आज़ादी का अमृत महोत्सव। जी दोस्तों ये पंक्तियां आज घर घर गूंज रही हैं। इस अमृत और आज़ादी इन दो शब्दों के बीच के फासले को तय करने में अनगिनत देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहूति दे दी।तब कहीं जाकर हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं।मैं आज अपनी बेबसाईट पहल के माध्यम से आपको एक ऐसी शख्सियत से मिलवा रहा हूं जो सही मायने में “आज़ादी के अमृत महोत्सव “को अक्षरशः चरितार्थ कर रहा है।ये शख्स बेज़ुबानों की ज़ुबां बन चुका है।कई पक्षियों जानवरों का ईलाज कर उन्हें खुली हवा में आज़ादी के साथ जीवन बिताने में मदद कर रहे अंबिकापुर के सत्यम दुबे की इस “पहल ” की सराहना अब शहर के अलावा संभाग और राज्य के लोग भी कर रहे हैं। सत्यम की ये पहल पूरे देश के लिए धीरे धीरे मिसाल बननी चाहिए ।
जिस तरह हवाओं की कोई सीमा नहीं होती,परिंदों के लिए कोई सरहद मायने नहीं रखते ठीक उसी तरह इंसानियत की भाषा समझने वाले सत्यम का नाम आज हर लोगों की ज़ुबान पर है।
दोस्तों वाकई हर घर तिरंगा फहराकर हम गर्व महसूस कर रहे हैं।लेकिन इस तिरंगे को फहराने के अधिकार को हम तभी पूरी तरह पा सकेंगे जब हमारे अच्छे काम से हमारे समाज और देश की भलाई भी हो।

सत्यम जहरीले सांपों,अजगरों का रेस्क्यू कर उन्हें फिर से जंगलों में छोड़ देते हैं।घायल सांपों,चील,बाज तक का ईलाज कर सत्यम उन्हें फिर से उनकी आवोहवा में स्वतंत्र कर पूरे देश के लिए एक अनुकरणीय पहल कर रहे हैं।

सरकारी कार्यालय हों,सीआरपीएफ की बटालियन हो या यहां के रहवासी सभी के लिए सत्यम नाम हमेशा ज़ुबां पे रहता है।

किसी के यहां जहरीला सांप घुस आया हो या कोई परिंदा घायल हो इन सब के लिए हर एक को सत्यम के सहारे की आवश्यकता होती है


सत्यम ने पशु पुनर्वास केंद्र विगत दिनों अंबिकापुर शहर में खोला है। इस केंद्र का नाम जगत जननी मां महामाया के नाम पर मां महामाया पशु पुनर्वास केंद्र रखा है।तत्कालीन डीएम कुंदन कुमार स्वयं इसका शुभारंभ किए हैं।सत्यम को आवश्यकता है इस केंद्र में रख रखाव के सुविधाओं के विस्तार की।जिसके लिए वो सभी से सहयोग की अपेक्षा भी रखते हैं।आईए उनकी इस पहल का हम सब सम्मान करते हुए उनके सहयोग के लिए कुछ तो शुरुआत करें।

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