सुप्रीम कोर्ट में एक मुस्लिम महिला ने याचिका दाखिल कर शरीयत कानून में महिलाओं के साथ संपत्ति के बंटवारे में भेदभाव का आरोप लगाया है।

उसने कहा कि शरीयत कानून में महिलाओं को प्रापर्टी में समान अधिकार नहीं मिलता, इसे दूर करने की जरूरत है। देश के संविधान में महिलाओं को समानता का अधिकार दिया गया है।इसके बाद भी मुस्लिम महिलाएं भेदभाव का शिकार हो रही हैं

यह याचिका बुशरा अली नाम की महिला ने दाखिल की है। उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 भाई-बहनों को नोटिस जारी किया है, जिसमें चार बहनें शामिल हैं।

दरअसल केरल हाई कोर्ट ने 6 जनवरी को इस मामले में शरीयत कानून के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसे बुशरा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

बुशरा ने द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि परिवार में संपत्ति के बंटवारे उन्हें पुरुष सदस्यों की तुलना में आधी हिस्सेदारी मिली थी। इसी को आधार बनाते हुए उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ कानून के सेक्शन 2 को चुनौती दी है।

बुशरा ने अर्जी में कहा है कि यह संविधान के आर्टिकल-15 का उल्लंघन है, जो जाति, धर्म या जेंडर का आधार पर लोगों से भेदभाव को रोकता है। बुशरा ने कहा कि यह संविधान के आर्टिकल-13(1) का भी उल्लंघन करता है।

संविधान के आर्टिकल-13 में प्रावधान है कि भारत में संविधान से पहले जो भी कानून थे, वह संविधान के दायरे में होगा और अगर वह मौलिक अधिकार का हनन करता है तो वह कानून अमान्य होगा।

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