबीआई ने रायपुर में दो स्थानों पर आरोपी दो लोक सेवकों के परिसरों की तलाशी ली, जिसमें कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए।

आरोप है कि आरोपी लोक सेवकों ने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो, रायपुर में उनके विरुद्ध दर्ज एफआईआर क्रमांक 9/2015 तथा एनएएन मामले के आधार पर दर्ज प्रवर्तन निदेशालय के मामले में चल रही कार्यवाही को प्रभावित करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया। आयकर विभाग द्वारा जब्त डिजिटल साक्ष्यों के अनुसार, आरोपी लोक सेवकों ने एनएएन मामलों में कार्यवाही को विफल करने के लिए कई प्रयास किए। इसके अलावा, आरोपी लोक सेवकों ने कथित रूप से छत्तीसगढ़ के तत्कालीन महाधिवक्ता श्री सतीश चंद्र वर्मा को अनुचित तरीके से सार्वजनिक कर्तव्य निभाने तथा ईडी और ईओडब्ल्यू/एसीबी, छत्तीसगढ़ द्वारा जांच के तहत उपरोक्त मामलों में खुद के लिए अग्रिम जमानत हासिल करने के लिए अनुचित लाभ प्रदान किया। आरोप है कि अग्रिम जमानत प्राप्त करने के लिए आरोपी लोक सेवकों ने एनएएन मामले में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों के प्रक्रियात्मक और विभागीय कार्यों से संबंधित दस्तावेजों तथा माननीय उच्च न्यायालय में दायर किए जाने वाले उत्तर में परिवर्तन करवाए। जांच जारी है।

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